ब्रोंकाइटिस: श्वासनली की सूजन दूर करने के 19 आयुर्वेदिक नुस्खे

Last Updated on March 17, 2024 by admin

श्वासनली की सूजन क्या है ? (bronchitis in hindi)

श्वांसनली के अन्दर श्लैष्मिक झिल्ली में जलन व सूजन होने को श्वांसनली की सूजन या ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इसमें श्वास नली की दीवारें इन्फेक्शन व सूजन की वजह से अनावश्यक रूप से कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से इनका आकार नलीनुमा न रहकर गुब्बारेनुमा या फिर सिलेंडरनुमा हो जाता है। फलस्वरूप ये दीवारें इकट्ठा हुए बलगम को बाहर ढकेलने में असमर्थ हो जाती हैं।

इसका परिणाम यह होता है कि श्वास की नलियों में गाढ़े बलगम का भयंकर जमाव हो जाता है, जो नलियों में रुकावट पैदा कर देता है। इस रुकावट की वजह से नलियों से जुड़ा हुआ फेफड़े का अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त व नष्ट होकर सिकुड़ जाता है या गुब्बारेनुमा होकर फूल जाता है। क्षतिग्रस्त भाग में स्थित फेफड़े को सप्लाई करने वाली धमनी व गिल्टी भी आकार में बड़ी हो जाती है। इन सबका मिला-जुला परिणाम यह होता है कि क्षतिग्रस्त फेफड़ा व श्वास नली अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाते और मरीज के शरीर में तरह-तरह की जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं।
बच्चे और बूढ़े को जब यह रोग होता है तो उसे सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। इस रोग का सही समय पर उपचार न कराने से यह रोग पुराना हो जाता है।

श्वासनली की सूजन के कारण ? (swans nali me sujan ke karan)

श्वांसनली की सूजन कई कारणों से होती है जैसे –

अधिक देर तक गीले कपड़े पहनना, पानी में भीगना और ठंड़ लगना आदि।

श्वासनली की सूजन के लक्षण (swans nali me sujan ke lakshan in hindi)

  • ब्रोंकाइटिस या श्वांसनली की सूजन रोग से पीड़ित रोगी को आलस्य, सिर दर्द, स्वरभंग (गला बैठना), हल्का बुखार एवं सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • इस रोग में रोगी को खांसी और सांसनली की सूजन भी आ जाती है।
  • साँस का फूलना ।
  • न थमने वाली व काफी देर तक चलने वाली खाँसी ।
  • खाँसी के साथ बहुत गाढ़ा व मवादनुमा बलगम का आना ।
  • कभी-कभी केवल सूखी खाँसी का निरंतर आना और साँस लेते समय छाती में गड़-गड़ की आवाज होना ।

श्वासनली की सूजन का घरेलू उपचार (swans nali me sujan ke gharelu ilaj)

1) आक (मदार) : aak se swans nali me sujan ka upay
आक (मदार) की जड़ की छाल का बारीक चूर्ण 20 ग्राम और सेंधा नमक 70 ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से सांसनली की सूजन व जलन दूर होती है।

2) अड़ूसा : adusa se swans nali me sujan ka upay
नये वायु प्रणाली के शोथ (ब्रोंकाइटिस) में अड़ूसा, कंटकारी, जवासा, नागरमोथा और सोंठ का काढ़ा उपयोगी होता है।

3) दमनपापड़ा : damanpapda se swans nali me sujan ka upay
सांसनली की सूजन से पीड़ित रोगी को दमन पापड़ा का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से कफ ढीला होकर निकलने लगता है। इसे लगभग 25 से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए और साथ ही दमन पापड़ा का सेवन चिलम में भरकर धूम्रपान की तरह करना चाहिए।

4) सम्भालू (सिनुआर) : sambhalu se swans nali me sujan ka upchar
सम्भालू (सिनुआर) के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम रोगी को पिलाएं और साथ ही सिनुआर, करंज, नीम और धतूरे के पत्तों को पीसकर हल्का सा गर्म करके छाती पर लेप करें। इससे वायु प्रणाली की सूजन में आराम मिलता है।

5) अपामार्ग : apamarga se swans nali me sujan ka upchar
सांसनली का सूज जाना और उसमें कफ जमा होना आदि लक्षणों में रोगी को अपामार्ग (चिरचिटी) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद को एक साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे सांसनली में जमा कफ निकल जाता है और ब्रोंकाइटिस ठीक होता है।

6) बान्दा (बांझी) : बान्दा (बांझी) के फूलों का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से वायु प्रणाली की सूजन और ब्रोंकाइटिस ठीक होता है।

7) तोदरी : श्वांसनली की सूजन में तोदरी के बीज का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से कफ निकलकर बुखार नष्ट होता है। इससे ब्रोंकाइटिस रोग ठीक होता है।

8) वासा : वासावलेह 6 से 10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से वायुनली की सूजन दूर होती है।

9) अदरक : adrak se swans nali me sujan ka upchar
ब्रोंकाइटिस रोग से पीड़ित रोगी को 15 ग्राम अदरक, 4 बादाम की गिरी और 8 मुनक्का को एक साथ पीसकर गर्म पानी से सेवन करें। इसका सेवन प्रतिदिन सेवन करने से ब्रोंकाइटिस रोग ठीक होता है।

10) सोंठ :

  • सोंठ, कालीमिर्च और हल्दी तीनों वस्तुओं का अलग-अलग चूर्ण बना लेते हैं। प्रत्येक का 4-4 चम्मच चूर्ण लेकर मिला लेते हैं और इसे कार्क की शीशी में भरकर रख लेते हैं। इसे 2 ग्राम (आधा चम्मच) गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए। इससे श्वासनली की सूजन और दर्द में लाभ मिलता हैं। ब्रोंकाइटिस के अतिरक्त यह खांसी, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, हिपशूल में लाभदायक होता है। इसे आवश्यकतानुसार एक हफ्ते तक लेना चाहिए। पूर्ण रूप से लाभ न होने पर इसे 4-5 बार ले सकते हैं।
  • सोंठ और कायफल को मिलाकर बनाए गये काढे़ का सेवन करने से वायु प्रणाली के शोथ में लाभ मिलता है।

11) घी : घी में भुना हुआ हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम प्रतिदिन 2 बार देते रहने से श्वासनलिका शोथ (वायु प्रणाली शोथ) ठीक हो जाती है।

12) यवाक्षार : यवाक्षार लगभग आधा ग्राम, अड़ूसा का रस 10 बूंद और लौंग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणालीय (श्वसनिका) शोथ में लाभ होता है।

13) गुग्गुल : गुग्गुल लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में लेकर गुड़ के साथ 2-3 बार सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में लाभ मिलता है।

14) प्याज : pyaj se swans nali me sujan ka upchar
वायु प्रणाली के जीर्णशोथ (पुरानी सूजन में) प्याज लाभकारी होती है। बच्चों को प्याज के रस में मिश्री मिलाकर देना चाहिए। वृद्धों को प्याज पकाकर सेवन करना चाहिए। इससे वायुप्रणाली का शोथ नष्ट हो जाता है।

15) तारपीन का तेल : जीर्णश्वसनीशोथ (पुरानी श्वास नली की सूजन) या ब्रोंकाइटिस से पीड़ित रोगी को तारपीन का तेल 3 से 10 बूंद की मात्रा में सेवन कराना चाहिए। इसके सेवन से श्वांसनली में जमा कफ निकल जाता है और साथ ही कीटाणु भी नष्ट होते हैं। इसका सेवन करने से सांस की दुर्गंध भी दूर होती है।

16) गठिवन (बनतुलसी) : गठिवन के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम रोगी को पिलाने से श्वसनिका शोथ में बहुत लाभ मिलता है।

17) तालिस पत्र : पुरानी श्वासनली की सूजन से पीड़ित रोगी को तालिसपत्र का काढ़ा या इसे पीसकर गर्म पानी में मिलाकर व छानकर सेवन करना चाहिए। इसे प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पुरानी सांस नली की सूजन ठीक होती है। इस रोग में शीतलचीनी का तेल गर्म पानी में मिलाकर उसका भाप लेने से भी सांसनली की सूजन दूर होती है।

18) पान : paan se swans nali me sujan ka upchar
पान का रस 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से ब्रोंकाइटिस अर्थात सांस नली की सूजन दूर होती है। इसके सेवन से सांस की परेशानी दूर होती है।

19) भटकटैया : भटकटैया की जड़ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से ब्रोंकाइटिस रोग ठीक होता है।

Read the English translation of this article hereBronchitis:19 Home Remedies for Bronchitis Problems

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

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