आध्यात्मिक अनुभव : सन 1991 में घटा वह चमत्कार जिसका गवाह था पूरा गाँव | Spiritual experience

Last Updated on July 22, 2019 by admin

सेवा-एकता-समर्पण-इष्टनिष्ठा विषयक आश्चर्यचकित करे ऐसा चमत्कार…

कडोली गाँव (तहसिल हिम्मतनगर, जिला साबरकांठा, गुजरात) के भाविक भक्तों द्वारा वर्णित आश्चर्य जताये ऐसी बात उनके ही शब्दों में :

★ ‘‘हमारे गाँव का अहोभाव है कि परम पूज्य आसारामजी बापू का दिव्य सत्संग समारोह ता : ५ से ८ दिसम्बर १९९१ दरमियान हमारे गाँव कडोली में आयोजित किया गया ।

★ गाँव के स्वयंसेवक, नेता लोग, कार्यकत्र्ता छोटे-बडे सभी इस मंगल पुण्यकार्य में आन्तरिक भाव से जुड गये थे । इस सत्संग समारोह के समय ऐसा एक भी काम न था जिसमें सभी का सहयोग न हो । छोटे या बडें सभी कामों में सभी साथ में मिलकर हिस्सा बँटाते ।

★ पूज्य बापू ने हमारे गाँव में जिस सत्संग की अमृतवर्षा की वह तो सचमुच अद्भुत ही है । प्रत्येक गाँव से भक्तों के समूह पूज्य बापू की अमृतवाणी श्रवण करने उमड पडते थे । मंडप छोटा लगता था । जनता बडी संख्या में आती थी ।

★ हमने चारों दिन डेरी में दूध देना बन्द कर दिया था । समूचा दूध, छाछ आदि दूसरे गाँवों से आनेवाले आगन्तुकों, मेहमानों की सेवा में उपयोग में आता । ता : ८ को शाम के समय जब सत्संग समारोह की पूर्णाहुति हुई तब सत्संग में उपस्थित सबको पिडयों में प्रसाद बाँटा गया । उसके बाद पूज्य बापू की शोभायात्रा निकली । उसमें भी खूब प्रसाद बाँटा गया ।

★ किंतु अखण्ड भंडार कहाँ कम होने वाला था । बचे हुये प्रसाद से हमने दूसरे दिन हमारे गाँव और पडोस के गाँव, छोटी बडी दोनों करोली गाँव को भोजन कराया । फिर भी प्रसाद कम नहीं हुआ । तीसरे दिन शाम को हम जीप लेकर प्रसाद वितरण करने निकले । आसपास के पचीस गाँवों में प्रसाद बाँटा फिर भी पूज्य बापू की, परमात्मा की ऐसी कृपा कि प्रसाद कम नहीं हुआ ।

★ प्रसाद बाँटने वाले थके किंतु प्रसाद कम नहीं हुआ । तब हमारा अन्तर भर गया । हम म ही मन पूज्य बापू से प्रार्थना करने लगे कि, ‘बापू ! अब तो बस करो, अब हम बाँट-बाँटकर थक गये हैं । फिर हम रात को तीन बजे अपने गाँव को वापस आये । पूज्य बापू के फोटो के आगे दीपक, अगरबत्ती करके प्रार्थना की कि बापू ! अब तो यह प्रसाद खत्म करो ऐसी प्रार्थना की तब ही प्रसाद समाप्त हुआ ।

★ ‘मेरे-तेरे की खींचातानी चल रही है ऐसे कलियुग में पूज्य बापू की कृपा तो हमारे लिए गंगोत्री से निकली हुई गंगा से भी अधिक पावन है ।

★ कडोगी गाँव के भक्तों ने तीन दिन से दूध डेरी में न देकर ग्राम्यजनों तथा आने-जाने वाले मेहमानों को खुले दिल से देकर स्वागत किया । गाँव की एकता, स्नेह एवं त्याग, अतिथिसेवा और सत्संग मेंप्रति अलौकिक थी । कडोली गाँवतो था ही qकतु आसपास के गाँव भी इस पुण्य सरिता में स्नान करने उमड पडे थे । धन्य है इस छोटे से गाँव के नागरिकों को ! काम धंधे तो बन्द किंतु डेरी में दूध जमा करना भी बंद करके ईश्वर-प्राप्ति के, पुण्य-प्राप्ति के दैवी कार्य में सभी लोग सभी तरह से जुड गये थे

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श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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