श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के यह 8 प्रयोग कैसा भी बिगड़ा भाग्य हो सवार देंगे | Krishna Janmashtami

Last Updated on July 23, 2019 by admin

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मे मनोकामना पूर्ति के 8 उपाय :Krishna Janmashtami

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ( Krishna Janmashtami )का पर्व मंत्र अनुष्ठान व मनोकामना पूर्ति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है| कैसा भी आदमी हो …अपना भाग्य बनाना चाहे तो बना सकता है । शास्त्रों में ४ महा-रात्रियाँ – दिवाली, शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी – यह सिध्ध रात्रियाँ हैं, इन रात्रियों का अधिक से अधिक जप कर के लाभ लेना चाहिए |

विशेष उपाय :

(1) जिन व्यक्तियों के जीवन में समस्याओं का अम्बार लगा हो तथा कोई रास्ता सूझता न हो, वे ‘श्री कृष्ण: शरणं मम्‘ का जप करें तथा आर्त हृदय से भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करें, अवश्य ही सुनवाई होगी।

(2) घर में तनाव, अशांति, स्वास्थ्य की समस्या हो तो ‘क्लीं ऋषिकेशाय नम:‘ की 51 माला करें।

(3) आर्थिक समस्या आदि के लिए ‘श्री गोपीजन वल्लभाय स्वाहा‘ जपें।

(4) विवाह समस्या या गृहस्थी की समस्या हो तो ‘ॐ नमो भगवते रुक्मिणी वल्लभाय स्वाहा‘ जपें।

(5) ईष्ट सिद्धि के लिए ‘श्रीकृष्णाय नम:’ का जप करें।

(6) सौभाग्य वृद्धि, सुख-शांति तथा मोक्ष के लिए ‘ॐ ऐं श्रीं क्लीं प्राणवल्लभाय सौ: सौभाग्यदाय श्रीकृष्णाय स्वाहा’ का जप करें।

(7) संतान सुख प्राप्त करने हेतु निम्न मंत्र का जप तथा लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करें।
मंत्र-

‘ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
दे‍हि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।’

संतान प्राप्ति के लिए इससे अच्छा मंत्र नहीं है। ‘तनयं’ शब्द के उच्चारण में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

(8) धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष प्राप्ति के लिए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का जप करें।

उपरोक्त मंत्र का मानसिक जप हमेशा तथा हर जगह किया जा सकता है। जप माला तुलसी या लालचंदन की तथा आसन कुश या उन का प्रयोग करें। चंदनादि प्रयोग करें। प्रसाद में पंचामृत में तुलसी-मिश्रित करें। स्वयं तुलसी की कंठी या माला तथा श्वेत वस्त्र धारण करें। पीताम्बर भी चल सकता है। पंजीरी का प्रसाद वितरण करें। उपवास करें व ब्राह्मण भोजन साधना के फल को द्विगुणित करता है।

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