Last Updated on June 3, 2020 by admin
ज्यादातर लोगो मे जमे हुए शहद को लेकर गलत धारणाये होती है । इस कारण से भारत मे हरकही raw honey के स्थान पर processed या heated शहद ही बिकता है, जो सामान्य रूपसे जमता नही है । शहद को एकबार उबाल देने से उसमे रहा जमने का (crystalised ) होने का स्वाभाविक गुण नष्ट हो जाता है । लेकिन उसके साथ ही शहदमे रहे औषधीय गुण भी नष्ट हो जाते है । वास्तविकता यह हे की 45° c तापमान पर भी शहद में रहे औषधीय तत्व जेसे की antioxidant, enzymes, vitamins, many anti aging properties, acids etc, नष्ट हो जाते हे । यह औषधीय तत्व ही शारीर को आरोग्यप्रदान करते हे और कही रोगों से लड़ने की शक्ति देते हे । इसलिए शहद को गर्मी से दूर रखना चाहिए । जब की ज्यादातर कंपनीया शहद को प्रोसेस्ड या पेस्च्युराइस ( हीटिंग और कूलिंग प्रोसेस ) करके बेचती हे, और ऐसा शहद शुगर सिरप से बढ़कर कुछ नहीं हे । इसीलिए ज्यादातर आयुर्वेद चिकित्सक “Raw honey” का उपयोग करने की सलाह देते हे ।
शुद्ध शहद का जमना एक कुदरती प्रक्रिया है । वास्तव मे शहद के औषधीय गुण घन अवस्था (crystallized form) मे प्रवाही अवस्थासे ज्यादा सुरक्षित होते है । इसलिए जमे हुए शहद का उसी अवस्था मे उपयोग करे ।
हजारो वर्षपूर्व रचित चरकसंहिता मे भी शहद जमने की बात का प्रमाण दिया गया है ।
चरकसंहितामे , 27 अध्याय “अन्नपानविधी (श्लोक 242 ) ” मे मधुशर्करा का स्पष्ट वर्णन है ।
“रुक्षा वम्यतिसारघ्नि च्छेदनी मधुशर्करा । तृष्णासृक् पित्तदाहेषु प्रशस्ता: सर्वशर्करा: ।। “
अनुवाद : शहद से निर्मित चीनी रुक्ष, उल्टी को रोकनेवाली, दस्तको रोकनेवाली, कफ को तोड़नेवाली, तृषा का समन करनेवाली, रक्तपित्त ओर दाह (जलन)को मिटानेवाली है ।
वर्तमान समय मे विदेशी बाजारों मे honey sugar (शहद से निर्मित चीनी ) के नामसे बेची जानेवाली सबसे महंगी चीनी, चरकसंहिता मे बताई गई मधुशर्करा ही है ।
भारतीय समाज मे यह मान्यता ज्यादा देखने को मिलती है के शहदका जमना उसमे मिलावट की निशानी है । लेकिन यह पूर्णतः गहत धारणा है ।
शहद का जमना एक कुदरती प्रक्रिया है । शुद्ध शहद भी जाम ( crystallized ) हो सकता है । शहद का जमना इस बात पर निर्भर करता है की शहद को स्त्रोत क्या है ? मतलब कोनसे फूलो के रससे मधुमक्खीओने शहद का निर्माण किया है । शहद के अंदर प्राकृतिक रूप मे ग्लूकोज़ ओर फ्रुक्टोज जेसी शर्कराए होती है । शहद का जमना उसके अंदर रहे हुए ग्लूकोस की मात्रा पर निर्भर करता है । जिन फूलोके रस मे प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज़ की मात्रा अधिक होती है, उनके रस ( nectar) से अगर मधुमक्खी शहद का निर्माण करती है तो उस शहदमे जमनेका गुणधर्म ज्यादा रहेगा । प्राकृतिक रूप से तैलीबीज (oil seeds) वाली वनस्पति के फूलो से अगर मधुमक्खी शहद बनती है तो उसके जमनेका गुण अधिक होता है । इसीलिए मधुमक्खी पालन मे बक्से ( honey bee hives )को राइ, सूर्यमुखी, तिल, सोयाबीन जेसे खेतो के बीच रखते है तो उनसे मिला शहद जमता है । उसे जाम हनी या क्रीम हनी के नाम से निर्यात किया जाता है, जो संपूर्णतः जमा हुआ होता है ।
शहद की शुद्धता पहचानने के 12 आसान तरीके । Asli hone ki pehchan
- शुद्ध शहद की एक बूंद किसी भी सूती वस्त्र पर डालिये शुद्ध शहद वस्त्र के दूसरी तरफ नही निकलेगा, और पौंछने पर असली शहद कपडे़ पर नहीं लगता है।
- काँच के एक साफ ग्लास में पानी भरकर उसमें शहद की एक बूँद टपकाएँ। अगर शहद नीचे तली में बैठ जाए तो यह शुद्ध है और यदि तली में पहुँचने के पहले ही घुलने लग जाए तो शहद अशुद्ध है।
- शहद की शीशी मे चमच से 1 मीटर लम्बी तार बनाने का प्रयत्न किजिए शुद्ध शहद से 1 मीटर लम्बी तार बनाई जा सकती है, यदि तार बिना टूटे 1 फुट से लम्बी न बने तो शहद अशुद्ध है।
- शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फँसती नहीं बल्कि फड़फड़ाकर उड़ जाती है, क्यूंकि मक्खी के पंखों पर शहद नहीं चिपकता।
- शुद्ध शहद आँखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी, परंतु चिपचिपाहट नहीं होगी।
- शुद्ध शहद कुत्ता सूँघकर छोड़ देगा, जबकि अशुद्ध को चाटने लगता है।
- शुद्ध शहद दिखने में पारदर्शी होता है।
- शीशे की प्लेट पर शहद टपकाने पर यदि उसकी आकृति साँप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है।
- शुद्ध शहद में खुशबू आएगी।
- शुद्ध शहद को कागज पर डालकर उठा लीजिये, कागज़ के नीचे निशान नहीं आता।
- रूई की बत्ती बनाकर शहद में भिगोकर जलाएं यदि बत्ती जलती रहे तो शहद शुद्ध है।
- अगर शुद्ध शहद shehad)को रेत पर टपकाया जाए तो ये रेत में गोली की तरह बन जायेगा।
सब कुछ सही हो सकता है हो सकता है कुछ कुत्ते न भी खाते हों
लेकिन कितना भी शुद्ध शहद हो मेरा कुत्ता जरूर खा जाता है मैंने अपनी आंखों के सामने से छत्ते से निकली हुई शहद को अपने कुत्ते को खिलाया है और वह पूरी श्रद्धा से संपूर्ण सहद को चाट जाता है