चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और इलाज – Chikungunya ka Karan, Lakshan aur Ilaj in Hindi

Last Updated on December 1, 2022 by admin

चिकनगुनिया क्या है और कैसे फैलता है ? (chikungunya in hindi)

यह मच्छर से उत्पन्न होने वाली वायरल बीमारी है जो डेंगू की तरह है । इस के कारण बुखार और जोड़ों में तेज दर्द होता है जो लंबे समय तक रहता है । यह बीमारी मादा मच्छर के काटने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है । यदि आप का बच्चा इस बीमारी से पीड़ित है, तो उसे भरपूर आराम करना चाहिए और उसे डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए भरपूर तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए ।

चिकनगुनिया के लक्षण (chikungunya Symptoms in hindi)

  • तेज बुखार का होना यह चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है। यह बुखार मरीज को कई दिनों तक बना रह सकता है ।
  • जोड़ों में तेज दर्द होना चिकनगुनिया का एक प्रमुख लक्षण है । मरीज को दर्द के साथ जोड़ों में सूजन की परेशानी भी हो जाती है ।
  • इसके अलावा मरीज को उल्टी का होना ,चक्कर आना , मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द का होना और सिर दर्द जैसी परेशानियाँ हो सकती है ।

चिकनगुनिया व डेंगु की वजह से शरीर में अनेक कष्ट होते हैं। व्यक्ति लंबे समय तक इसके दुष्परिणाम से परेशान होता रहता है। इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए कुछ सरल उपचार आपको व आपके परिवार को स्वस्थ रखेंगे। कृपया इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों में प्रचारित करें, ताकि मानव समाज इस रोग के दुष्प्रभाव से मुक्त हो सके वउनकी अनमोल सेवा हो सके। आइये जाने chikungunya ka desi ilaj,chikungunya ka gharelu ilaj in hindi

चिकनगुनिया के घरेलू इलाज (chikungunya home treatment in hindi)

1. गिलोय के पत्ते का काढ़ा : गिलोय एक अनमोल औषधि है। इसके सेवन से रक्त की कमी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, खुजली, पीलिया, पेट के रोग, जलन, बुखार, मोटापा, गठिया, कैंसरव अन्यरोग दूर होते हैं।
गिलोय के 4 छोटे पत्ते, 1 बड़ी इलायची, 15-20 पत्ते तुलसी,2 कप पानी में उबालें। 1 कप पानी रह जाने पर 1/2 कप सुबह व 1/2 कप शाम को सेवन करें। इससे सूजन दर्द से मुक्ति होगी व संपूर्ण प्रणाली स्वच्छ होगी। यदि कोई काढ़ा नहीं पी सकता है तो वह गिलोय घनवटी किसी आयुर्वेदिक की दुकान से खरीद सकता है। ( और पढ़े – चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज)

2. अलसी का सेवन करें : बुखार उतरने के पश्चात दिन में 3-4 बार अलसी का सेवन करें, ताकि संपूर्ण शरीर के जोड़ दर्द से मुक्त होते हैं व शरीर के जोड़ों को चिकनाई प्राप्त होगी। एक व्यक्ति 20-40 ग्राम अलसी (चाय के 4 चम्मच) का सेवन कर सकता है। यदि व्यक्ति की प्रकृति गर्म है तो वह दिन में 2 बार 1/2 चम्मच जीरा पावडर का सेवन कर सकता है। ( और पढ़े – अलसी के 26 लाजवाब फायदे)

3. चिकनगुनिया दर्द मुक्ति पट्टी : 6 इंच चौड़ा सूती पतले कपड़े की 2 मीटर पट्टी को पानी से गीला करें, निचोड़े व निचोड़ने के बाद उसे जिस जोड़ पर दर्द हो, उस पर 7-8 लपेट दें। अब इस पट्टी पर गरम कपड़ा या पुरानी शॉल को ऐसा लपेटें ताकि पट्टी पूरी तरह ढंक जाए। इस पट्टी को 3-4 घंटे के लिए या रात भर लगाकर सो सकते हैं । इस पट्टी से जोड़ों के दर्द में चमत्कारिक लाभ प्राप्त होता है।

4. चिकनगुनिया दर्द मुक्ति तेल : चिकनगुनिया या अन्य दर्दो से मुक्ति पाने के लिए एक दिव्य तेल आप घर पर ही बना सकते हैं। 100 मि.ली. सरसों का तेल, 100 मि.ली. तिल्ली का तेल, 15 लौंग, 1 दालचीनी का टुकड़ा, 2 चम्मच अजवाईन, 1 चम्मच मैथीदाना, 15 लहसुन की कलियां, 1 टुकड़ा अदरक, 1 चम्मच हल्दी, 2 कपूर के टुकड़े, 2 चम्मच एलोवेरा जेल- इन्हें 25-30 मिनट उबालें व इसे ठंडा करके छान कर रख लें। जिस हिस्से में दर्द हो वहां इसकी मसाज करें।

5. चिकनगुनिया दर्द से मुक्ति देने वाली भाप : चिकनगुनिया दर्द से मुक्ति पाने के लिए वाष्प का प्रयोग कर सकते हैं। 1 चम्मच अजवाईन, 1 चम्मच हल्दी, 100 ग्राम नीम की पत्ती व 100 ग्राम सुरजने की पत्ती को एक लीटर पानी तपेली में डालकर उबालें, इस पर स्टील की छलनी रख दें। अब स्टील की छलनी पर नैपकीन रखें। भाप से गर्म होने पर नैपकीन को दर्द वाले हिस्से पर हल्की सिकाई करें। इस प्रकार 15-20 मिनट नियमित रूप से दर्द वाले हिस्से पर | सिकाई करने से लाभ होता है। उक्त सिकाई करने के बाद 1 घंटे तक बाहरी वातावरण में न जायें।

चिकनगुनिया में क्या खाना चाहिए : chikungunya diet in hindi

  • चिकनगुनिया से ग्रसित होने के बाद कम से कम एक माह तक रोज सुबह-शाम 2 चम्मच एलोवेरा का रस खाली पेट सुबह व दिन में एक बार 250-300 ग्राम अनार का सेवन करने से व्यक्ति चिकनगुनिया, डेंगू व अन्य रोगों से मुक्त होकर आनंददायी जीवन बीता सकता है।
  • जब तक व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक न हो सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।
  • उक्त चिकित्सा प्रयोग वर्तमान में चल रही ऐलोपैथी व अन्य चिकित्सा पद्धति के साथ करना है। दवाईयों को बंद नहीं करना है। इस प्रकार आप दर्द मुक्त जीवन जी सकते हैं।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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