संतकृपा सुरमा लगाने के जबरदस्त फायदे | Santkrupa Surma ke Fayde

Last Updated on November 20, 2019 by admin

संतकृपा सुरमा के लाभ : Santkrupa Surma ke labh

★ अगर किसी स्त्री के चेहरे की सुंदरता का आंकलन करना हो तो सबसे पहले ध्यान उसकी आंखों पर ही जाता है। खूबसूरत आंखों पर अगर सुरमा लगा हो तो उसका आकर्षण और अधिक बढ़ जाता है।

★ कभी आंखों को खूबसूरती प्रदान करने के लिए तो कभी नजर दोष से बचने के लिए, एक लंबे समय से काजल व सुरमा का प्रयोग किया जाता रहा है।

★ सुरमा महिलाएं तो इसे अपनी आंखों को खूबसूरत बनाने के लिए प्रयोग करती ही हैं, लेकिन संतकृपा सुरमा पुरुष भी लगाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह आँखों के विविध रोगों को दूर करके आँखों की दृष्टि को निर्मल सुरक्षित व पुष्ट करता है।

Surma banane ki vidhi :ये ज़्यादा लोगों को नहीं पता कि सुरमा बनाना काजल बनाने से ज़्यादा मेहनत का काम है. क्योंकि, इसमें बहुत सारी चीज़ें पड़ती हैं, अलग-अलग तरह की प्रक्रियाएं अपनायी जाती हैं |

उच्च गुणवत्ता के सुरमे के पत्थर को पीस कर मोती पिष्टी, प्रवाल पिष्टी , शुद्ध तुतीया जैसी कई चीज़ों के साथ मिलाया जाता है|चमेली की कली, नीम की कोपल और गुलाबजल  मिलाया जाता है. इस मिश्रण को अच्छे से पीसने के बाद बड़े-बड़े तवों में रख, इससे लेड और सल्फ़ाइट अलग किया जाता है. तब बनता है दुनिया का सबसे बेहतरीन सुरमा.

सुरमा की प्रमुक औषधियाँ व उनके फायदे : Surma ke Faide/ Fayde

मोती पिष्टी :- वातवाहिनी, रक्तवाहिनी, मासँपेशियो को सबल बनाते हुए नेत्र कोे हानि करने वाले दोषों को हर लेता है ।
प्रवाल पिष्टी :- आँख में बढी तीक्ष्णता, अम्लता, उष्णता को हर कर स्थानीय नाडीयो को बल देता है ।surme ke fayde
शुद्ध तुतीया :- कई दिनों तक शास्त्रानुसार परिशुद्ध किया ये दृव्य, मासँ वृद्धि बेल दूषित बाहरी संक्रमण को अपने प्रभावी गुणों से नष्ट करता हैं ।
काली मिर्च :- आँखों को खराब करने वाले पित्त कफ का नाश करता है ।
चमेली की कली :- अपने तिक्त कषाय गुण से दोषों का हरण ।
नीम की कोपल :- अपने विषाणुहर व तिक्त गुण से आँखों का इन्फेकशन व दुषित कफ पित्त का शमन करती है इसी प्रकार से अन्य औषधि भी डाली गई है |

इस प्रकार संतकृपा सुरमा सचमुच में नाम के अनुसार अपने में आँखों को सुरक्षित निरोगी तेजस्वी बनाने की क्षमता रखता है ।

उपयोग-विधि :Surma lagane ka Tarika
सुरमे का उपयोग करने से पहले सलाई को पूरी तरह स्वच्छ व सूखे कपडे से साफ करें । सुरमे का कम-से-कम मात्रा में उपयोग करें । रात को सोते समय इसका एक बार उपयोग करें ।

सावधानियाँ : ११ साल से कम उम्र के बच्चों को सुरमा न लगायें । किसी भी प्रकार के आँखों के ऑपरेशन या लेंस के उपयोग के बाद सुरमे का प्रयोग न करें । इसे साफ और सूखी जगह पर ही रखें ।

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |

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