गिलोय के बेशकीमती स्वास्थ्य लाभ – Benefits of Giloy in Hindi

Last Updated on October 11, 2020 by admin

गिलोय अर्थात क्या ? (What is Giloy in Hindi)

अंग्रेजी में गिलोय को Tinospora Cordifolia कहते हैं। आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरूहा, चक्रांगी के नाम से जाना जाता है। बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता रखा गया है। आयुर्वेद में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है, इसलिए इसे जीवंतिका नाम दिया गया है। इसकी हरे पत्तों की लता होती है, वह पान के पत्तों की तरह दिखती है।

यह जंगल, पहाड़, खेत की मेड़ों पर, वृक्षों पर चढ़ती दिखाई देती है। यह जिस वृक्ष पर चढ़ जाती है उस वृक्ष के गुण भी अपने में ग्रहण कर लेती है। नीम के वृक्षों पर चढ़ी हुई गिलोय बहुत लाभदायक होती है। ज़्यादातर इसकी बेल आम व नीम के पेड़ों पर चढ़ती हैं। कई घरों में इसकी बेल पाई जाती हैं।

गिलोय में पाए जानेवाले तत्त्व :

गिलोय के पत्ते में प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस व इसके तने में स्टार्च पाया जाता है। गिलोय कफ, पित्त और वात दोष का शमन करती है। गिलोय में एंटी वायरल और एंटी बायोटिक तत्त्व भी पाए जाते हैं।

गिलोय के औषधीय उपयोग क्या है ? (Uses of Giloy in Hindi)

गिलोय उपयोग के तरीके निम्नलिखित हैं –

  • दालचीनी-लौंग के साथ गिलोय लेने से मुद्दती बुखार दूर होता है ।
  • गिलोय का रस पीने से मलेरिया तथा पुराना बुखार दूर होता है ।
  • सोंठ के साथ गिलोय का उकाला पीने से पीलिया तथा संधिवायु दूर होता है ।
  • घी के साथ गिलोय प्रयोग करने से वायु के दर्द दूर होते हैं । शक्कर के साथ प्रयोग करने से पित्त के रोग दूर होते हैं । शहद के साथ प्रयोग करने से कफ के रोग दूर होते हैं ।
  • बुखार के बाद रहनेवाली कमजोरी में गिलोय का रस पौष्टिक एवं शक्ति-प्रदायक है ।
  • गिलोय का प्रयोग क्षय, कमजोरी तथा रसायन कर्म में लाभकर्ता है ।
  • लम्बे समय तक गिलोय लेते रहने से कायमी कब्जी के दर्दी को लाभ होता है ।
  • गिलोय का चूर्ण शहद के साथ इस्तेमाल करने से हृदयरोगवाले को फायदा होता है ।
  • गिलोय का सदा उपयोग करने से डायब्टीजवाले को लाभ होता है । हररोज इंजेक्शन तथा टिकियों की आवश्यकता नहीं पडेगी । उनके कुप्रभावों से दर्दी बच जायेगा ।
  • माता को गिलोय देने से दूध बढता है और माता के दूध के दोष दूर होते हैं । माता के दोषित दूध के कारण होनेवाले रोगों से बालक बच जाता है ।
  • अमुक समयावधि में गिलोय का उपयोग चालू रखने से युवावस्था बनी रहती है ।
  • सिद्ध योगी गोरखनाथ कहते हैं : कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में गर्मी महसूस हो तो गिलोय का रस शहद के साथ ठीक प्रकार मिश्रित करके तृप्तिपूर्वक लिया जाय तो मणिपुर चक्र, नाभिचक्र का शोधन सरलता से हो जाता है ।

गिलोय से होनेवाले गजब के लाभ (Giloy ke Labh in Hindi)

गिलोय का सेवन स्वस्थ व्यक्ति व जिसे शारीरिक तकलीफ है वह भी कर सकता है।

गिलोय से होने वाले फायदे निम्नलिखित हैं –

1). हृदयरोग : गिलोय से हृदय को शक्ति मिलने से हृदय की बीमारियाँ दूर रहती हैं।

2). खून की कमी : इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है। शुद्ध खून का निर्माण होता है।

3). जलन : हाथ व पैरों के तलुओं में या शरीर के अन्य किसी भाग में जलन हो रही है तो इसका सेवन ज़रूर करें। पत्तियों को पीसकर सुबहशाम पैरों व हथेलियों पर लगाएँ, जलन ठीक हो जाएगी।

4). कान दर्द : अगर किसी वजह से कानों में दर्द होता है तो इसके सेवन से अधिक फायदा होता है।

5). उल्टियाँ : उल्टियाँ होने पर गिलोय के तने को उबालकर बनाए गए काढ़े को ठंडा करके पीने से राहत मिलती है।

6). पेट के रोग : पेट से संबंधित समस्याओं में जैसे – कब्ज़, पेटदर्द, गैस और अपच में गिलोय प्रभावी औषधि है।

7). त्वचा रोग : गिलोय के पत्तों के रस में हल्दी मिलाकर त्वचा पर लगाने से खुजली दूर होती है और त्वचा भी चमक उठती है।

8). आँखें : गिलोय आँखों की रोशनी बढ़ाती है, साथ ही आँखों के अन्य रोगों में भी लाभदायक है।

9). बुखार : गिलोय में ज्वरनाशक गुण पाया जाता है। किसी भी तरह के बुखार में गिलोय बहुत ही लाभदायक है। गिलोय के 4-5 पत्ते लेकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े करें। 4 गिलास पानी में डालकर उबालें। 1 गिलास पानी रह जाए तब उसे छानकर धीरे-धीरे पीएँ।

10). मधुमेह : गिलोय में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को ‘नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। गिलोय का काढ़ा शुगर लेवल को बराबर करता है। गिलोय के पत्ते और तनों के टुकड़े करके पानी में डालकर उबालें। 1 गिलास पानी रहने के बाद, ठंडा होने पर धीरे-धीरे पिएँ। यह प्रयोग सुबह-शाम करें। नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई गिलोय के पत्ते बहुत ही लाभदायक होते हैं। इसका पाउडर गर्म पानी में डालकर ले सकते हैं।

11). मोटापा : गिलोय के सेवन से बढ़ता वज़न आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। शरीर की चरबी कम होती है, वज़न कम होता है। पेट भी कम होता है। रोज़ सुबह गिलोय के 34 पत्ते खाने से वज़न कम होगा। साथ ही व्यायाम ज़रूर करें तो ज़ल्दी फायदा हो सकता है।

12). डेंगू, मलेरिया में बचाव : गिलोय पाउडर, गोली या काढ़े के रूप में सेवन करने से खून में प्लेटलेट्स की कम हो चुकी संख्या को फिर से बढ़ाया जा सकता है। गिलोय के साथ तुलसी के पत्ते लेने पर प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ती है।

13). सर्दी, खाँसी : कई लोगों को मौसम बदलने पर सर्दी, खाँसी हो जाती है। गिलोय का सेवन करने से ज़रूर लाभ होगा। खाँसी की वजह से गला अगर छिल गया है तो गिलोय का जूस पीने से अच्छा लगेगा।

14). वात, पित्त, कफ नाशक : यह वात, पित्त व कफ नाशक है लेकिन वात, पित्त को अधिक कम करती है।

15). जोड़ों का दर्द : पारिजात + एलोवेरा + गिलोय तीनों को मिलाकर जूस तैयार करें। इसके प्रयोग से जोड़ों के दर्द में ज़रूर राहत मिलेगी। अलग-अलग जूस बनाकर भी ले सकते हैं।

16). कोलेस्ट्रोल : गिलोय कोलेस्ट्रोल को कम करती है।

17). उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप में इसका पाउडर या काढ़ा पीने से फायदा होता है।

18). कैंसर : कैंसर के रोगियों के लिए यह सही में अमृत का काम करती है। कैंसर के रोगी तुलसी + एलोवेरा + गिलोय + गेहूँ के जवारे + नीम के पत्ते इन सभी को मिलाकर जूस तैयार करके दिन में दो बार लें। कैंसर के रोगी रोज़ सुबह-सुबह 3-4 पत्तों का सेवन करें ज़रूर फायदा होगा। जिन्हें कैंसर नहीं है वह व्यक्ति ले तो उसे कभी कैंसर ही नहीं होगा।

19). कील, मुँहासे : गिलोय में एंटी एजिंग, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। गिलोय का लेप या रस चेहरे पर लगाने से या इसके सेवन से मुँहासे ठीक हो जाते हैं।

20.) टी.बी. : टी.बी. की बीमारी में गिलोय का काढ़े के रूप में सेवन करने से रोगप्रतिरोधक शक्ति तैयार होती है, जो रोग खतम करने में सहायक होती है। गिलोय का पाउडर या गोली भी ले सकते हैं।

21). विटामिन बी 12 : विटामिन बी 12 की कमी से व्यक्तियों को ज़्यादातर महिलाओं को बहुत शारीरिक तकलीफ होती है। गिलोय का सेवन किसी भी रूप में करें, विटामिन बी 12 की मात्रा बढ़ती है।

22). पीलिया : गिलोय के ताज़े पत्तों का रस पीने से पीलिया ज़ल्दी ठीक होता है।

22). चक्कर : चक्कर व सिरदर्द में इसका प्रयोग फायदेकारक होता बाज़ार में गिलोय का पाउडर, गोली व सत मिलता है, इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसके टहनियों के टुकड़े करके काढ़ा बनाकर ले सकते हैं। इसका सेवन सभी लोग कर सकते हैं।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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