महिलाओं में थायराइड के कारण, लक्षण, दवा और बचाव : Mahilaon me Thyroid ke Karan ,Lakshan aur Bachav

Last Updated on February 16, 2024 by admin

थायराइड क्या है ? और उसके कार्य : Thyroid in Hindi

पुरे शरीर के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए थायराइड एक मुख्य जरीया है। छोटी सी थायराइड ग्रंथि आप के शरीर की ज्यादातर मैटाबोलिक क्रियाओं पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है। थायराइड में होने वाली किसी भी तरह की गड़बड़ी वजन में बढ़ोतरी, वजन में कमी और अन्य कई बीमारियों से ले कर थायराइड कैंसर तक का कारण बन सकती है।

थायराइड से जुड़ी सब से सामान्य समस्या थायराइड हारमोंस का असामान्य उत्पादन है। थायराइड हारमोंस की बहुत अधिक मात्रा हाइपरथायराइडिज्म के नाम से जानी जाती है। हारमोंस का पर्याप्त उत्पादन भी हाइपरथायराइडिज्म की स्थिति पैदा करता है। हालांकि इस का प्रभाव कष्टकारक और असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन सही जांच और उपचार हो जाए तो थायराइड से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं से आसानी से निबटा जा सकता है।

महिलाओं में थायराइड के कारण : Mahilaon me Thyroid ke Karan

हाइपरथायराइड का सब से बड़ा कारण औटोइम्यून बीमारियां, गलत दवा लेना और लीथियम का उपयोग है। परिवार में थायराइड असंतुलन की समस्या किसी को रही हो, तो वह भी जोखिम का कारण बन सकती है। हाइपरथायराइडिज्म के बाद मासिकधर्म की असामान्यता और गर्भधारण में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का विकास मां के थायराइड हारमोन से नियंत्रिण होता है और प्रसव के बाद भी विकास थायराइड से ही नियंत्रित होता है।

आयोडीन का महत्त्व –

यह एक महत्त्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो थायराइड हारमोन के निर्माण के लिए आवश्यक है। आयोडीन डैफिशिएंसी आयोडीन तत्त्व की कमी है। यह हमारी डाइट का एक आवश्यक पोषक तत्त्व है। आयोडीन की कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो जाता है। अगर समय रहते इस का उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में समस्या आना, बांझपन, नवजात शिशु में तंत्रिका तंत्र से संबंधित गड़बड़ियां आदि होने का खतरा बढ़ जाता है।
यदि थायराइड सही ढंग से काम नहीं कर रहा है, तो यह महिला की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हाइपरथायराइडिज्म महिलाओं में बांझपन और गर्भपात के अन्य कारणों के मुकाबले काफी सामान्य कारण होता है, जब थायराइड ग्रंथि से पर्याप्त मात्रा में हारमोंस नहीं निकलते हैं, तो ये अंडोत्सर्ग के दौरान अंडाशय से अंडाणुओं की निकासी को बाधित करते हैं और प्रजनन क्षमता को बिगाड़ देते हैं। यदि आप थकान या ऊर्जा में कमी महसूस कर रही हैं, आप के बाल और त्वचा सूखी व खुरदुरी हो गई है, ठंडे तापमान के प्रति आप संवेदनशील हैं और मासिकधर्म या तो अनियमित है या ज्यादा आ रहा है, तो ये । हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण हो सकते हैं।

फूले हुए टिशू, बेवजह वजन में बढ़ोतरी, अवसाद, मांसपेशियों में खिंचाव, मांसपेशियों में दर्द, दिल की धड़कन सामान्य से कम होना, बांझपन, कब्ज, मानसिक आलस्य, कंठ के नीचे स्थित थायराइड में सूजन और कामेच्छा में कमी इस के प्रभाव हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरानथायराइड संबंधी परेशानियां होना सामान्य बात है। 25% से ज्यादा महिलाओं में गर्भावस्था के छठे । सप्ताह के दौरान हाइपरथायराइडिज्म हो जाता है, गर्भनाल और भ्रूण के विकास के लिए थायराइड हारमोंस का स्राव जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान मां और भ्रूण की बढ़ी हुई मैटाबोलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्राव का स्तर 50% तक बढ़ना जरूरी है। जब मां का शरीर जरूरत के मुताबिक पर्याप्त हारमोंस का स्राव नहीं कर पाता है तो गर्भपात, समय पूर्व प्रसव, बच्चे का कम वजन और प्रसव के बाद की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

महिलाओं में थायराइड के लक्षण : Mahilaon me Thyroid ke Lakshan

कुछ महिलाओं में आयोडीन का स्तर कम होने पर भी कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त होने के निम्न लक्षण हैं।

  • थकान और उनींदापन।
  • मांसपेशियों की कमजोरी।
  • मासिकचक्र संबंधी गड़बड़ियां।
  •  ध्यान केंद्र में समस्या आना।
  • याददाश्त का कमजोर पड़ना।
  • आसामान्य रूप से वजन बढ़ना।
  • अवसाद।
  • बाल झड़ना।
  • त्वचा का ड्राई हो जाना।
  • हृदय की धड़कनें धीमी होना।

आयोडीन की कमी से बांझपन का खतरा :

महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी का उन के प्रजनन तंत्र की कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है। हाइपोथायराइडिज्म बांझपन और गर्भपात का सब से प्रमुख कारण है, जब थायराइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है तो वह पर्याप्त मात्रा में हारमोंस का उत्पादन नहीं कर पाती है, जिस से अंडाशयों से अंडों को रिलीज करने में बाधा आती है, जो बांझपन का कारण बन जाती

है। जो महिलाएं हाइपोथायराइडिज्म का शिकार होती हैं उन में रति क्रिया में अरुचि, मासिकचक्र से संबंधित गड़बड़ियां और गर्भधारण करने में समस्या आना देखा जाता है। अगर हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित महिलाएं गर्भधारण कर भी लेती हैं तो भी गर्भ का विकास प्रभावित होता है। आइये जाने थायराइड में परहेज की जरुरी जानकारी के बारे में ।

( और पढ़े – थायराइड का आयुर्वेदिक घरेलू उपचार )

थायराइड रोग से बचाव के उपाय : Thyroid se Bachav in Hindi

हाइपोथायराइडिज्म की रोकथाम –

1-धूम्रपान बंद करें: धूम्रपान थायराइड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इस के साथ ही निकोटिन शरीर से आयोडीन को अवशोषित करता है, जिस से हारमोन का स्राव प्रभावित होता है। यह सब से सामान्य कारण है, जो बांझपन की समस्या पैदा करने में मदद करता है।

2-बोतलबंद पानी पीना: इस पानी में मौजूद फ्लोराइड और परक्लोरेट वे तत्त्व हैं, जो हाइपोथायराइडिज्म को ट्रिगर करते हैं या थायराइड से संबंधित दूसरी समस्याओं का कारण बनते हैं,

3-सीमित मात्रा में करें आयोडीन का सेवनः हमेशा ध्यान रखें कि आयोडीन का सेवन सीमित मात्रा में करना है। अधिक या कम मात्रा में । आयोडीन का सेवन आयोडीन संबंधी गड़बड़ियों की आशंका बढ़ा देता है।

4-तनाव कम पालें: नियमित व्यायाम करें, इस से आप को मानसिक शांति मिलेगी। जो थायराइड को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

5-सोया उत्पादों का सेवन अधिक मात्रा में न करें: इन का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग हाइपोथायराइडिज्म, नोड्यूल्स को ट्रिगर या गंभीर कर सकते हैं। सोय सप्लिमैंट्स और पाउडर का सेवन कम मात्रा में करें। दिनभर में सोयाबीन की। एक आइटम से अधिक न खाएं और वह भी थोड़ी मात्रा में।

6-नवजात को सोया बेस्ड उत्पाद न दें : जिन बच्चों को बहुत छोटी उम्र में सोयाबीन युक्त उत्पाद खिलाए जाते हैं उन में बड़ा हो कर थायराइड असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है।

7-बांझपन का उपचार: बांझपन को दूर करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में हाइपोथायराइडिज्म का उपचार एक महत्त्वपूर्ण भाग है। अगर हाइपोथायराइडिज्म का उपचार करने के बाद भी बांझपन की समस्या बरकरार रहती है तब बांझपन के लिए दूसरे उपचार की आवश्यकता पड़ती है।

गर्भवती महिलाओं को जितनी जल्दी हो सके, शरीर में थायराइड के आसामान्य स्तर की जांच करा लेनी चाहिए। अगर जांच में थायराइड से संबंधित गड़बड़ियों का पता चलता है तो सुरक्षित गर्भावस्था, प्रसव और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए तुरंत उपचार कराएं।

थायराइड की आयुर्वेदिक दवा : Thyroid ki Dawa in Hindi

तुलसी अर्क (Tulsi Ark) थायराइड में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है ।

इस रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी (tulsi), एलोवेरा (aloe vera), नींबू (Lemon), पालक (Spinach), हल्दी (turmeric), बादाम (almond), अखरोट (walnut), हरी सब्जियां, लाल प्याज, काली मिर्च (black pepper), हरा धनिया (coriander) तथा अश्वगंधा का नियमित सेवन करना चाहिये , इनका उपयोग थाइराइड जैसी समस्या से निजात दिलाने में मदद करता है ।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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