चेचक (बड़ी माता) के कारण लक्षण और इलाज | chechak ka ilaj

Last Updated on July 22, 2019 by admin

चेचक के कारण : chechak ke karan

यह एक प्रकार का तीव्र संक्रामक रोग है । जिसमें तीसरे दिन शरीर पर विशेष प्रकार के दाने निकल आते हैं । यह रोग अधिकतर बच्चों को होता है । इस रोग के उत्पन्न होने का कारण एक विशेष प्रकार का कीटाणु होता है ।

चेचक के लक्षण : chechak ke lakshan

1- इस रोग में एकाएक सर्दी लगकर बुखार चढ़ता है, हाथ-पैर टेढे हो जाते हैं ।
2- कमर, सिर और आमाशय के ऊपरी मुँह के स्थान पर दर्द होता है ।
3-  कै, मितली, उबकाइयाँ आती हैं तथा भूख कम लगती है ।
4- चेहरा गरम, प्यास की अधिकता, जीभ मैली रहती है, ज्वर के उतरते ही दाने निकल आते हैं । ये दाने 3-4 दिन में पानीयुक्त छाले बन जाते हैं, जो पांचवे या छठे दिन पककर फट जाते हैं । अथवा उनमें पीप पड़ जाती है और छालों के चारों ओर लाल रंग का घेरा सा बन जाता है ।
5- रोगी के मुख से दुर्गन्ध आने लगती है, 10-12 दिन के बाद दाने पक जाने पर रोगी को तीव्र ज्वर (104 से 105 डिग्री) तक हो जाता है ।
6- चेचक के दाने हाथ-पैर और मुँह पर अधिक तथा पहले निकलते है इसके बाद शरीर के अन्य भाग पर निकल आते हैं ।
7- दाने अलग-अलग अथवा आपस में मिले हुए होते हैं । दाने 10-12 दिन में ये मुरझाने लगते हैं और इन पर कालिमा युक्त अथवा भूरे रंग के खुरन्ड बन जाते हैं । ये खुरन्ड 19वे दिन उतरने लगते हैं और 1-2 महीने तक उतरते रहते हैं। बाद में शरीर पर मात्र चिह्न रह जाते हैं।

chechak (badi mata) ke gharelu upchar

चेचक के घरेलु उपाय / उपचार / इलाज : chechak ke gharelu ilaj

1- सत्यानाशी का कोमल पत्ता लेकर थोड़ा सा गुड़ मिलाकर खिला देने से चेचक नहीं निकलती है।  ( और पढ़ें – शीतला या चेचक के 19 रामबाण घरेलू उपचार )

2- जब चेचक का जोर हो उस समय बच्चों को चेचक निकलने से पूर्व (जब बच्चे को ज्वर हो गया हो, मुँह लाल हो) तब अपामार्ग की जड़ और खाने (सब्जी में डालने वाली) हल्दी दोनों को समभाग लेकर तथा पानी में चन्दन की भाँति घिसकर हाथ-पैरों की बीसों नाखूनों पर लगाकर तथा 1 तिलक माथे पर बीच में और एक जीभ पर लगा देने ईश कृपा से चेचक नहीं निकलती है ।

3-  अपामार्ग (ओधा, चिरचिटा या लटजीरा आदि नामों से प्रसिद्ध) की ताजा जड़ की चन्दन की भाँति गंगाजल या शुद्ध ताजे जल में घिसकर काँच के बरतन में रखते जायें । इस दवा को अँगुली या रुई की फुरैरी से चेचक (बिगड़ी हुई चेचक) के दानों पर लगा दें। बैठी हुई और बिगड़ी हुई चेचक भी 2 घंटे में बताशे की भाँति उठ जायेगी । रोगी को बुन्छ ज्वर भी बढ़ेगा किन्तु कोई भी हानि नहीं होगी। इसी दवा की 8-10 बूंदें रोगी को पिला भी दें ।
नोट-यह क्रिया केवल एक बार तथा एक ही दिन करें । रोगी कुछ ही समय में निरोग हो जाएगा ।   ( और पढ़ें – अपामार्ग (चिचड़ी) के चमत्कारिक प्रयोग )

4- मासिकधर्म प्रारम्भ होने के 16वें दिन यदि गर्भाधान किया जाए अथवा इस दिन स्त्री को गर्भ रह जाए तो ऐसी सन्तान अत्यन्त ही बलिष्ठ, ओजस्वी एवं तेजस्वी होती है और उसे जीवन भर चेचक नहीं निकलती है ।

5- ग्लीसरीन को 3 गुना गुलाबजल में घोलकर चेचक के स्थान के शुष्क दानों पर लगाते रहने से खुरन्ड सरलता से उतर जाते हैं ।

6- यदि चेचक के दाने भली प्रकार न निकले हों तो रोगी को गरम पानी में बिठायें तथा गरम पानी या चाय के साथ 30 मि.ली. की मात्रा में मुश्क (कस्तूरी) खिलायें ।

7- चेचक के दानों में जलन और संक्रमण रोकने हेतु कार्बोलिक लोशन में स्पंज भिगोकर सारे शरीर को साफ करते रहना लाभप्रद है ।

8- चेचक के रोगी के बिस्तर पर नीम की पत्तियां बिछाना अत्यन्त लाभप्रद है।  ( और पढ़ें – नीम के 51 कमाल के फायदे )

9- हाइड्रोपैराक्साइड के 2 गुना पानी में मिलाकर रोगी का मुख, जीभ, गला प्रतिदिन साफ कराते रहना चाहिए तथा शक्ति प्रदान करने वाले तरल पेय यथा—कच्चे नारियल का पानी, मौसम्मी और मीठे संतरे का रस ही पिलायें, ठोस भोजन कदापि न दें । यह हानिकारक है।

10- आस-पास में चेचक रोग फैलने पर नीम की सात लाल पत्तियाँ और 7 काली मिर्च के दानें प्रतिदिन चबाना श्रेष्ठ बचाव है। यह योग चेचक से रक्षा कवच और ढाल की भाँति कार्य करता है । अथवा नीम और बहेड़े के 5-5 ग्राम बीज, हल्दी 5 ग्राम के साथ पीसकर ताजा पानी में घोलकर 1 सप्ताह प्रतिदिन पीने से चेचक से बचाव हो जाता है ।

11- चेचक निकलने पर कतई नहीं घबरायें, बल्कि रोगी की तीमारदारी और वायुमण्डल की स्वच्छता मनोयोग से करें । इस हेतु रोगी को मुनक्के का उबला हुआ जल पीने को दें और वही उबला हुआ खिड़कियों पर वन्दनवार बाँधकर उनको खुला रखें तथा रोगी के बिस्तर पर भी नीम पत्तियां बिछायें, उन्हें सुबह-शाम बदलते रहें ।

12- चेचक में जब असहनीय जलन हो तब नीम की पत्तियों को घोट व छानकर मथनी से बिलोकर जब झाग बनने लगें तो वहीं झाग रोगन के बदन पर लगायें। अत्यन्त लाभप्रद योग है।

13-  नीम की कोपलें पीसकर चेचक के फफोलों पर पतला-पतला (गाढा हरगिज नहीं) लेप लगाने से दानों की आग कम हो जाती है।

14- चेचक के रोगी को ठण्डा पानी देना हानिकारक है । रोगी को प्यास में खुश्की (भड़ास) में नीम की छाल जलाकर अंगारे जल भरी कटोरी में बुझाकर, वही पानी पिलाना भी उत्तम है ।

15- नेचक के बुखार को उतारना हानिकारक है क्योंकि इसी के कारण चेचक के दाने बाहर निकल कर फूटते हैं । यदि ये दाने शरीर में अन्दर ही रह गये तो जीवन में कभी भी दुबारा इसका असर भोगना पड़ सकता है और इसका रूप अत्यन्त ही उग्र होगा। यदि खसरा और चेचक पूर्णरूपेण बाहर न निकल पायें तो क्रोनिक ब्रोंकाइटिस’ का दु:ख जो अत्यन्त कष्टकारक रोग होता है को भुगतना पड़ जाता है । इस हेतु-नीम की पत्तियों का रस गुनगुना करके दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम) पिलाते रहना चाहिए ताकि चेचक के दाने खुलकर निकल आये ।

16- नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर तथा ठण्डा करके (चेचक के दाने सूख जाने पर) स्नान करवाकर नीम पत्तियों में तपाकर छाना हुआ तैल बदन में लगाना अत्यन्त उपयोगी होता है ।

17- chechak ke gadde bharne ke upay- जैसे ही चेचक का उबाल शान्त पड़ जाए नीम का तैल गढ़ों वाली त्वचा पर लगायें । इस प्रयोग से त्वचा इकसार, इकरंग और समतल हो जाती है अर्थात् चेचक के बदसूरत, गड्ढे तुरन्त भर जाते हैं तथा सिर पर भी नीम का तैल लगायें, ताकि चेचक की कमजोरी के कारण सिर के बाल न झड़े ।

18- चेचक के दानों में संक्रमण, दर्द और खुजली कम करने हेतु दाने फट जाने पर डेटोल (एन्टीसेप्टिक लोशन) 15 बूंद, मैन्थोल 300 मि.ग्रा. दालचीनी का तैल आधा बूंद और नारियल का तैल 30 मि.ली. को मिलाकर सुरक्षित रखकर रूई की फुरैरी से लगाना भी अतीव गुणकारी है।

चेचक में क्या खाना चाहिए : chechak me kya khana chahiye

1-चेचक में ज्यादा पानी वाले आहार का सेवन लाभदायक रहता है जैसे ककड़ी, टमाटर, पालक ,तरबूज, कीवी, अंकुरित आहार आदि।
2- चेचक में ताजी सब्जियां और फल लेना अच्छा है।
3-चेचक में प्रातःकाल नारियल पानी पिना हितकारी है | यह महत्त्वपूर्ण खनिजों और विटामिन से भरा होता है,यह शरीर को ठंडा और रोग प्रतीक्षा प्रणाली को मज़बूत बनता है।

चेचक में क्या नहीं खाना चाहिए : chechak me kya nahi khana chahiye

1- खट्टे फलों से परहेज करें यह आपके घावों में जलन पैदा कर सकते है |
2- डेयरी उत्पादों का सेवन न करें |चेचक के रोग में इनका सेवन खुजली को बढ़ाता है।
3- ज्यादा तली हुई चीजों का सेवन न करें |
4- ज्यादा नमक और मसालेदार चीजों से परहेज करें |
5- जंक या फास्ट फूड जैसे नूड्ल्स , फ्रेंच फ्राइज, पिज्जा, बर्गर, चिप्स आदि का सेवन रोग को और ज्यादा उग्र कर सकता है |इनसे परहेज करें |

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