तुतलाना या हकलाना दूर करने के 32 आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे – Tutlane Ka Ilaj in Hindi

Last Updated on August 31, 2022 by admin

तुतलाना या हकलाना क्या है ?

जल्दी-जल्दी शब्दों को पूर्ण रूप से न बोल पाना तथा किसी बात को बोलते समय बार-बार दोहराना या बोलते-बोलते रुक जाना आदि हकलापन या तोतलापन कहलाता है। हकलाने वाले व्यक्ति कुछ अक्षरों जैसे प, ब, ट, ड, ग, क आदि ठीक तरह से नहीं बोल पाते, जिसके कारण शब्दों को बोलने में हकलाना, तुतलाना तथा रुक-रुक कर बोलना आदि परेशानी होने लगती है। कुछ बच्चे या व्यक्ति जीभ मोटी होने के कारण भी तुतलाते रहते हैं।

तुतलाना या हकलाना के कारण : tutlane haklane ke karan

बोलने में काम आने वाली पेशियों के स्नायुओं का नियंत्रण दोषपूर्ण होने से कोई भी शब्द बोलने में रुकावट आती रहती है। जिसके कारण बोलने में तुतलापन या हकलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार के रोग जीभ के अधिक मोटा होने से भी होता है।
आइये जाने हकलाने(Haklana) या तोतलापन(totlapan)को दूर करने वाले सबसे कामयाब घरेलू नुस्खे , natural home remedies tips for Stammering in hindi.

तुतलाना या हकलाना दूर करने के घरेलू उपाय : haklane (totlapan) ka ilaj

पहला प्रयोग : “अच्युताय हरिओम आँवला चूर्ण ” के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को गाय के घी के साथ मिलाकर चाटने से थोड़े ही दिनों में तुतलापन दूर हो जाता है।

दूसरा प्रयोग : दो रत्ती शंखभस्म दिन में दो बार शहद के साथ चटायें तथा छोटा शंख गले में बाँधें एवं रात्रि को एक बड़े शंख में पानी भरकर सुबह वही पानी पिलायें।

तीसरा प्रयोग : बारीक भुनी हुई फिटकरी मुख में रखकर सो जाया करें। एक मास के निरन्तर सेवन से तुतलापन(totlapan) दूर हो जायेगा।

चौथा प्रयोग : एक कटोरी में जल ले उसे निहारते हुये ” ॐ सरस्वत्यै नमः ” का 108 बार जप कर उस जल का सेवन करने से हकलाने(Haklana) या तोतलापन(totlapan) दूर होता है |

साथ में यह प्रयोग करवायें- अन्तःकुंभक करवाकर, होंठ बंद करके, सिर हिलाते हुए ‘ॐ…’ का गुंजन कंठ में ही करवाने से तुतलेपन में लाभ होता है।

तुतलाना या हकलाना दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार : haklane (totlapan) ka ayurvedic upchar

1. घी : 3 से 6 ग्राम घी में रोजाना मिश्री मिलाकर सुबह-शाम चाटकर खायें और ऊपर से गाय का दूध पीयें। लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलाने (हकलाना) बंद हो जाता है।

2. बादाम : रोजाना 10 से 12 बादाम पानी में भिगोकर रखें। इनके फूल जाने पर छिलका छीलकर इसकी गिरी को पीस लें और इसमें 25 से 30 ग्राम मक्खन को मिलाकर खायें। कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से तुतलापन (totlapan)ठीक हो जाता है।

3. मण्डूकपर्णी (ब्रह्ममाण्डकी) : बच्चों को यदि किसी शब्द के बोलने में कठिनाई हो रही हो तो ऐसे में बच्चे को मण्डूकपर्णी (ब्रह्ममाण्डकी) का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक रोज सुबह-शाम सेवन करायें। मण्डूकपर्णी के 2 से 4 पत्ते प्रतिदिन 2-3 बार चबाने के लिये दें। इससे बच्चों का हकलापन ठीक हो जाता है।

4. दूध : हकलापन खत्म करने के लिये 10 ग्राम दूध और 250 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार मक्खन के साथ खाने से हकलापन दूर हो जाता है।

5. दूधी : 2 ग्राम दूधी की जड़ को पान में रखकर चूसने से हकलापन के रोग में लाभ मिलता है।

6. मीठी बच : मीठी बच, मीठी कूट, अस्वगन्ध और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 1 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से आवाज साफ होती है और हकलापन दूर होता है।

7. गोरखमुण्डी : 50-50 ग्राम गोरखमुण्डी, ब्रह्मी, भुनी सौंठ और पीपल को कूटकर तथा पीसकर छानकर रख लें। इस 10 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से जीभ का लगना बंद हो जाता है तथा तुतलापन ठीक हो जाता है।

8. दालचीनी : दालचीनी को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।

9. धनिया : अमलतास के गूदे और हरे धनिया को पीसकर रखें। इसके बाद इसे पानी के साथ मिलाकर लगातार 21 दिन तक कुल्ला करें। इससे जीभ पतली हो जाती है और हकलापन दूर होता है।

10. सत्यानाशी : सत्यानाशी का दूध जीभ पर मलने से हकलाना ठीक हो जाता है।

11. बड़ी लोणा : 40 से 80 ग्राम बड़ी लोणा (बड़ी नोनीसाग) को प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से हकलापन दूर हो जाता है।

12. लघुब्रह्मी : कई बार जीभ में किसी तरह की खराबी के कारण व्यक्ति ठीक से बोल नहीं पाता। लघुब्रह्मी के ताजे पत्तों को पीसकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।

13. ब्राह्मी घी : 6 ग्राम से 10 ग्राम ” ब्राह्मी घृत “में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खाने से तुतलाना, हकलाना और आवाज साफ न निकलना दूर हो जाता है।

14. अकरकरा : अकरकरा 12 ग्राम, तेजपात 12 ग्राम तथा कालीमिर्च 6 ग्राम की मात्रा में एकसाथ मिलाकर पीस लें। इस 1 चुटकी चूर्ण को खुराक के रूप में प्रतिदिन सुबह-शाम जीभ पर रखकर जीभ को मलें। इससे जीभ के मोटापे के कारण होने वाला तुतलापन दूर हो जाता है।

15. सौंफ : 5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर 300 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। उबलने पर 100 मिलीलीटर पानी बच जाने पर इसे उतारकर इसमें 50 ग्राम मिश्री तथा 250 मिलीलीटर दूध मिलाकर रोजाना सोने से पहले पीयें। लगातार कुछ दिनों तक इसके सेवन से हकलापन(Haklana) ठीक हो जाता है।

16. छुहारा : रोजाना रात को सोते समय 1 छुहारे को दूध में डालकर उबालकर पी लें। इसको पीने के 2 घंटे बाद तक पानी न पीयें। इसके रोजाना प्रयोग से तीखी, भोण्डी आवाज साफ हो जाती है।

17. कलौंजी : आधा चम्मच कलौंजी के तेल में 2 चम्मच शहद डालकर दिन में 2 बार जीभ पर लगायें। यह कैल्शियम की कमी के कारण दांतो का टूटना, बालों का झड़ जाना तथा होठों के दर्द में लाभ होता है।

18. इलायची : हकलाहट या तुतलाहट में छोटी इलायची, कुलंजन, अकरकरा, वच तथा लौंग सभी का 25-25 ग्राम चूर्ण बनाकर रख लें। फिर इसमें 5 ग्राम कस्तूरी मिला लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम, ब्राह्मणी रस के साथ 2-3 महीने तक लगातार भोजन करने के आधे घंटे बाद 3-3 ढक्कन सरस्वतारिस्ट और इतना ही पानी मिलाकर सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।

19. अकरकरा : अकरकरा और कालीमिर्च को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीसकर 1 ग्राम की मात्रा शहद में मिलाकर 4-6 सप्ताह तक सुबह-शाम जीभ पर रखने से लाभ मिलता है।

20. वच :

  •  रुक-रुककर बोलने की बीमारी में ताजी वच के कांड का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह-शाम मुंह में रखकर चूसते रहें। 3 महीने तक इसका प्रयोग करने से हकलाने की बीमारी में लाभ मिलता है।
  •  रोजाना आधे से 1 ग्राम बच के चूर्ण को शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से हकलाना बंद हो जाता है।

21. कुलंजन : कुलंजन, बच, ब्राह्मी और शंखपुष्पी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच भरकर सुबह-शाम खाने से कुछ हफ्ते में ही हकलाहट दूर हो जाती है।

22. पीपल : पीपल के पके फलों का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट में लाभ होता है और आवाज़ भी सुधार जाती है।

23. तेजपत्ता :

  • तेजपत्ता के पत्ते को नियमित रूप से कुछ दिन तक चूसते रहने से हकलापन दूर हो जाता है।
  • रुक-रुक कर बोलने वाले या हकलाने वाले व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से हकलापन(Haklana) तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है।

24. कालीमिर्च:

  • थोड़े से दाने कालीमिर्च के और बादाम की 7 से 8 गिरी को पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी में मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट रोगी को खिलाने से हकलापन ठीक हो जाता है।
  • जीभ के तुतलापन में 5-5 ग्राम कालीमिर्च और नौसादर को पीसकर तथा छानकर 50 ग्राम शहद में मिला लें। 3 ग्राम की मात्रा में इस मिश्रण को सुबह-शाम जीभ पर मलें तथा मुंह से निकले गंदे लार को बाहर गिरने दें। इससे जबान साफ होती है और जीभ का तुतलापन खत्म होता है।

25. आंवला :

  • बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिए देने से उनकी जीभ पतली और आवाज साफ होती है तथा उनका हकलापन(Haklana) और तुतलापन(totlapan) दूर हो जाता है।
  •  कच्चे, पके हरे आंवले को चूसकर अनेक बार सेवन करें, इससे हकलाना बंद हो जाता है।

26. सुहागा :

  • हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर हा जाता है।
  • 1 चुटकी भुना हुआ सुहागा जीभ पर रखकर हल्के-हल्के रोजाना सुबह-शाम मलने से हकलाना व तुतलाना ठीक हो जाता है।

27. मक्खन :

  • दिन में 3 से 4 बार मक्खन में चीनी मिलाकर चाटने से जीभ के मोटी होने के कारण होने वाला तुतलापन ठीक हो जाता है।
  • कालीमिर्च का चूर्ण बनाकर मक्खन में मिलाकर सुबह खाने से रोजाना प्रयोग से हकलाना बंद हो जाता है।

28. फिटकरी :

  • रोजाना सोते समय मूंग की दाल के बराबर फिटकरी का टुकड़ा मुंह में रखकर सोने से तुतलाने का रोग ठीक हो जाता है।
  • फिटकरी को भूनकर रोजाना रात को सोते समय 2 ग्राम चूर्ण को जीभ पर रखें और 4-5 मिनट बाद कुल्ला कर लें। कुछ महीनों तक इसका प्रयोग करने से रोग में लाभकारी होता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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