फलों का सिरताज अनन्नास | Ananas Khane Ke Labh Hindi Mein

Last Updated on July 22, 2019 by admin

चमत्कारी फल अनन्नास : Pineapple(Ananas)In Hindi

रसीले फलों में अनन्नास सिरताज माना गया है। खट्टा-मीठा, सोंधा और तीखे स्वाद वाला यह फल अपनी तासीर और फायदों के लिये प्रसिद्ध है। यह प्रायः गर्मियों से बारिश के बीच बड़ी तादादमें उपलब्ध रहता है।
अनन्नास ब्रोमीलीआ (आपनस) नामक विशाल वनस्पति-कुलका सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम
‘एनानास कोमोसस’ है। कहते हैं कि जब क्रिस्टोफर कोलम्बस अमरीका की अपनी द्वितीय समुद्री यात्रा पर निकला तो मार्गमें वेस्टइंडीज के गवडएलअप द्वीप के लोगों को उसने यह फल खाते देखा। देवदारु वृक्ष के शंकु फलों की तरह दिखायी देने के कारण उसने इस फलको ‘इंडीजके देवदारु’ कहा और इस तरह पहली बार शेष दुनिया को इस फल के बारे में जानकारी मिली।

भारत में अनन्नास सन् १५५० ई० के आसपास समुद्री यात्रा करने वाले पुर्तगालियों के माध्यम से पहुँचा और जल्दी ही यहाँसे चीन सहित समस्त दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिणी प्रशान्त सागर के द्वीपों में भी लोकप्रिय हो गया। इसके गुणों और उपयोगिता को देखते हुए १७ वीं शती के मध्य में यूरोप के विभिन्न भागों, विशेषतः इंग्लैण्ड और फ्रांस में इसकी खेती व्यापक पैमाने पर प्रारम्भ हो गयी।

सुन्दर दिखनेवाला यह रसीला फल वास्तव में सौसे दो सौ तक की संख्या में परस्पर जुड़े लघु फलों (जिन्हें इसकी आँखें भी कहा जाता है)-के संयोगसे बना होता है। प्रत्येक आँख एक पृथक् फूल और उसके आसपासके भागों से बनती है। अनन्नास के शिरोमणि को काटकर मिट्टी में दबा देने से दूसरा पौधा तैयार किया जा सकता है। वैसे इसके पौधे के तने पर अँखुए निकले रहते हैं, उनसे भी अन्य पौधे उगाये जाते हैं। इन पौधोंके तने छोटे-छोटे और गूदेदार होते हैं, जिनपर अनन्नास लगभग एक मीटर लम्बी आरीके-से किनारोंवाली सख्त पत्तियों के साथ गुच्छों से उगता है। इस गुच्छे को उत्पन्न होने में प्रायः एकसे दो साल तक का समय लगता है। यह अवधि अनन्नास की प्रजाति पर भी निर्भर करती है। परंतु सुमधुर और रसीला होने में इसे लगभग चार माह की अवधि और लग जाती है। जब इसकी सतहपर बनी असंख्य आँखें खुलने-सी लगती हैं, तब इसका अर्थ होता है कि अब फल पक गया है।

कहते हैं कि अनन्नास के जितने उपयोग होते हैं, उतनी ही इसकी आँखें भी होती हैं। स्वादिष्ठ होने के साथ-ही-साथ यह विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ तथा कुछ हदतक विटामिन ‘बी’ का भी उत्तम स्रोत है। इसका रस पाचनशक्ति में सहायक होता है तथा अम्ल जनित बदहजमी में राहत पहुँचाता है। परम्परागत घरेलू दवा के तौर पर बच्चों के पेट में उत्पन्न होनेवाले कृमियोंको नष्ट करने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है। छोटे एवं कच्चे अनन्नास में एक विषैला तत्त्व होता है, जिसका तीव्र शुद्धिकारक तत्त्व के रूपमें प्रयोग किया जाता है।

फलके अतिरिक्त इसके पत्तोंका उपयोग भी कोई कम नहीं है। इसके पत्ते सख्त होते हैं। इन के रेशे से महीन अर्ध पारदर्शी कपड़ा बुना जाता है।
चीन में इन रेशों को तिनकों और बाँस के साथ मिश्रित करके कागज बनाया जाता है। जिसपर बड़ी सुन्दर चित्रकारी की जाती है। अनन्नास का छिलका भी बहुत उपयोगी है। कहीं-कहीं इस छिलकेसे सिरका बनाया जाता है, पर बहुधा इन्हें भट्ठी में सुखाकर जानवरों के लिये पोषक चारा तैयार किया जाता है। इसके रस से बने उपोत्पादों का भी तरल चीनी के रूपमें या सलकोबिर्क अम्ल तथा पेय एवं चिकित्सकीय उपयोग की दृष्टि से सिट्रिक अम्ल के तौरपर प्रयोग होता है। इसके एसेन्स का स्वाद तथा सुगन्ध के लिये प्रयोग किया जाता है। इसका मुरब्बा भी बहुतस्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।

अनन्नास के पोषक तत्व / आहार मूल्य :

अनन्नास में उच्च आहार मूल्य समाहित हैं। खाद्य भाग ताजा फल का 60 प्रतिशत रहता है। अनुमानतः इसमें प्रति 100 ग्राम में जल 87.8, प्रोटीन 0.4, वसा 0.1, खनिज पदार्थ 0.4, रेशा 0.5 और कार्बोहाइड्रेट 10.8 प्रतिशत रहता है। इसके खनिज पदार्थ और विटामिन पदार्थ की मात्रा कैल्सियम 20, फॉस्फोरस 9, लौह 1.2, कैरोटीन 18, थायमिन 0.20, रिबोफ्लोविन 0.12, नायमिन 0.1 और विटामिन ‘सी’ 39 मि.ग्रा. रहता है। इसका कैलोरिक मूल्य 46 है।
सामान्यत: इसमें स्टार्च नहीं रहता, क्योंकि जैसे ही फल पकता है, तने का स्टार्च शर्करा में बदल जाता है। अनन्नास में क्षारीय प्रतिक्रिया होती है। फल का गूदा एक प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है और कठोर छिलका इसे महामारी एवं कीटनाशकों दोनों से सुरक्षित रखता है।

अनन्नास के औषधीय उपयोग एवं लाभ :

चिकित्सा की दृष्टि से अनन्नास अति महत्त्वपूर्ण फलों में से एक है। इसमें ब्रोमोलिन नामक रस उपस्थित रहता है, जो काफी हद तक पपैन के समान होता है। यह पाचक और पोषक तत्त्वों के घुलने में मदद करता है और शरीर के तरल पदार्थ को बहुत अम्लीय या क्षारीय होने से रोकता है। यह मांस, अंडे की सफेदी, दूध के केसिन, मछली और दालों को पचाने में मदद करता है। अतः यह प्रोटीनयुक्त भोजन के अंत में लेना बहुत फायदेमंद है।

अनन्नास का रस महत्त्वपूर्ण फलों के रसों में से एक है। सौभाग्य से यह रस डिब्बाबंद रसों के रूप में हमेशा उपलब्ध रहता है, जो उतना ही गुणकारी होता है जितना ताजे फल का रस। जब ताजा रस में शहद मिलाया जाता है तो यह कमजोर मरीजों का अति पोषक और स्फूर्तिदायक पेय बन जाता है।

1- बदहजमी :
अनन्नास बदहजमी में टॉनिक के रूप में उपयोगी है। इसके रस का सेवन पाचन अवरोधों को दूर कर बदहजमी ठीक करता है। सामान्य अवस्था में आधा गिलास रस भोजन के बाद लेना चाहिए।

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2-गले के विकारों में :
अनन्नास के ताजा रस से गले में उपशामक प्रभाव रहता है। यह स्वरतंत्रिका के संक्रमण को रोकने में उपयोगी है। यह गायकों के लिए बहुत उपयोगी है, जो गले को स्वस्थ रखने के लिए बहुधा इसका सेवन करते हैं। डिफ्थीरिया में गले की मृत झिल्लियों को हटाने के लिए इसके रस की कुल्ली करते हैं।

3-गुरदे की अनियमितताएँ :
इसके रस में चूँकि पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन रहता है, अतः यह गुरदे की गतिविधियों को उत्तेजित करता है और शरीर से बहुत से अनुपयोगी पदार्थ बाहर निकालने में मदद करता है। इसी कारण रोग में काफी राहत पहुँचाता है। नैसर्गिक पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होने के कारण गुरदे की बीमारियों, अल्पमूत्र और मासिक धर्म में होनेवाली जलन आदि में इसका उपयोग लाभदायी होता है।

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4-त्वचा संबंधी शिकायतें :
गोखरू (corn) और मस्से पर इसका रस लगाने से वे धीरे-धीरे घुल जाते हैं। कई गंभीर त्वचा रोगों (कुष्ठ रोग सहित) के उपचार में भी यह उपयोगी है। कच्चे फल का ताजा रस यदि घाव पर लगाया जाए तो घाव भरने का कार्य करता है।

5-क्षय रोग :
अनन्नास का रस क्षय रोग के उपचार में सहायक है। पहले, जब क्षय रोग की चिकित्सा विकसित नहीं थी तब, जब यह रोग किसी व्यक्ति को होता था तो उसे अनन्नास के रस का सेवन कराया जाता था। इसका रस रोगी के बलगम के शमन में प्रभावकारी असर करता है और इससे स्वास्थ्य-लाभ में बहुत अच्छी सहायता मिलती है।

6-धूमपान के दुष्प्रभाव :
अनन्नास का नियमित रूप से सेवन करने से अत्यधिक धूम्रपान का दुष्प्रभाव कम हो जाता है। यह सिद्ध हो चुका है कि धूम्रपान से रक्त में विटामिन ‘सी’ का स्तर कम हो जाता है। अनन्नास का सेवन करने से अपेक्षित विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति होती है।

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सामान्य उपयोग :

आमतौर पर अनन्नास का उपयोग उष्णकटिबंध और उप उष्णकटिबंध में किया जाता है। अनन्नास का रस व्यापक पैमाने पर उपयोग में लाया जाता है। अनन्नास का गूदा विभिन्न रूपों में डिब्बाबंद किया जाता है। इसका जैम और मार्मलेड भी बनाया जाता है।

अनानास के मुख्य लाभ :

अनानास विटामिन सी और पोटैशियम का स्रोत होता है। अनानास में सूजन रोधक प्रभाव भी हो सकता है। इसमें ब्रोमेलेइन एंजाइम होता है, जो पाचन में सहायता देता है। अनानास ब्लड-क्लॉटिंग को कम करता है और धमनी की दीवारों से प्लाक हटाने में मदद कर सकता है।

आपको कितना अनन्नास खाना चाहिए :

अनानास स्वस्थ होते हैं और प्रायः खाये जाने चाहिए। एक मोटे टुकड़े का वजन 80 ग्राम के आस-पास होता है।

अनन्नास के लाभों को अधिकतम करें :

पका हुआ अनानास अपना ब्रोमलेइन खो देता है, इसलिए इसे ताजा खाना सर्वोत्तम है। डिब्बाबंद अनानास में भी बहुत ज्यादा शुगर की मात्रा होती है।

अनन्नास के नुकसान व खाने में सावधानियाँ :

कच्चा अनन्नास गेस्ट्रो इंटेस्टीनल उद्दीपक है। यह पेट के लिए हानिकर है और इससे अपचन होती है। कच्चा फल खाने से दस्त भी लग जाते हैं और जीभ पर दरारें पड़ जाती हैं।

अनन्नास में गर्भपात करवाने के गुण विद्यमान हैं। इसमें पाया जानेवाला ब्रोमेलिन नामक रस—यह ट्रिप्सिन के काफी करीब है, जो कि साधारणतया शरीर के पाचन रस में पाया जाता है-भ्रूण कोशिकाओं के लिए विनाशकारी है। कच्चा अनन्नास लेने पर जोरदार गर्भाशय संकुचन होने की संभावना रहती है।

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