त्रिकटु चूर्ण के फायदे, गुण, उपयोग और नुकसान – Trikatu Churna ke Fayde aur Nuksan in Hindi

Last Updated on May 28, 2023 by admin

त्रिकटु चूर्ण क्या है ? Trikatu Churna in Hindi

त्रिकटु चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है। काली मिर्च, सोंठ और पीपल के योग से बना त्रिकटु चूर्ण कई रोगों में लाभकारी तो होता ही है साथ ही इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों के घटक द्रव्य के रूप में भी होता है। पाचन तन्त्र और श्वसन तन्त्र के लिए विशेष कर लाभदायक इस सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक योग का संक्षिप्त विवरण आपके समक्ष प्रस्तुत है।

त्रिकटु चूर्ण के मुख्य घटक : Trikatu Churna Ingredients

  • काली मिर्च
  • सोंठ
  • पीपल

त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि : Trikatu Churna Bnane ki Vidhi

काली मिर्च, सोंठ, पीपल 100-100 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण कर लें।

सेवन की मात्रा : Dosage & How to Take in Hindi

इसकी आधा  चम्मच सुबह छाछ के साथ लें।

त्रिकटु चूर्ण के फायदे और उपयोग : Trikatu Churna Benefits in Hindi

Trikatu Churna ke Fayde in Hindi

1. पाचन तन्त्र में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : इस योग के तीन गुणकारी द्रव्यों को अलग अलग देखें तो सोंठ हमारे शरीर पर कोशिकीय स्तर पर जीर्णोद्धार का कार्य करती है, काली मिर्च आमाशय से अतिरिक्त वायु को हटाती है जिससे आहार का पाचन अच्छा होता है और पीपल पाचन तन्त्र के साथ साथ श्वसन तन्त्र के लिए भी अच्छा कार्य करती है। ( और पढ़े –पाचनतंत्र मजबूत करने के 24 घरेलु उपाय )

2. अजीर्ण में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : यह चूर्ण किसी भी प्रकार के उदर रोग में लाभकारी है। जैसे अजीर्ण, कब्ज , अतिसार, अफारा, अग्निमांद्य, आदि।

3. भूख बढ़ाने में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : यदि भूख लगना बन्द हो गई हो, छाती में जलन, अपचन, पेट का फूलना, क़ब्ज़ रहना आदि कोई भी समस्या में यह चूर्ण लाभ करता है।

4. चयापचय प्रक्रिया में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : यह चूर्ण आहार के पाचन के साथ-साथ पोषक तत्वों के अवशोषण में भी सहयोग करता है तथा शरीर की चयापचय प्रक्रिया को ठीक रखता है।

5. पेट दर्द में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : दरअसल इसके सेवन से आमाशय में अम्ल और पाचक रसों का स्राव पर्याप्त मात्रा में होता है। आज के प्रचलित उदर रोग जिसमें आंतों के कार्य अनियमित हो जाते हैं (Irritable Bowel Syndrome) जिसमें पेट का फूलना, पेट दर्द और अनियमित मल त्याग जैसे समस्याएं काफी समय से बनी रहती हैं, इस रोग में यह चूर्ण बहुत लाभकारी है।( और पढ़े – पेट दर्द या मरोड़ दूर करने के 10 घरेलू उपचार)

6. श्वसन तन्त्र के रोगों में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : उदर रोगों के अलावा यह श्वसन तन्त्र सम्बन्धी व्याधियों में भी लाभकारी है।

7. कफ खांसी में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : जीर्ण कफ की यह अच्छी औषधि है। ( और पढ़े –खांसी के घरेलू उपचार )

8. श्वास-कास में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : यह अतिरिक्त श्लेष्मा को हटाता है। तथा फेफड़ों से कफ बाहर निकालता है जिससे श्वास-कास में लाभ मिलता है।

9. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में त्रिकटु चूर्ण के फायदे : यह शरीर की रोगक्षमता (Immunity) बढ़ाते हुए कई रोगों से शरीर को बचाता है तथा शरीर में उत्पन्न विष तत्वों को शरीर से बाहर करता है।

10. त्वचा रोग में त्रिकटु चूर्ण के फायदे :
त्र्यूषणं दीपनं हन्ति श्वास-कास त्वगामयान् ।
गुल्म मेह कफ स्थौल्य मेदः श्लीपदपीनसान् ॥’
भावप्रकाश के अनुसार यह अग्नि को प्रदीप्त करता है, श्वास, खांसी, त्वचा के रोग, गुल्म, प्रमेह, कफ, स्थूलता, मेद, श्लीपद और पीनस रोग आदि को नष्ट करता है।

11. आभिन्यास बुखार : त्रिकुटु, त्रिफला तथा मुस्तक जड़, कटुकी प्रकन्द, निम्ब छाल, पटोल पत्र, वासा पुष्प व किरात तिक्त के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) और गुडूची को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना लें। इसे दिन में 3 बार लेने से आभिन्यास बुखार ठीक हो जाता है।

12. सन्निपात बुखार : त्रिकुटु (सोंठ, मिर्च और पीपल), त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला), पटोल के पत्तें, नीम की छाल, कुटकी, चिरायता, इन्द्रजौ, पाढ़ल और गिलोय आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह तथा शाम में करने से सन्निपात बुखार ठीक हो जाता है।

13. खांसी : त्रिकुटु के बारीक चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।

14. कब्ज : त्रिकुटु (सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) 30 ग्राम, पांचों प्रकार के नमक 50 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम रात को ठंडे पानी के साथ लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

15. जिगर (यकृत) का रोग : त्रिकुट, त्रिफला, सुहागे की खील, शुद्ध गन्धक, मुलहठी, करंज के बीज, हल्दी और शुद्ध जमालगोटा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पिसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद भांगरे के रस में मिलाकर 3 दिनों तक रख दें। इसे बीच-बीच में घोटते रहे। फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली खाना-खाने के बाद सेवन करने से यकृत के रोग में लाभ मिलता है।

16. जलोदर (पेट में पानी भर जाना) : त्रिकुटु, जवाखार और सेंधानमक को छाछ (मट्ठा) में मिलाकर पीने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।

17. पेट का दर्द : त्रिकुटु, चीता, अजवायन, हाऊबेर, सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण मिला लें। इसे छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

18. पीलिया : त्रिकुटु, चिरायता, बांसा, नीम की छाल, गिलोय और कुटकी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। फिर इसे छानकर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

19. बच्चों के रोग : त्रिकुटु, बड़ी करंज, सेंधानमक, पाढ़ और पहाड़ी करंज को पीसकर इसमें शहद और घी मिलाकर बच्चों को सेवन कराने से `सूखा रोग´ (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।

त्रिकटु चूर्ण के नुकसान : Trikatu Churna Side Effects in Hindi

Trikatu Churna s ke Nuksan

  • इसके दुष्प्रभाव नहीं होते अतः लम्बी समयावधि तक सेवन किया जा सकता है।

यह चूर्ण बना बनाया बाज़ार में मिलता है।

अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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