दाँत दर्द के 51 चमत्कारी घरेलू उपचार : Home Remedies for Toothache

Last Updated on March 21, 2024 by admin

दांत दर्द के कारण : dant dard ke karan

मसूढ़ा फूलना, मसूढ़ों से खून आना, दाँत हिलना, दाँत गिरना, दाँतों में दर्द होना तथा पायरिया आदि दाँतों के रोग कहलाते हैं। ये रोग उन्हीं लोगों को सताते हैं, जो लोग अपने दाँतों की सुबह और शाम को नियमित रूप से मंजन आदि द्वारा दाँतों को साफस्वच्छ रखकर सफाई नहीं रखते, उनका उचित व्यायाम नहीं होने देते हैं व तीव्र सेवनीय औषधियों का प्रयोग करते हैं, जिनका खान-पान अनियमित और अप्राकृतिक होता है और जो बहुत गर्म अथवा बहुत सर्द चीजों के खाने के आदी होते हैं तथा जिनका पेट साफ नहीं रहता-ऐसे लोगों का रक्त दूषित हो जाता है और उनका शरीर मल से परिपूरित ।

आहार विहार : aahar vihar

डॉक्टर मैकफेडन के कथनानुसार जो लोग प्राकृतिक सादा भोजन करते हैं, भोजन के प्रत्येक ग्रास को खूब भली-प्रकार चबाते हैं। सुबह और शाम नीम या ब्रबूल की दातुन, बलुई मिट्टी, नमक, तेल या नीबू के रस से दाँतों की मालिश करके उनको साफ रखते हैं तथा कैल्शियम, फॉस्फोरस एवें विटामिन ‘सी’ वाले खाद्य-पदार्थों अर्थात् कच्चा दूध, अंकुरित गेहूँ, सेम, सेम जाति के बीज, फल और पत्ता गोभी, पपीता, आँवला, करेला, परवल, बैंगन, लालशाक, पोईशाक, लेटिस, पालक, मूली, टमाटर, किशमिश, खजूर, खुबानी, बादाम, नीबू के सजातीय फल, अनन्नास, अंगूर, लहसुन, प्याज आदि को अपने भोजन में स्थान देते हैं, उन लोगों को दाँतों का कोई भी रोग कभी नहीं सताता है।

दांत दर्द के घरेलू उपचार : dant dard ke gharelu nuskhe

1.  हींग – हींग या लौंग पीसकर (दाँत के गड्डे) में भरने, या मलने, लहसुन पर नमक छिड़क कर चबाने या पिसा तम्बाकू मलने से दाँत का दर्द दूर हो जाता है।  ( और पढ़ें – दांत के दर्द के 12 नुस्खे )

2. कालीमिर्च कालीमिर्च, अकरकरा, लौंग, राई (सभी समान भाग) पीसकर मंजन करना भी दांतों के दर्द में उपयोगी है।

3. फिटकरी नौसादर 60 ग्राम, फिटकरी 120 ग्राम, बारीक पीसकर सिरका अंगूरी 240 ग्राम मिलाकर उबालें। जब सिरका खुश्क हो जाये तो कपड़े से छानकर रखलें । 250-500 मि.ग्रा. औषधि मसूढ़ों पर मलकर मुँह का पानी (लार) बहने दें। दाँत दर्द को तुरन्त आराम मिलेगा (थोड़ी देर तक कुछ भी खायें-पियें नहीं)   ( और पढ़ें – दांतों को मजबूत बनाने के 22 उपाय )

4. अजवायन सत   कपूर, सत अजवायन, पिपरमेण्ट तीनों समभाग लें और शीशी में डालकर रख दें। थोड़ी देर में तरल बन जायेगा। इसे ‘अमृत धारा’ भी कहते हैं। रुई के फाहे से 1-2 बूंद औषधि दांतों पर मलें । दर्द में तुरन्त लाभ होगा।

dant dard ka gharelu nuskhe

5. लौंग का तेल लौंग का तेल (क्लोव आयल) फुरैरी में भिगोकर पीड़ित दांत के तले । रखें तथा दूषित लार (स्राव) को बाहर गिरने दें। दन्त-पीड़ा में तुरन्त आराम मिलेगा। नोट-मसूढ़ों, तालु तथा जीभ पर न लगने दें अन्यथा वहाँ सिकुड़न तथा जलन उत्पन्न होगी तथा दांतदर्द के रोगी को ठन्डे पानी तथा मीठी वस्तुएँ भी इस्तेमाल न करने दें ताकि दर्द दुबारा प्रारम्भ न हो सके। यह परहेज कम से कम 2-3 दिन आवश्यक है।  ( और पढ़ें – दांत हिलने पर करें यह 10 उपाय  )

6. इरमेदादि तैल पहिले पेट साफ करने के लिए अरन्डी का तैल (कैस्टर आयल) देना चाहिए तथा बाद में पीड़ा शामक औषधि ‘कनक सुन्दर रस’ आदि दें। ‘इरमेदादि तैल’ के कुल्लों से पायोरिया जैसे कष्टसाध्य रोग भी नष्ट हो जाते है।

7. अफीम 1 मिलीग्राम अफीम को पानी में मिलाकर, रुई में भिगोकर दांत में रखने से दन्त पीड़ा नष्ट होती है।

8. बायबिडंग जिन्हें बार-बार दन्त पीड़ा की शिकायत हो उन्हें भोजन के पश्चात् नमक के पानी से कुल्ले करने चाहिए तथा मंजनादि करके भोजन आदि के मुख में फँसे समस्त कणों को खूब कुल्ला करके बाहर निकाल देना चाहिए। यदि दाँत खोखला हो तो-बायबिडंग का चूर्ण मोम में मिलाकर उसकी गोली बनाकर रखनी चाहिए तथा दांत के ऊपर गरम पानी या पोस्त के ढोके से गरम पानी की सेंक करना चाहिए।

9. नौसादर दाँढ़ की खोल (गड्ढा) में अफीम 1 मिलीग्राम में समभाग नौसादर मिलाकर गोली सी बनाकर छिद्र में रखकर दबा दें अर्थात दाँत-दाढ़ के सूराख में भर दें। सारी आयु के लिए शिकायत खत्म हो जायेगी। अनुभूत योग है।

10. सौंठ  नौसादर तथा सौंठ समभाग लेकर पीसकर दाँतों पर मलने तथा खोखले स्थान में भरने से दन्तकृमि तथा दन्तपीड़ा नष्ट हो जाती है।

11. नीलाथोथा नीलाथोथा कां फूला बनाकर पीसकर सुरक्षित रखलें। एक ग्राम की मात्रा में इसे पानी में घोलकर कल्ले करने से दन्त-शुल तथा दन्त-कृमि नष्ट हो जाते हैं।

12). काली मिर्च पिसी हुई काली मिर्च 2 ग्रेन की मात्रा में जरा से पानी में घोलकर कान में टपकाने से दन्तपीड़ा तुरन्त मिट जाती है। जब पीड़ा मिट जाये तो कान में 3-4 बूंद घी टपका दें, इससे कान की सूजन दूर हो जायेगी।  ( और पढ़ें – काली मिर्च के 51 स्वास्थ्य लाभ )

13. कपूर   जरा सा कपूर दर्द वाले दाँत पर रखकर दबा लें, यदि दाढ़ में सूराख हो तो उसमें भर दें। तुरन्त दर्द दूर हो जायेगा।  ( और पढ़ें –कपूर के 93 फायदे )

14. लौंग और कपूर लौंग 10 ग्राम-कपूर 1 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर दाँतों पर मलने से समस्त दन्तविकार एवं दन्तपीड़ा नष्ट हो जाती है।

16. मौलश्री मौलश्री की छाल सूखी हुई 250 ग्राम कूटपीस कर कपड़छन करके मंजन बनाकर प्रयोग करने से (दिन में 2 बार, सुबह शाम) तथा आधा घन्टे बाद कुल्ला करने से पायोरिया आदि विकार दूर होकर दाँत मोती की भाँति श्वेत एवं वज्र के समान आजीवन दृढ़ रहते हैं।

17. सीप – सीप को जलाकर थोड़े नमक के साथ पीस छानकर प्रतिदिन मंजन करने से दांतों का मैल साफ होकर वे मोती की भाँति चमक जाते हैं।

18. सेंधा नमक –  सेंधा नमक तथा सरसों का तेल मिलाकर मंजन करने से पायोरिया व दांत का हिलना आदि रोग दूर हो जाते है। ( और पढ़ें – सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिये वरदान  )

19. जामुन की लकड़ी जामुन की लकड़ी के कोयले को पीसकर मंजन की भाँति प्रयोग करने से दांत चमकीले होते हैं तथा दर्द दूर हो जाता है।  ( और पढ़ें – जामुन के 51 औषधीय गुण )

20. खाने का सोडा सोड़ा बाई कार्ब (खाने का सोडा) और हल्दी दोनों को मिलाकर मंजन करने से दाँतों के समस्त विकारों में लाभ होता है।

21. नीम नीम के सुखाकर जले हुए पत्ते 100 ग्राम में 10 ग्राम सैन्धा नमक मिलाकर मंजन करने से दाँत उज्ज्वल तथा मजबूत हो जाते है।  ( और पढ़ें –नीम मलहम बनाने की विधि   )

22. फिटकरी पिसी फिटकरी 250 ग्राम में 25 ग्राम गेरू मिलाकर मंजन करने से दाँतों से रक्त निकलना, पस आना, हिलना तथा दाँतों की गन्दगी आदि दूर हो जाती है।

23. सुपारी  सौंठ, लौंग, कालीमिर्च (प्रत्येक 20-20 ग्राम) सुपारी पुरानी 25 ग्राम, तम्बाकू के पत्ते 25 ग्राम, सेन्धा नमक 200 ग्राम, गेरू 250 ग्राम, सबको कूट-पीसकर मंजन बनाकर प्रयोग करने से हिलते हुए दाँत भी मजबूत होकर मोती की भाँति चमक उठते है।

24. बायविडंग – अजवायन खुरासानी, अकरकरा तथा बायविडंग तीनों को समभाग मिलाकर कूट-पीसकर मंजन बनाकर प्रयोग करने से दाँत स्वच्छ एवं दृढ़ होते हैं। 3-4 बार मलने से दन्त पीड़ा शान्त हो जाती है।

25. दालचीनी दालचीनी, कालीमिर्च, धनिया भुनाहुआ, नीलाथोथा भुनाहुआ, कपूरकचरी, सैन्धा नमक, मस्तंगी तथा चोबचीनी प्रत्येक 10-10 ग्राम, पपड़िया कत्था 20 ग्राम तथा माजूफल 5 नग लें। सबको कूटपीस कर मंजन बनाकर प्रयोग करने से दन्त रोग तो दूर होते ही है, इसके अतिरिक्त सिर के बाल जीवन भर सफेद नहीं होते हैं।  ( और पढ़ें –दालचीनी के 79 औषधीय उपयोग )

26. अकरकरा चूर्ण  दाँतों में कृमि लगकर यदि मसूढे खोखले हो गये हों तो उनमें अकरकरा का महीन चूर्ण भर देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।

27. अन्ननास दाढ़ या दांत में दर्द हो तो पके हुए अन्ननास का रस दर्द के स्थान पर लगाने से शीघ्र आराम होता है। छोटे बच्चों को जो दांत निकलने के समय कष्ट (पीड़ा) होती है वह भी इस अनन्नास के पके फलों के रस के मालिश से दूर हो जाती है तथा दांत आसानी से निकल आते हैं।  ( और पढ़ें – अनन्नास खाने के 40 फायदे )

28. अपामार्ग (चिरचिटा) दांतो में टीस मारती हों, मसूढ़ों से रक्तस्राव होता हो, दाँत हिलते हों या उनमें दुर्गन्ध आती हो अथवा पायोरिया की प्रारम्भिक अवस्था हो तो अपामार्ग (चिरचिटा) की मोटी ताजी लकड़ी या जड़ से दातुन करें। कुछ दिनों के नियमित प्रयोग से यह समस्त विकार दूर हो जाते हैं।

29. आम की गुठली  आम के पत्तों या उसकी गुठली को जलाकर उसकी कपड़छन राख को मंजन की भाँति प्रयोग करने से दाँत दृढ़ होते हैं तथा दन्तपूय आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।

30. जंगली गूलर  जंगली गूलर की प्रशाखा (जो कोमल हो) से या उसकी छाल के चूर्ण से दातुन अथवा मंजन करने से दांत स्वच्छ एवं सुदृढ़ होते है तथा दन्तशूल आदि विकार नष्ट हो जाते है।

31. जायफल जायफल के तेल में भिगोकर रुई का फाया दाँत या दाढ़ के कोटर (खोखला स्थल) में रखने से कीटाणु नष्ट होकर विकार दूर हो जाता है।  ( और पढ़ें – जायफल के 58 अदभुत फायदे)

32. ज्वार ज्वार के दानों को जलाकर मंजन की भांति प्रयोग करने से दाँतों का हिलना, दन्त पीड़ा एवं मसूढ़ों की सूजन नष्ट हो जाती है।

33. झाऊ झाबुक (झाऊ) (यह नदियों के किनारे रेतीले स्थलों में उत्पन्न होती है।) के चूर्ण का मंजन करने से दन्तपीड़ा एवं मसूढ़ों की शिथिलता में विशेष लाभ होता है।

34. तम्बाकू तम्बाकू (सुरती) एवं काली मिर्च 10-10 ग्राम तथा सांभर नमक 2 ग्राम एकत्र कर महीन पीसकर मंजन की भाँति दिन में 2-3 बार प्रयोग करने से दाँतों की वेदना एवं मसूढ़ों की सूजन नष्ट हो जाती है।

35. नीबू मसूढ़ों एवं दाँतों पर प्रतिदिन नीबू का रस या उसकी फाँक को धीरे धीरे मालिश करने से स्कर्वी, पायरिया, दन्तकृमि, मसूढ़ों की सूजन आदि में विशेष लाभ होता है।

36. नीम की दांतुन – नीम की पतली कोमल शाखा से प्रतिदिन दांतुन करने से समस्त दन्त विकार नष्ट होते हैं दांत में कृमि नहीं लगते हैं, किन्तु इस दातुन को देर तक मुख में नहीं रखना चाहिए तथा जल से खूब कुल्ले कर मुख स्वच्छ कर लेना चाहिए।

37. बरगद का दूध –  डाढ़ के दर्द या कृमिविकार में बरगद के दूध का फाहा भिगोकर छिद्र में धरने से दुर्गन्ध एवं कृमि नष्ट होकर दन्तशूल ठीक हो जाता है।

38. छोटी इलायची  वंशलोचन, छोटी इलायची केज व रूमी मस्तंगी (समभाग) महीन पीसकर मंजन की भांति प्रयोग करने से (दिन में 2 बार) दाँतों का मैल एवं दन्त विकार दूर होकर दाँत मोती के समान चमकने लगते हैं।

39. बादाम के छिलके  बादाम के छिलकों के कोयले 1 भाग में आधा-आधा भाग काली मिर्च तथा सैन्धा नमक मिलाकर खूब कूटपीस एवं छानकर मंजन की भाँति प्रयोग करने से मसूढ़ों से रक्तस्राव एवं दांतों का हिलना आदि विकार दूर हो जाते हैं।

40. भांगरे का रस – रोगी के जिस दाढ़ या दाँत में दर्द हो उसके विपरीत कान के भीतर भांगरे के स्वरस की 2-4 बूदें टपका देने से दाँत दर्द शीघ्र ही दूर हो जाता है।

41. माजूफल  मसूढे शिथिल होकर दांत हिलते हों तो माजूफल, कपूर, सफेद कत्था फूली हुई फिटकरी का 1-1 भाग तथा सैलखड़ी का चूर्ण 12 भाग मिलाकर मंजन करने से दाँत अवश्य ही दृढ़ हो जाते हैं।

42. तिल तेल – दाँतों में वेदना होने पर मुँह में 20 ग्राम तिल अथवा सरसों का तैल 5-7 मिनट तक भरे रखकर थूक देवें, फिर गुनगुने जल में हींग मिलाकर कुल्ला करलें। अवश्य लाभ होगा।

43. सुपारी की राख – सुपारी को जलाकर उसकी राख को मंजन की भांति दाँतों पर मलने से मसूढ़ों से होने वाला रक्तस्राव रुक जाता है।

44. हल्दी – हल्दी महीन पीसकर कपड़े में रखकर दुखते दाँत के नीचे रखने या हल्दी चूर्ण को ही मंजन की भाँति प्रयोग करने दाँत का दर्द ठीक हो जाता है।

45. अदरक अदरक के पतले कतलों पर नमक लगाकर पीडायुक्त दाँत के नीचे दबाकर रखने से सर्दी के कारण होने वाला दाँत दर्द-दूर हो जाता है।

46. चूना – यदि किसी तरह दन्त-शूल शान्त न होता हो तो तूतिया में थोड़ा बुझा हुआ चूना मिलाकर कृमिदन्त के छिद्र में भर दें। दन्तशूल में तुरन्त ही शर्तिया लाभ होगा।

47. वच  कपूर, हींग, वच तथा दालचीनी चारों को समभाग मिलाकर कपड़छन कर के थोड़ा या चूर्ण कपड़े में बाँधकर दाँतों के बीच दबा लेने से कृमि नष्ट होकर, दाढ़ या दांत का दर्द उसी समय शान्त हो जाता है।

48. काली मिर्च चूर्ण   नमक 6 ग्राम तथा काली मिर्च 6 ग्राम का चूर्ण बनाकर शुद्ध सरसों के तैल में मिलाकर ऊँगली से दाँतों पर 10 मिनट तक मला जाये तो दाँतो की पीड़ा तथा पायरिया में विशेष लाभ होता है।

49. गुड़ का शर्बत यदि मसूढ़े सूज गये हों तो गुड़ का शर्बत बनाकर गर्म कर, मुख में रखकर 3-4 बार कुल्ला करावें । दन्तशूल, पायरिया में विशेष लाभकारी है।

50. जीरा मसूढ़ों में तीव्र दर्द हो तो जीरा तवे पर भूनकर उसमें बराबर सैन्धा नमक मिलाकर, बारीक पीसकर इसे धीरे-धीरे मसूढ़े पर मलने से शीघ्र ही मसूढे की सूजन दूर होकर दन्त शूल नष्ट हो जाता है।

51. स्प्रिट कपूर 25 ग्राम को रैक्टीफाइड स्प्रिट 100 ग्राम में डाल लें। कपूर गल जाने पर 1 औंस दालचीनी का अर्क मिलालें । इसकी फुरहरी को डुबोकर पीड़ित दाढ़ या दाँत के पास मुख में दबा देने से लारस्राव होकर पीड़ा का निवारण हो जाता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...