एकाग्रता बढ़ाने के सबसे शक्तिशाली उपाय | Ekagrata Badhane ke Tips

Last Updated on August 2, 2021 by admin

तमाम प्रकार के धर्मों का अनुष्ठान करने से भी एकाग्रतारूपी धर्म, एकाग्रतारूपी तप बड़ा होता है। “तपः सु सर्वेषु एकाग्रता परं तपः।
हम लोग देखते हैं कि जिस जिस व्यक्ति के जीवन में जितनी एकाग्रता है वह उतने अंश में उस क्षेत्र में सफल होता है, फिर वह आईन्स्टीन का विज्ञान हो चाहे सॉक्रेटीज का तत्त्वचिन्तन हो, रामानुजाचार्य का भक्तिभाव हो चाहे शंकराचार्य का अद्वैतवाद हो, कबीर जी का अव्यक्त हो चाहे मीरा का गिरधर गोपाल हो। जिस विषय में जितने अंश में एकाग्रता होती है उतने ही अंश में उस व्यक्ति का जीवन उस विषय में चमकता है।

एकाग्रताः सफलता की कुंजी :

✮ मनोवैज्ञानिकों का विज्ञान अगर मेज को कुर्सी दिखाने में सफल हो सकता है तो योगियों का विज्ञान जड़ में छुपे हुए चेतन को प्रकट करने में सफल क्यों नहीं हो सकता? वास्तव में जड़ जैसी कोई चीज नहीं है। जो जड़ दिखता है वह सब चेतन का विवर्त ही है। चेतन की घन सुषुप्ति को हम जड़ कहते हैं, क्षीण सुषुप्ति को वृक्ष आदि कहते हैं। वही चेतन अनेक प्रकार के स्वप्नों में, कल्पना में जब होता है तब उसी को जीव कहते हैं और वही जब अपने स्वरूप में जागता है तब शिवस्वरूप हो जाता है।

✮ रामायण का विद्वान हो चाहे भागवत का विद्वान हो, कथाकार हो चाहे श्रोता हो, वकील हो चाहे न्यायाधीश हो लेकिन जब गूढ़ विषय का या गूढ़ बात का रहस्य खोजना हो तब वे लोग शांत और स्थिर हो जाते हैं। स्थिर होने का उनका जितना अभ्यास होता है उतना वे उस विषय में अधिक कुशल होते हैं।

✮ मन और इन्द्रियों की एकाग्रता ही परम तप है। उनका जय सब धर्मों से महान है।– (श्रीमद् आद्य शंकराचार्य) | यहाँ शंकराचार्य जी की बात हमें शब्दशः स्वीकार्य है कि मन और इन्द्रियों की एकाग्रता ही परम तप है। उनका जय सब धर्मों से महान है।

✮ जो लोग भक्ति के मार्ग पर हैं और एकाग्रता की ओर ध्यान नहीं देते वे बेचारे रोते हैं किः “कुछ नहीं हुआ…. पच्चीस साल से भक्ति करते हैं लेकिन लड़का हमारा कहा नहीं मानता।”

✮ जो लोग योग की ओर चले हैं लेकिन योग के द्वारा एकाग्रता का जो तरीका जानना चाहिए वह नहीं जाना तो महीना-दो-महीना योग करके कहेंगे कि योग में कुछ नहीं है, हमने करके देख लिया।

✮ एकाग्रता कैसे प्राप्त होती है इस विषय का ज्ञान जब तक नहीं है तब तक अदभुत सामर्थ्य, हमारे अदभुत खजाने जो सुषुप्त हैं, छुपे हुए हैं, उनसे हम लोग वंचित रह जाते हैं। एकाग्रता हुई तो तपी का तप सिद्ध हो जायेगा, जपी का जप सफल हो जायेगा, योगी का योग सिद्ध हो जायेगा, सत्ताधीश सत्ता में सफल हो जायेगा, दुकानदार दुकानदारी में सफल हो जायेगा। आइये जाने मन की एकाग्रता कैसे बढ़ाए ,ekagrata badhane ke liye kya kare,ekagrata badhane ke tips

एकाग्रता बढ़ाने के चमत्कारी उपाय:

एकाग्रता पाना कोई कठिन बात नहीं है लेकिन जैसा काम होता है उसके लिए वैसा समय और उत्साह चाहिए। लगनपूर्वक अभ्यास करें। शुरुआत में एकाग्रता न भी हो लेकिन धीरे-धीरे लाभ होने लगेगा। कुछ ही समय में एकाग्रता के अनुभव होने लगेंगे।

  1. एकाग्रता करने से पूर्व सत्साहित्य पढ़ें, जो बल दे, पवित्र निर्भयता दे और एकाग्रता के लिए उत्साह दे।
  2. एकाग्रता बढ़ाने के लिए योग-शरीर स्वस्थ रहे एवं एकाग्रता साध सकें इसके लिए पहले 8-10 अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने चाहिए। फिर नासाग्र दृष्टि रखकर धीरे-धीरे श्वास को निहारें। इससे धीरे-धीरे श्वास की गति मंद होगी और एकाग्रता जल्दी हासिल होगी।
  3. प्रभात का ध्यान बड़ी मदद करता है। सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करके पूर्वाभिमुख होकर बैठ जायें, गहरे श्वास लें और प्रणव (ૐ) का उच्चारण करें।
  4. एकाग्रता के लिए त्राटक एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग। त्राटक का अर्थ है किसी निश्चित आसन पर बैठकर भगवान, गुरु या स्वस्तिक को एकटक देखना।
  5. कभी-कभी किसी नदी, सरोवर अथवा सागर के किनारे चले जायें एवं उसकी लहरों को निहारें। धीरे-धीरे वृत्तियाँ शांत होने लगेंगी, एकाग्रता बढ़ेगी।
  6. हो सके उतना अधिक मौन रखें। वाणी कम खर्च होगी तो शक्ति बचेगी और वह शक्ति एकाग्रता में काम आयेगी।
  7. एकाग्रता का अभ्यास पहले 10 दिन तक ʹ20 मिनट तो बैठना ही है।ʹ फिर धीरे-धीरे 25, 30, 40, 45…. मिनट बढ़ाते-बढ़ाते एक घंटे तक पहुँच जायें। कुछ महीनों में एकाग्रता के अनुभव होने लगेंगे।
  8. संत-दर्शन व सत्संग-श्रवण को बढ़ाने के सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं। तन्मय होकर सत्संग सुनने से चंचल-से-चंचल चित्त भी ऐसा एकाग्र हो जाता है कि वैसा एकाग्र वह अन्य किसी उपाय से नहीं होता।

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