ज्ञान मुद्रा : मन को शांति देने वाली महामुद्रा | Gyan Mudra – How To Do Steps And Benefits

Last Updated on January 24, 2020 by admin

ज्ञान मुद्रा : Gyan Mudra in Hindi

चेतना का एक बहुत ही खास और महत्वपूर्ण गुण है- ज्ञान। ज्ञान के द्वारा ही हम बता सकते हैं कि किसी चीज में प्राण है और किस चीज में नहीं। जिसके अंदर ज्ञान होता है वह ज़िंदा कहलाता है और जिसमें ज्ञान नहीं होता वह निर्जीव कहलाता है। किसी व्यक्ति के अंदर अगर सब चीजों का पूरी तरह ज्ञान हो तो वह साधारण व्यक्ति से एकदम असाधारण व्यक्ति बन जाता है।

ज्ञान मुद्रा बनाने का तरीका : Gyan Mudra ki Vidhi in Hindi

अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली तर्जनी उंगली के ऊपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से मिलाकर हल्का सा दबाव दें। हाथ की बाकी की तीनों उंगलियां बिल्कुल एक साथ लगी हुई और सीधी रहनी चाहिए। अंगूठे और तर्जनी उंगली के मिलने से जो मुद्रा बनती है उसे ही ज्ञान मुद्रा कहते हैं। ध्यान लगाते समय सबसे ज्यादा ज्ञान मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है।

ज्ञान मुद्रा के लिए उपयोगी आसन :

ज्ञान मुद्रा में सबसे अच्छा आसन पद्मासन होता है। वज्रासन या सुखासन आदि ध्यान लगाने वाले आसन में भी इस मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है। इसको किसी कुर्सी पर बैठकर भी किया जा सकता है।

पद्मासन लगाने की विधि : Padmasan ki Vidhi

जमीन पर किसी आसन को बिछाकर पैर फैलाकर बैठ जाएं। अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाईं जांघ पर रख लें। अपनी एड़ी को नाभि के पास के हिस्से से छुआएं। फिर बाएं पैर के पंजे को हाथ से उठाकर दाईं जांघ पर रख लें। एड़ी को नाभि के पास में रखें। ध्यान रहें आपकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।

ज्ञान मुद्रा करने का सबसे अच्छा समय :

ज्ञान मुद्रा को करने का सबसे अच्छा समय लगभग 48 मिनट का है लेकिन अपनी सुविधा के मुताबिक ज्यादा समय तक भी किया जा सकता है। फिर भी एक अभ्यास करने वाले को कम से कम 1 बार में 15 मिनट का समय तो लगाना होता है। अगर कोई व्यक्ति इस मुद्रा से जल्दी लाभ लेना चाहता है तो उसे रोजाना 48 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करना जरूरी होता है।

ज्ञान मुद्रा के फायदे :Gyan Mudra ke Labh in Hindi

  1. इस मुद्रा को करने से ज्ञान की बढ़ोत्तरी होती है।
  2. इससे याददाश्त तेज होती है।
  3. ज्ञान मुद्रा को रोजाना करने से स्वभाव बदल जाता है, जिद करना, चिड़चिड़ा होना, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, सब्र ना रखना आदि दूर हो जाते हैं।
  4.  इस मुद्रा को करने से मन शांत होता है।
  5. इससे ध्यान लग जाता है और काम करने में सफलता होती है।
  6.  ज्ञान मुद्रा को करने से मन लगता है।
  7.  इस मुद्रा के निरंतर अभ्यास से सिर का दर्द और नींद न आने का रोग समाप्त हो जाता है।

ज्ञान मुद्रा से संबंधित कुछ खास बातें :

  •  एक्यूप्रेशर चिकित्सा के मुताबिक उंगलियों के पोरों को दिमाग कहा गया है। इन पोरों पर दबाव डालने से सिर का दर्द नष्ट हो जाता है और दिमाग के काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। अंगूठे के ऊपर के पास का स्थान पिट्यूटरी और पिनियल ग्रंथियों का केंद्र हैं। पिट्यूटरी मास्टर ग्लैन्ड है। शारीरिक संतुलन और पर्सनेलिटी को निखारने में ये ग्रंथियां बहुत ही खास भूमिका अदा करती हैं। इनको दबाने से दोस्ती, दया, निडर, स्थिरता, ऋजुता आदि शांत भाव पैदा होने लगते हैं।
  • ज्ञान मुद्रा बनाते समय दिमाग में पीले रंग का ध्यान और जप करने से ज्ञान और याददाश्त बढ़ जाती है। इससे न केवल आमाशय शक्ति बढ़ती है बल्कि स्नायुमंडल (नर्वस सिस्टम) भी ताकतवर बनता है।

ज्ञान मुद्रा के अभ्यासी के लिए कुछ सावधानीयां :

  1. अगर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसके ज्ञान की बढ़ोत्तरी हो तो उसे खट्टी तथा चटपटी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडे पदार्थों का सेवन करना भी लाभकारी नहीं है। पान मसाला, सुपारी, चुटकी और तम्बाकू आदि पदार्थों का सेवन करना भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
  2. कुर्सी, बैंच आदि किसी भी चीज पर बैठकर टांगों को हिलाना नहीं चाहिए।
  3. दूसरों की बुराई और उनसे नफरत बिल्कुल भी नही करना चाहिए।
  4. अगर आप में ज्ञान है और आप ज्ञानी हैं तो सबसे बड़ा पाप है उस ज्ञान पर घमंड करना। अगर आप अपने ज्ञान को दूसरों में बांटते हैं तो आपकों हमेशा अच्छा फल ही मिलेगा क्योंकि ज्ञान तो वह माया है जो बांटने से और बढ़ती है।

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