गौरवर्ण सुंदर तेजस्वी बालक के लिए 12 आयुर्वेदिक घरेलु उपाय

Last Updated on November 19, 2019 by admin

आइये जाने गौरवर्ण सुंदर तेजस्वी बालक के लिए आयुर्वेदिक घरेलु उपाय(gora bachha pane ke upaay)

उपाय :

१* नारियल का पानी पीने से अथवा नौ महीने तक रोज बबूल के 5 से 10 ग्राम पत्ते खाने से गर्भवती स्त्री गौरवर्णीय बालक(gora ) को जन्म देती है। फिर चाहे माता-पिता श्याम ही क्यों न हों।
२* 1 ग्राम असली वंशलोचन चूर्ण को रोज रात में सोने से पहले लेना चाहिए! ऐसा नित्य पहले 3 से 4 महीने तक दूध के साथ नियम से लेने पर बच्चा सुन्दर, स्वस्थ और तेज दिमाग वाला पैदा होता है!
३* गर्भवस्था के समय रोजाना भोजन करने के बाद सौंफ खाने पर बच्चा गौरवर्ण (gora )का उत्पन होता है!

४* गर्भवती स्त्री 60 ग्राम ताजे अंगूरों का रस रोज दिन में 2 बार लेती है तो उसका शिशु बलिष्ठ, सुन्दर, और स्वस्थ उत्पन्न होता है! और बच्चे की माँ को होने वाली परेशानिया जैसे की सुजन, अफारा, कब्ज, मूर्छा, चक्कर आना, और दातों में दर्द होना जैसी तकलीफें नहीं होती है!
५* अगर स्त्री नित्य नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाती है तो बच्चे का रंग साफ़ व गोरा होता है और स्त्री भी स्वस्थ रहती है!

तेजस्वी संतान की प्राप्ति के उपाय :

शक्तिशाली व गोरे पुत्र की प्राप्ति के लिएः गर्भिणी पलाश के एक ताजे कोमल पत्ते को पीसकर गाय के दूध के साथ रोज ले। इससे बालक शक्तिशाली और गोरा उत्पन्न होता है। माता-पिता भले काले वर्ण के हों लेकिन बालक गोरा होता है। इसके साथ आश्रमनिर्मित सुवर्णप्राश की 2-2 गोलियाँ लेने से संतान तेजस्वी होगी।

हृष्ट-पुष्ट व गोरी संतान पाने हेतुः

गर्भिणी रोज प्रातःकाल थोड़ा नारियल और मिश्री चबा के खाये तो गर्भस्थ शिशु हृष्ट-पुष्ट और गोरा(gora ) होता है। (अष्टमी को नारियल खाना वर्जित है।)

सुंदर व तीव्रबुद्धि संतान प्राप्त करने हेतुः

गर्भिणी गर्मियों में 100 मि.ली गाय के दूध में 100 मि.ली. पानी मिलाकर एक चम्मच गाय का घी मिला के पिये तो पेट में जो शिशु बढ़ रहा है वह कोमल त्वचा वाला, सुंदर, तेजस्वी व बड़ा बुद्धिमान होगा। दूध पीने के 2 घंटे पहले और बाद में कुछ न खायें।

त्वचा की कांति के लिएः 10-10 ग्राम सौंफ सुबह-शाम खूब चबा-चबाकर नियमित रूप से खाने से त्वचा कांतिमय बनती है। गर्भवती स्त्री यदि पूरे गर्भकाल में सौंफ का सेवन करे तो शिशु गोरे रंग का होता है। साथ ही जी मिचलाना, उल्टी, अरुचि जैसी शिकायतें नहीं होतीं और रक्त शुद्ध होता है।

गौर-वर्ण संतान की प्राप्ति के लिए गर्भिणी प्रथम 3 मास तकः

> जहाँ तक हो सके हरे नारियल का पानी पिये।

> देशी बबूल के 2 ग्राम कोमल पत्ते रोज खाये।

> आँवले का अथवा केसरयुक्त दूध का सेवन जहाँ तक हो सके करे।

उपर्युक्त प्रयोगों के साथ यदि गर्भिणी स्त्री सत्संग की पुस्तकें पढ़ती है तो शिशु मेधावी व सुसंस्कारी होगा। ऐसे बालकों की विश्व को जरूरत है।

विशेष : “अच्युताय हरिओम सुवर्णप्राश टेबलेट ” सुवर्ण भस्म से पुष्य नक्षत्र में बनाई यह पुण्यदायी गोली आयु,शक्ति,मेधा,बुद्धि,कांति व जठराग्निवर्धक तथा ग्रहबाधा निवारक, उत्तम गर्भपोषक है ।गर्भवती स्त्री इसका सेवन करके निरोगी,तेजस्वी ,मेधावी संतती को जन्म दे सकती है ।

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