राई के 35 लाजवाब फायदे व औषधीय प्रयोग | Rai (Mustard ) ke Fayde

Last Updated on March 25, 2023 by admin

राई के औषधीय गुण : Rai ke Aushadhiya Gun in Hindi

  • राई दस्तावर और पाचक गुणों से भरपूर होती है ।
  • बेहोशी में लाभप्रद है ।
  • यह गर्म है । इसको पीसकर लेप करने से छाला पड़ जाता है । इसीलिए पसली का दर्द, न्यूमोनिया, गठिया, आमाशय, यकृत और तिल्ली में इसका लेप अथवा पुल्टिस लगाया जाता है ।
  • यह स्वाद में कड़वी और तेज होती है ।
  • इसका पौधा सरसों की भाँति होता है।

राई के सेवन की मात्रा : Rai Sevan ki Matra

राई की मात्रा 4 से 6 ग्राम ।

राई के फायदे और उपयोग : Rai Ke Labh in Hindi

1. दर्द – दर्द वाली जगह पर राई 6 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीसकर हल्की गरम करके छिड़क कर बाँधना अत्यन्त लाभप्रद है। यदि इस प्रयोग से जलन पड़ने लगे तो तुरन्त राई को उतार कर फेंक दें और रुई गरम करके बाँध दें । इस क्रिया से दर्द बन्द हो जाता है।

2. नशा उतारने में – 1 गिलास में 3-4 चम्मच राई मिलाकर पानी पिलाने से वमन (कै) शुरू हो जाती है और इस प्रकार प्रारम्भ हुई वमन से-कमजोरी भी नहीं आती है। अफीम का नशा उतारने के लिए यह एक उत्तम और निरापद प्रयोग है ।

Rai (Mustard) Ke Benefits in Hindi Me

3. कफ- आमाशय में बलगम एकत्र हो जाने पर 10 ग्राम राई को पीसकर गरम पानी में मिलाकर पिलाने से कै प्रारम्भ होकर बलगम निकल जाता है । इसे पिलाने से यदि कै नहीं आये तो अपनी ऊँगली गले में डालकर उल्टी करें ।   ( और पढ़ें – कफ दूर करने के 35 घरेलु उपचार )

4. हाजमा – 1 चुटकी राई को सब्जी में डालकर खाते रहने से खाना अच्छी तरह हजम हो जाता है तथा भूख खुलकर लगने लगती है।  ( और पढ़ें – पाचनतंत्र मजबूत करने के 24 घरेलु नुस्खे)

5. अरन्डी के पत्तों पर राई का तैल चुपड़कर इनको गरम करके बाँधने से शरीर में किसी अंग विशेष में किसी कारण से जमा रक्त बिखर जाता है ।

6. मृगी- पिसी हुई राई को सुंघाने से मृगी की मूच्र्छा दूर हो जाती है।  ( और पढ़ें – मिर्गी (अपरमार) के 12 घरेलु उपचार )

7. जुकाम-राई को शहद में मिलाकर सुंघाने से जुकाम दूर हो जाता है।  ( और पढ़ें – सर्दी-जुकाम में तुरंत राहत देते है यह 20 आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )

8. सूजन- गठिया की सूजन में राई का लेप करना अत्यन्त लाभप्रद है।  ( और पढ़ें – मोच एवं सूजन में तुरंत राहत देते है यह 28 घरेलु उपाय )

9. सूखी खुजली- राई को गोमूत्र में पीसकर (पीसते समय 1-2 चुटकी हल्दी चूर्ण मिलालें) चटनी की तरह पिसने पर कडूवा तैल मिलाकर शरीर में सूखी खुजली वाले स्थान पर मालिश करें तथा एक घंटा बाद चिकनी मिट्टी लगाकर स्नान कर लें। स्नाननोपरान्त शरीर पर कपूर मिला राई अथवा सरसों का तैल की मालिश करें । यह प्रयोग 1 सप्ताह करने से सूखी खुजली नष्ट हो जाती है। ( और पढ़ें –दाद खाज खुजली के 7 रामबाण घरेलु उपचार  )

10. प्रतिश्याय- 4-6 रत्ती राई को 1 माशा शक्कर में मिलाकर जल के साथ खाने से प्रतिश्याय नष्ट हो जाता है।

11. उदर शूल – राई का चूर्ण 2 माशा थोड़ी सी शक्कर के साथ खाकर ऊपर से 50 ग्राम जल पीने से अपचन और उदर शूल नष्ट हो जाता है । ( और पढ़ें – पेट दर्द या मरोड़ दूर करने के 10 रामबाण घरेलु उपचार )

12. नेत्रों में फूला पड़ने पर राई का अंजन के रूप में उपयोग लाभकारी है।

13. विष – विष भक्षण में 2 माशा राई चूर्ण को 60 तोला शीतल जल में मिलाकर पिला देने से वमन होकर विष निकल जाता है ।

14. मासिक- 1 तोला राई को जल के साथ पीसकर इसे जम्बीरी के रस के साथ घोलकर पतला कर लें । इसमें दो आने भर सोहागे का पिसा हुआ लावा तथा 4 आने भर सेंधा नमक मिलाकर रखलें । (यह एक खुराक है) । इस चटनी को भोजन के साथ व्यवहार करने से मात्र 12 सप्ताह में ही मासिकधर्म खुलकर होगा । यदि राई की पट्टी को पेडू पर भी बाँध लिया जाए तो और भी अधिक लाभप्रद है । यदि रजोदर्शन में गड़बड़ी हो जाए तो नियत समय पर न आता हो अथवा पेडू में दर्द, नेत्रों में जलन, मस्तिष्क में चक्कर, भूख में कमी आदि लक्षणों के साथ मासिक है तो इस चटनी का सेवन अत्यधिक लाभप्रद साबित होता है ।

राई की पट्टी बनाने की विधि – दो तोला राई को घृतकुमारी (घी कुआर) के रस के साथ पीस, तलहथी के समान चौड़े और दो बालिस्त लम्बे तथा स्वच्छ कपड़े के आधे हिस्से पर फैला दें तथा शेष खाली कपड़ा को ऊपर से ढंक दें और कडुवा तैल चुपड़कर पट्टी चिपका दें । दो घंटे बाद इसे हटा दें । प्रतिदिन एक पट्टी 12 सप्ताह तक मासिकधर्म खोलने के लिए पेडू पर इसी प्रकार बाँधे । यह उपयुर्वक्त योग की सहायक औषधि है ।  ( और पढ़ें – मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करते है यह 19 घरेलू उपचार  )

15. वात – शरीर में वात वृद्धि होने पर राई के तेल में पूड़ी आदि तलकर खायें तथा राई और सरसों का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करें । । (नोट-मस्तिष्क आदि कोमल स्थानों और नेत्रों पर तेल न लगावें अन्यथा तीव्र जलन होगी)  ( और पढ़ें –वात नाशक 50 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )

16. सन्धिशूल – सन्धिशूल व अर्धांगवात में आमवात या पूयमेह के कारण अथवा किसी भी अन्य कारणों से जोड़ों पर सूजन आ गई हो और उसमें वेदना होती हो अथवा अर्धागवात से अंग शून्य (सुन्न) हो गया हो तो कर मिले हुए राई के तैल की मालिश करने से रक्त संचालन क्रिया बलवान होकर रोग उत्पन्न होने के दोष मिट जाते हैं । सन्धिशूल में त्वचा के नीचे जल एकत्रित हुआ हो तो तैल मालिश न करके उसपर सेंक और लेप आदि का उपचार करना लाभप्रद रहता है । ( और पढ़ें – जोड़ों का दर्द दूर करेंने के 17 घरेलु उपाय )

17. अंजनी- नेत्रों के पलकों पर निकलने वाली फुड़िया (अंजनी या गुहैरी) पर राई के नूर्ण को घृत में मिलाकर लेप करना लाभप्रद है।

18. बवासीर- अर्श (बवासीर) रोग में यदि कफ प्रधान मस्से हों, खुजली होती हो, खुजलाने में आनन्द आता हो तो ऐसे मस्सों पर राई का तैल लगाते रहने से मस्से मुरझा जाते हैं ।

19. काँच या काँटा चुभकर यदि चर्म में चला जाए और निकालने पर सरलता से नहीं निकले तो उस पर राई, घृत और शहद मिलाकर लेप कर देने से विजातीय द्रव्य ऊपर आ जाता है और स्पष्ट रूप से दिखलायी देने लगता है । तब उसे पकड़कर बाहर निकाल दें।

20. बेहोशी- अपस्मार की बेहोशी में राई के चूर्ण की नस्य देना हितकारी है। ( और पढ़ें – बेहोशी दूर करने के 43 सबसे कामयाब घरेलु उपचार  )

21. दन्तशूल- राई को गरम जल में मिलाकर कुल्ला करने से दन्तशूल नष्ट हो जाता है।  ( और पढ़ें – दाँत दर्द की छुट्टी कर देंगे यह 51 घरेलू उपचार  )

22. सफेद दाग- राई के आटे को आठगुने पुराने गोघृत में मिलाकर लेप करते रहने से कुछ ही दिनों में उस स्थान की रक्तसंचालन क्रिया बलवान होकर श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) दूर हो जाते हैं । ( और पढ़ें –सफेद दाग का कारण व आयुर्वेदिक इलाज )

23. काँख में गाँठ – कखौरी (काँख में गाँठ) को शीघ्र पकाने के लिए गुड़, गुग्गुल और राई को मिलाकर कपड़े की पट्टी लगाकर गरम करके चिपका दें । यदि पक गई. हो तो राई और लहसुन को पीसकर पुल्टिस बनावें । पुन: कखौरी पर रेडी का तैल या घी वाला हाथ लगाकर पुल्टिस बाँध देने से शीघ्र ही फूट जाती है ।

24. ज्वर – राई का आटा 4-4 रत्ती की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ चाटते | रहने से कफ प्रकोप से उत्पन्न (कफ ज्वर) ज्वर नष्ट हो जाता है ।

25. श्वास रोग – राई आधा माशे को घृत और शहद की असामान्य मात्रा में मिलाकर सुबहशाम चाटते रहने से कफ प्रकोप से उत्पन्न श्वास रोग का शमन हो जाता है।

26. सूजन – हाथ पाँव मुड़ जाने पर या अन्य किसी कारण से सूजन आ जाने पर एन्ड पत्र पर राई का तेल लगाकर गरम करके बाँध देने से शोथ दूर हो जाता है । इस प्रकार नमक को जल के साथ पीसकर लेप भी किया जाता है ।

27. मृत गर्भ- राई के 3 माशा आटा और भुनी हींग 4 रत्ती को थोड़ी सी कांजी में पीसकर पिला देने से मृत गर्भ बाहर निकल आता है।

28. कृमि – उदर में सूत्र-कृमि या धान्यांकुर के समान मुड़े हुए कृमि हो जाने पर राई का आटा 1 माशा 10 तोला गोमूत्र के साथ प्रात:काल को कुछ समय तक निरन्तर पीते रहने से कृमि निकल जाते हैं तथा भविष्य में उनकी उत्पत्ति बन्द हो जाती है। ( और पढ़ें – पेट के कीड़े दूर करने के 55 रामबाण आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )

29. खुजली – खल्वाट (गंजापन) में राई के फान्ट से सिर धोते रहने से बाल आ जाते हैं। सिर पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ व खुजली होना दूर हो जाता है तथा जुएँ भी मर जाती हैं।

30. हैजा – ज्वर और हैजा में रोगी कभी-कभी एकदम शीतल और अचेत हो जाता | है । ऐसी अवस्था में उसे उत्तेजना देने के लिए काँख और छाती पर राई का लेप करना अत्यन्त ही लाभप्रद होता है ।

31. हृदय रोग – हृदय कम्प, वेदना, निर्बलता, व्यग्रता ज्ञात हो तो हाथ-पैरों पर राई का मर्दन करने से रक्तसंचालन क्रिया शक्तिशाली होकर मानसिक उत्साह और हृदय की गति में उत्तेजना आ जाता है । ( और पढ़ें – हृदय की कमजोरी के असरकारक घरेलू उपचार )

32. गाँठ – शरीर के किसी भी स्थान पर गाँठ निकल आई हों और वह बढ़ रही हों तो उस पर राई और काली मिर्च के चूर्ण को घृत में मिलाकर लेप करने से वृद्धि रुक जाती है ।

33. रसौली और अर्बुदों की वृद्धि रोकने के लिए राई के चूर्ण को घृत और मधु में मिलाकर लेप कर देने से कृमि मर जाते हैं ।

34. शैय्या मूत्र –राई का चूर्ण 3 माशा ठण्डे पानी से भोजन के बाद दें । यह बच्चों के शैय्या (बिस्तर) पर मूत्र करना में अत्यन्त गुणकारी योग है। ( और पढ़ें –बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या से छुटकारा देंगे यह 20 घरेलु उपचार )

35. सन्निपात के श्रम में गले पर राई का लेप करें । त्वचा लाल हो जाने पर लेप को हटाकर घी अथवा तैल लगादें । लाभप्रद है।

राई के नुकसान : Rai (Mustard) Ke nuksan

यह नशा लाती है और त्वचा में जख्म डालती है । गरम प्रकृति वालों के लिए हानिकारक है। प्यास बड़ाती है ।

राई के दोषों को दूर करने के लिए :

इसकी बदल शलजम और राल है। इसके दर्प को नाश करने हेतु कासनी और रोगन बादाम, सिरका, बुरा अरमनी का सेवन करना चाहिए

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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