सबसे बड़ी सेवा (प्रेरक कहानी) | Prerak Kahani
संस्कृत के प्रकांड विद्वान कैयरजी नगर से दूर एक झोंपड़ी में रहते थे। उन्हें अपने अध्ययन और लेखन से इतना भी अवकाश नहीं मिलता था कि घर-बाहर के कामों में पत्नी का हाथ बँटा सकें। …
संस्कृत के प्रकांड विद्वान कैयरजी नगर से दूर एक झोंपड़ी में रहते थे। उन्हें अपने अध्ययन और लेखन से इतना भी अवकाश नहीं मिलता था कि घर-बाहर के कामों में पत्नी का हाथ बँटा सकें। …
सन् 1893, शिकागो में, विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदूधर्म का प्रतिनिधित्व स्वामी विवेकानंद कर रहे थे। 11 सितंबर को अपना प्रवचन देने जब वे मंच पर पहुंचे, तो वहीं ब्लैक-बोर्ड पर लिखा हुआ था- ” …