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तोरई : Luffa Acutangula in Hindi
तोरई भारतवर्ष में सर्वत्र पैदा होती है। पोषक तत्वों की दृष्टि से नेनुए और तोरई में कोई विशेष अन्तर नहीं है । तोरई मीठी और कड़वी 2 किस्म की होती है । कड़वी तोरई भी मीठी तोरई जैसी ही होती है और यह जंगल में अपने आप उग आती है।
तोरई (Luffa Acutangula) के विभिन्न भाषाओं के नाम
हिन्दी- तोरई, तरोई, तोरी, झिंगा । संस्कृतं- घामार्गव, राजकोशातकी, धाराफल । तमिल- दोड़की, शिराली । गुजराती- तुरिया । बंगला- घोषालता । अंग्रेजी- रिब्डलूफा (Ribbed luffa), टाबेलगार्ड (Towel gourd) । लेटिन- लूफा, एक्युटेंगुला (Luffa Acutangula) ।
तोरई के औषधीय गुण और उपयोग :
✥ यह मधुर, स्निग्ध, शीतवीर्य, पित्तशामक, कफवात-वर्द्धक, हृद्य, मृदुरेचन, दीपन, मूत्रल, कृमिनाशक, रक्तपित्त, ज्वर, कुष्ठादि-विकारों में पथ्यकर व उपयोगी है।
✥ उष्ण प्रकृति वालों को एवं पित्तजव्याधियों में, तथा सुजाक, श्वास, रक्तमूत्र, अर्श आदि में इसका शाक विशेष पथ्यकर एवं हितकर है।
✥ घिया तोरई की अपेक्षा यह शीघ्र-पाकी होती है।
✥ शाक बनाते समय इसके ऊपर का मुलायम छिल्का नहीं निकालना चाहिये तथा वाष्प पर उबाल कर इसे बनाना अत्यन्त उत्तम होता है।
तोरई के फायदे इन हिंदी : turai ke fayde in hindi
1-पथरी में तोरई के फायदे :
तोरई की बेल के मूल को गाय के दूध या ठण्डे पानी में घिसकर प्रतिदिन सुबह को 3 दिन तक पीने से पथरी मिटती है। ( और पढ़े – पथरी के 34 घरेलू उपचार)
2-बद की गाँठ में तोरई के फायदे :
तोरई की बेल के मूल को ठण्डे पानी में घिसकर ‘बद’ पर लगाने से 4 प्रहर में बद की गाँठ दूर हो जाती है।
3-गर्मी के चकत्ते तोरई के फायदे :
तोरई की बेल के मूल को गाय के मक्खन में अथवा एरण्ड तेल में घिसकर 2-3 बार चुपड़ने से गर्मी के कारण बगल अथवा जाँघ के मोड़ में पड़ने वाले चकत्ते मिटते हैं।
4-बबासीर में तोरई के फायदे :
✦तोरई बबासीर को ठीक करती है । इसकी सब्जी खाएँ क्योंकि यह कब्ज दूर करती है।
✦कडवी तोरई को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं। ( और पढ़े –बवासीर के 52 घरेलू उपचार )
5-पेशाब की जलन में तोरई के फायदे :
इस कष्ट को तोरई ठीक करती है और पेशाब खुलकर लाती है। ( और पढ़े – पेशाब में जलन के 25 घरेलू उपचार )
6- अरूंषिका (वराही) में तोरई के फायदे :
कड़ती तोरई, चित्रक की जड़ और दन्ती की जड़ को एक साथ पीसकर तेल में पका लें, फिर अब इस तेल को सिर में लगाने से अरुंषिका रोग खत्म हो जाता है।
7- योनिकंद (योनिरोग) में तोरई के फायदे :
कड़वी तोरई के रस में दही का खट्टा पानी मिलाकर पीने से योनिकंद के रोग में लाभ मिलता हैं।
8- गठिया (घुटनों के दर्द में) रोग में तोरई के फायदे :
पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटने का दर्द दूर होता है। ( और पढ़े –जोड़ों का दर्द दूर करेंने के 17 घरेलू उपाय )
9- पीलिया में तोरई के फायदे :
कड़वी तोरई का रस दो-तीन बूंद नाक में डालने से नाक द्वारा पीले रंग का पानी झड़ने लगेगा और एक ही दिन में पीलिया नष्ट हो जाएगा।
10- कुष्ठ (कोढ़) में तोरई के फायदे :
✦तोरई के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को कुष्ठ पर लगाने से लाभ मिलने लगता है।
✦ तोरई के बीजों को पीसकर कुष्ठ पर लगाने से यह रोग ठीक हो जाता है।
11- गले के रोग में तोरई के फायदे :
कड़वी तोरई को तम्बाकू की तरह चिल्म में भरकर उसका धुंआ गले में लेने से गले की सूजन दूर होती है।
12- बालों को काला करना में तोरई के फायदे :
तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसके बाद इसे नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखे और फिर इसे उबालें और छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और इससे सिर की मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।
13- फोड़े की गांठ में तोरई के फायदे :
तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़ें की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़ें की गांठ खत्म होने लगता है।
14- आंखों के रोहे तथा फूले में तोरई के फायदे :
आंखों में रोहे (पोथकी) हो जाने पर तोरई (झिगनी) के ताजे पत्तों का रस को निकालकर रोजाना 2 से 3 बूंद दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालने से लाभ मिलता है।
तोरई के नुकसान : turai ke Nuksan in Hindi
✱ तोरई कफकारक और वातल है । वर्षा ऋतु में यदि इसका अत्यधिक सेवन किया जाए तो वायु प्रकोप होने में देर नहीं लगती ।
✱तोरई पचने में भारी और आमकारक है । अतः वर्षा ऋतु में तोरई का साग रोगी व्यक्तियों के लिए हितकारी नहीं है। वर्षा ऋतु का सस्ता साग बीमारों को कदापि न खिलाएँ।
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