हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान – Hingwastak Churna ke Fayde aur Nuksan in Hindi

Last Updated on December 28, 2020 by admin

हिंग्वाष्टक चूर्ण क्या है ? Hingwastak Churna in Hindi

हिंग्वाष्टक चूर्ण अपचन के उपचार में उपयोग की जाने वाली बहुत ही उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है ।

अनियमित एवं अनुचित आहार-विहार के कारण जो व्याधियां पैदा हो कर शरीर को रोगी बना देती हैं उनमें से एक व्याधि है अपच यानी मन्दाग्नि होना जिससे खाया हुआ ठीक से पचता नहीं और जब ठीक से पचता नहीं तो भूख भी नहीं लगती जिसका परिणाम होता है शारीरिक कमज़ोरी, दुबलापन, कब्ज, गैस ट्रबल जैसी शिकायतें पैदा होना। इन व्याधियों को दूर करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग हिंग्वष्टक चूर्ण का परिचय प्रस्तुत है।

हिंग्वाष्टक चूर्ण के घटक द्रव्य : Hingwastak Churna Ingredients in Hindi

  • सोंठ -10 ग्राम
  • पीपल – 10 ग्राम
  • काली मिर्च -10 ग्राम
  • अजवायन -10 ग्राम
  • सेन्धा नमक -10 ग्राम
  • जीरा -10 ग्राम
  • काला जीरा – 10 ग्राम
  • हीरा हींग -2 ग्राम

हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि : Preparation Method of Hingwastak Churna

हींग अलग रख कर शेष द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन चूर्ण करके मिला लें और छान लें ताकि सब द्रव्य ठीक से मिल जाएं। हींग को घी में भून लें और कूट पीस कर यह चूर्ण भी सब द्रव्यों के मिश्रण में अच्छी तरह मिला कर बोतल में भर लें।

मात्रा और सेवन विधि : Hingwastak Churna Dosage

आधा चम्मच (3 ग्राम) चूर्ण कुनकुने गर्म पानी के साथ लेने से वायु के प्रकोप (गैस ट्रबल) का तुरन्त शमन हो जाता है।
दूसरी विधि यह है कि एक चम्मच (6 ग्राम) चूर्ण थोड़े से घी में मिला कर भोजन की थाली में रख लें। भोजन शुरू करते समय शुरू के 5-6 कौर में इस चूर्ण को खा लें फिर शेष भोजन करें।

हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे : Hingwastak Churna Benefits in Hindi

1- गैस ट्रबल, पेट फूलना, गैस न निकलना आदि शिकायतों को दूर करने के लिए हिंग्वष्टक चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करना चाहिए। ( और पढ़े – पेट की गैस को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय)

2 –मन्दाग्नि, अपच, भूख की कमी, गैस ट्रबल आदि की स्थिति हो तो इस चूर्ण का सेवन दूसरी विधि के अनुसार घी के साथ भोजन के शुरू में करने से ये सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं।

3- इस चूर्ण के सेवन से पाचन प्रणाली सुधरती है, भूख खुल कर लगती है। यह चूर्ण श्रेष्ठ पाचक और दीपक है यानी खाना पचाता भी है और जठराग्नि को बल भी देता है।( और पढ़े –भूख न लगना या मन्दाग्नि का सरल आयुर्वेदिक उपचार  )

4- अगर पाचन की खराबी के कारण दस्त लगने लगें तो आधा चम्मच हिंग्वाष्टक चूर्ण और आधा ग्राम शंख भस्म मिला कर सुबह शाम फांक कर पानी पी लें।

उपलब्धता : यह चूर्ण इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

हिंग्वाष्टक चूर्ण के नुकसान : Hingwastak Churna Side Effects in Hindi

  • कुछ रोगियों में, हिंग्वाष्टक चूर्ण से पेट की जलन हो सकती है।
  • चूंकि इसमें नमक होता है इसलिए उच्च बीपी और गुर्दे के रोगी को इसे लेने में सावधानी बरतनी चाहिये ।
  • चिकित्सा सलाह के बिना हिंग्वाष्टक चूर्ण को लेने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • यह बहुत कम खुराक में बच्चों को दिया जा सकता है।

3 thoughts on “हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान – Hingwastak Churna ke Fayde aur Nuksan in Hindi”

  1. “शोधन कल्प चूर्ण” का सेवन कीजिये अवश्य लाभ होगा….इसे आप ऑनलाईन खरीद सकते है

  2. sir mere ko kabj rahta h bahut si dawaiya li lekin kabj thik nhi hota h ges bhi banati h sarir me fit hu lekin pet bahar aaya huua h kya me hing wastk le sakta hu

  3. Very nice important information
    It is 100% effective i have taken it and experienced the same one should take as per foctors opinion

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