तुलसी का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्त्व और इसके फायदे | Tulsi ka Mahatva in hindi

Last Updated on November 19, 2019 by admin

★ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार हर हिंदू घर के आंगन में कम-से-कम एक तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए। कार्तिक मास में तुलसी का पौधा लगाने का बड़ा माहात्म्य माना गया है स्कंदपुराण में लिखा है कि इस मास में जो जितने तुलसी के पौधे लगाता है, वह उतने ही जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

★ पद्मपुराण में उल्लेख है कि जिस घर में तुलसी का उद्यान होता है, वह तीर्थ रूप होता है और उसमें यमराज के दूतों का प्रवेश नहीं होता। जिस घर की भूमि (आंगन) तुलसी के नीचे की मिट्टी से लिपी रहती है, उसमें रोगों के कीटाणु प्रवेश नहीं करते।)

★ प्राचीन धर्म ग्रंथों में तुलसी की महिमा का खूब वर्णन किया गया है। यहां पर कुछ महत्वपूर्ण बातों का संक्षिप्त उल्लेख किया जा रहा है ।

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तुलसी का महत्व : tulsi ka mahatva in hindi

1)   तुलसी की गंध को लेकर वायु जिस दिशा में जाती है, वह दिशा तथा वहां रहने वाले सभी प्राणी पवित्र और दोष रहित हो जाते हैं।

2)   तुलसी के लगाने और उसकी सेवा करने से बड़े-बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

3)   tulsi puja ka mahatva : जिस स्थान पर तुलसी का एक भी पौधा होता है, वहां ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि समस्त देवों तथा पुष्कर आदि तीर्थ, गंगा आदि सरिताओं का निवास होता है। अतएव उसकी पूजा-अर्चना करने से समस्त देवों आदि के पूजन का फल मिलता है।

4)   कार्तिक मास में तुलसी के दर्शन, स्पर्श और ध्यान करने, अर्चना, आरोपण, सिंचन से अनेक युगों के संगृहीत पापों का समूह नष्ट हो जाता है।

5)   तुलसी समस्त सौभाग्यों को देने वाली और आधि-व्याधि को मिटाने वाली है। इसे भगवान् कृष्ण के चरणों में चढ़ाने से मुक्ति प्राप्त होती है।

6)   तुलसी के बिना जितने भी कर्मकांड किए जाते हैं, वे सब निष्फल होते हैं। क्योंकि इससे देवता प्रसन्न नहीं होते।

7)  जो दान तुलसी के संयोग पूर्वक किया जाता है, वह अपार फलदायी होता है।

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11)   तुलसी वन की छाया में किया गया श्राद्ध, पितरों के लिए विशेष तृप्तिकारक होता है।

12)   तुलसी के पत्ते यानी तुलसीदल का भी काफी महत्त्व बताया गया है। जो व्यक्ति सदैव तीनों समय तुलसीदल का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चांद्रायण व्रतों के फल की तरह शुद्ध हो जाता है।tulsi pooja ka mahatva

13)   जो व्यक्ति स्नान के जल में तुलसी डालकर उपयोग में लाता है, वह सब तीर्थों में नहाया हुआ समझा जाता है और सब यज्ञों में बैठने का अधिकारी बनता है।

14)   जो व्यक्ति तुलसीदल मिश्रित चरणामृत का नियमित सेवन करता है, वह सब पापों से छुटकारा पाकर अंत में सद्गति को प्राप्त करता है, शारीरिक विकारों, रोगों से बचता है और अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। हर पूजा-पाठ में और प्रसाद में तुलसीदल का उपयोग करने का विधान है।

15)   मरते हुए व्यक्ति के मुख में तुलसीदल और गंगाजल डालने से त्रिदोष नाशक महौषधि बन जाती है और आत्मा पवित्र होकर मुक्त होती है। दूषित जल के शोधन हेतु तुलसीदल डाला जाता है।

16)   हर शाम तुलसी के पौधे की पूजा, आरती और उसके नीचे दीपक जलाने ते सती वृंदा की कृपा मिलती है और भगवान् विष्णु स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। वृंदा की भक्ति और विष्णु के प्रति उसका समर्पण-तुलसी की सुगंध और उसके पत्तों में आ गई, ऐसा कहा जाता है।

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17)   सोमवती अमावस्या को तुलसी की 108 परिक्रमा करने का विधान है। परिक्रमा से दरिद्रता मिटती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण में तुलसी की महत्ता का विशेष वर्णन मिलता है |

18)   सुधाघटसहस्रेण सा तुष्टिर्न भवेद्धरेः ।
या च तुष्टिर्भनेवेन्नणां तुलसीपत्र दानतः ॥ (ब्रह्मवैवर्तपुराण, प्रकृतिखंड 21.40)
अर्थात हजारों घड़े अमृत से नहलाने पर भी भगवान् श्री हरि को उतनी तृप्ति नहीं होती है, जितनी वे तुलसी का एक पत्ता चढ़ाने से प्राप्त करते है।

19)   आगे श्लोक 44 में लिखा है कि जो मानव प्रतिदिन तुलसी का पत्ता चढ़ाकर भगवान् श्री हरि नारायण की पूजा करता है, वह लाख अश्वमेध यज्ञों का फल पा लेता है। श्लोक 1) में तो यहां तक लिखा गया है कि मृत्यु के समय जिसके मुख में तुलसी के जल का एक कण भी चला जाता है, वह अवश्य ही विष्णुलोक जाता है।

20)   पद्मपुराण के सर्वमास विधि वर्णन अध्याय श्लोक 11 में कह गया है कि धात्री के फलों से युक्त तुलसी के दलों से मिले हुए जल से जो कोई भी मानव स्नान किया करता है, उसका भागीरथी गंगा के स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है।

21)   वैज्ञानिक दृष्टि से तुलसी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी पौधा है। इसके सेवन से गंभीर बीमारियां तक दूर हो जाती हैं और शरीर शक्तिशाली तथा ओजस्वी बन जाता है।

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