सावधान गर्भ निरोधक गोलियों से हो सकता है कैंसर | Birth control pills increase risk of Cancer

Last Updated on February 21, 2017 by admin

गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमान करने वाली महिलाओं को स्तन का कैंसर होने का खतरा है।
(इम्पीरियल कैंसर अनुसंधान-लंदन)

1 जनवरी 1996 से बालिका (भ्रूणहत्या) गर्भपात पर प्रतिबंध लग चुका है। सरकार प्रसव पूर्व निदान तकनीकी (विनियमन एवं दुरुपयोग रोक) अधिनियम 1994 बालिका भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए अमिनोसिन्थेसिस, अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी आधुनिक निदान तकनीकियों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देती।

भारत जनगणना आयुक्त की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 1981 से 1991 के बीच देश की मुस्लिम आबादी 2 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा बढ़ी। देश में मुस्लिम समुदाय की आबादी अन्य प्रमुख धार्मिक समुदायों की आबादी की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1981-91 के बीच इसमें 32.76 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इस दौरान जनसंख्या-वृद्धि का राष्ट्रीय औसत 23.79 प्रतिशत रहा।

(राजस्थान पत्रिका दिनांकः 8-11-1995)

गर्भपात कराने वाली लड़कियों में से एक तिहाई लड़कियाँ ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं कि फिर कभी वे संतान पैदा नहीं कर सकतीं।
(टोरंटो, कनाडा के 70 वाले अनुसंधान के अनुसार)

विश्व में प्रतिवर्ष होने वाले पाँच करोड़ गर्भपातों में से करीब आधे गैरकानूनी होते हैं, जिनमें करीब 2 लाख स्त्रियाँ प्रतिवर्ष मर जाती हैं और करीब 60 से 80 लाख पूरी उम्र के लिये रोगों की शिकार हो जाती हैं। हिन्दुस्तान में अनुमानतः करीब 5 लाख औरतें प्रतिवर्ष गैरकानूनी गर्भपातों द्वारा उत्पन्न हुई समस्याओं से मरती हैं।
(हिन्दुस्तान टाइम्स दिनांकः 15-7-1990)

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार गैरकानूनी एवं असुरक्षित ढंग से कराये जाने वाले गर्भपात से लाखों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जो बचती है, उन्हें जीवन भर गहरी मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है। साथ ही, लंबे समय तक संक्रमण, दर्द तथा बाँझपन जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

स्त्रियाँ गर्भपात के बाद पूरे जीवन पीड़ा पाती हैं। उनका शरीर रोगों का म्यूजियम बन जाता है। एक तिहाई स्त्रियाँ तो ऐसी बीमारी का शिकार बनती हैं कि फिर वे कभी संतान पैदा कर ही नहीं सकतीं।
गर्भपात कराने वाली स्त्रियों में से 30 प्रतिशत स्त्रियों को मासिक की कठिनाइयाँ हो जाती हैं।

शास्त्रों में जगह-जगह गर्भपात को महापाप बताया है। कहा है कि गर्भहत्या करने वाले का देखा हुआ अन्न न खायें। (मनुस्मृतिः 4.208)

लिंग परीक्षण करवाने से अपने आप गर्भपात होने व समयपूर्व-प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है, तथा कूल्हों के खिसकने एवं श्वास की बीमारी की भी संभावना रहती है। बार-बार अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
(देहली मिड डे दिनांकः 17-12-1993)

विश्व में एक मिनट में एक औरत यानी एक साल में 5,25,600 औरतें गर्भावस्था से जुड़ी बीमारियों से मरती हैं।
असुरक्षित तरीके से गर्भपात कराने से प्रतिवर्ष 70000 महिलाओं की मृत्यु होती है।

गर्भपात निरीह जीव की हत्या है, महान पाप है, ब्रह्महत्या और गौहत्या से भी बड़ा पाप है। देश के साथ गद्दारी है। नियम लें और लिवायें कि गर्भपात नहीं करवायेंगे।

स्वामी रामसुखदासजी महाराज
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 1997, पृष्ठ संख्या 25,26,27

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