बच्चों के सोने के आठ प्रकार और उनसे जुडी खास बातें | Sone ka Tarika Batata hai Bachon ka Savbhaav

Last Updated on June 24, 2020 by admin

बच्चों के सोने के यह आठ ढंग प्रकट करते है उनकी मानसिक स्थिति के कई राज

(१). कुछ बच्चे पीठ के बल सीधे सोते हैं । अपने दोनों हाथ ढीले छोडकर चेहरे या पेट पर रख लेते हैं । यह सोने का सबसे अच्छा और आदर्श तरीका है । प्रायः इस प्रकार सोनेवाले बच्चे अच्छे स्वास्थ्य के स्वामी होते हैं । न कोई रोग और न कोई मानसिक चिन्ता । इन बच्चों का विकास अधिकतर रात्रि में ही होता है ।

(२). कुछ बच्चे सोते वक्त अपने दोनों हाथ उठाकर सिर पर रख लेते हैं । इस प्रकार शांति और आराम प्रदर्शित करनेवाला बच्चा अपने वातावरण से संतोष और शांति चाहता है । अतः बडा होने पर उसे किसी जिम्मेदारी का काम एकदम न सौंप दें क्योंकि ऐसे बच्चे प्रायः कमजोर संकल्पशक्ति वाले होते हैं । उन्हें बचपन से ही अपना काम स्वयं करने का अभ्यस्त बनायें ताकि धीरे-धीरे उनके अन्दर संकल्पशक्ति और आत्म-विश्वास पैदा हो जाय ।

(३). कुछ बच्चे पेट के बल लेटकर अपना मुँह तकिये पर इस प्रकार रख लेते हैं मानो तकिये को चुम्बन कर रहे हों । यह स्नेह का प्रतीक है । उनकी यह चेष्टा बताती है कि बच्चा स्नेह का भूखा है । वह प्यार चाहता है । उससे खूब प्यार करें, प्यार भरी बातों से उसका जी बहलाएँ । उसको प्यार की दौलत मिल गयी तो उसकी इस प्रकार सोने की आदत अपने आप दूर हो जायेगी ।

(४). कुछ बच्चे तकिये से लिपटकर या तकिये को सिर के ऊपर रखकर सोते हैं । यह बताता है कि बच्चे के मस्तिष्क में कोई गहरा भय बैठा हुआ है । बडे प्यार से यह छुपा हुआ भय जानने और उसे दूर करने का शीघ्रातिशीघ्र प्रयत्न करें ताकि बच्चे का उचित विकास हो । किसी सद्गुरु से प्रणव का मंत्र दिलाकर जाप करावें ताकि उसका भावि जीवन किसी भय से प्रभावित न हो ।

(५). कुछ बच्चे करवट हो दोनों पाँव मोडकर सोते हैं । ऐसे बच्चे अपने बडों से सहानुभूति और सुरक्षा के अभिलाषी होते हैं । स्वस्थ और शक्तिशाली बच्चे भी इस प्रकार सोते हैं । उन बच्चों को बडों से अधिक स्नेह और प्यार मिलना चाहिए

(६). कुछ बच्चे तकिये या बिस्तर की चादर में छुपकर सोते हैं । यह इस बात का संकेत है कि वे लज्जित हैं । अपने वातावरण से प्रसन्न नहीं है । घर में या बाहर उनके मित्रों के साथ कुछ ऐसी बातें हो रही हैं जिनसे वे संतुष्ट या प्रसन्न नहीं है । उनसे ऐसा कोई शारीरिक दोष, कुकर्म या कोई ऐसी छोटी-मोटी गलती हो गयी है जिसके कारण वे मुँह दिखाने के काबिल नहीं हैं । उनको उस ग्लानि से मुक्त कीजिए । उनको चारित्र्यवान और साहसी बनाइये ।

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(७). कुछ बच्चे तकिया, चादर और बिस्तर तक रौंद डालते हैं । कैसी भी ठंडी या गर्मी हो, वे बडी कठिनाई से रजाई या चादर आदि ओढना सहन करते हैं । वे एक जगह जमकर नहीं सोते, पूरे बिस्तर पर लोट-पोट होते हैं पूरे विस्तर को अखाडा बना देते हैं, मानो बिस्तर से कुस्तीबाजी करते हैं ।
ऐसे बच्चों को किसी भी प्रकार की चिन्ता नहीं होती । उनमें संकल्पशक्ति अधिक होती है । वे कुछ जिद्दी भी होते हैं । माता-पिता और अन्य लोगों पर अपना हुकुम चलाने का प्रयत्न करते हैं । ऐसे बच्चे दबाव से या जबरदस्ती कोई काम नहीं करेंगे । बहुत ही स्नेह से युक्ति से उनका सुधार होना चाहिए

(८). कुछ बच्चे तकिये या चादर से अपना पूरा शरीर ढककर सोते हैं । केवल एक हाथ बाहर निकालते हैं । यह इस बात का प्रतीक है कि बच्चा घर के ही किसी व्यक्ति या मित्र आदि से सख्त नाराज रहता है । वह किसी भीतरी दुविधा का शिकार है । ऐसे बच्चों का गहरा मन चाहता है कि कोई उनकी बातें और शिकायतें बैठकर सहानुभूति से सुने, उनकी चिन्ताओं का निराकरण करे ।

ऐसे बच्चों के गुस्से का भेद प्यार से मालूम कर लेना चाहिए, उनको समझा-बुझाकर उनकी रुष्टता दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए । अन्यथा ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत भावुक और क्रोधी हो जाते हैं, जरा-जरा-सी बात पर भडक उठते हैं । वे बच्चे चबा-चबाकर भोजन करें ऐसा ध्यान रखना चाहिए । गुस्सा आवे तब हाथ की मुट्ठियाँ इस प्रकार भींच देना चाहिए ताकि नाखूनों का बल हाथ की गद्दी पर पडे… ऐसा अभ्यास बच्चों में डालना चाहिए । ‘ॐ शांतिः शांतिः… का पावन जप करके पानी में दृष्टि डालें और वह पानी उन्हें पिलायें । बच्चे स्वयं यह करें तो अच्छा है, नहीं तो आप ही करें ।
संसार के सभी बच्चे इन आठ तरीकों से सोते हैं । हर तरीका उनकी मानसिक स्थिति और आन्तरिक अवस्था प्रकट करता है । माता-पिता उनकी अवस्था को पहचानकर यथोचित उनका समाधान कर दें तो आगे चलकर ये ही बच्चे सफल जीवन बिता सकते हैं ।

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