Last Updated on April 30, 2020 by admin
आमाशय क्या होता है : amashay kya hota hai
• मुख से चलकर भोजन सीधा भोजन-नली से होकर आमाशय (पेट / Stomach) में पहुँचता है| पेट की थैली को ही आमाशय कहा जाता है। आमाशय का आकार मशक के समान होता है जो पेडु के ऊपर तनिक बाईं तरफ़ को लेटी हुई-सी पड़ी रहती है। आमाशय रबर के गुब्बारे के समान लचकदार होता है। ज्यों-ज्यों इसमें भोजन पहुँचता जाता है, त्यों-त्यों इसका आकार बढ़ता जाता है। जब आमाशय खाली हो जाता है, तब यह पुनः पिचककर छोटा हो जाता है ।
• ज्यों ही आमाशय में भोजन पहुँचता है, त्यों ही आमाशय की दीवारों में एक प्रकार की गति आरम्भ हो जाती है, जिससे भोजन उसके अन्दर घूमने और मथने लगता है। इसके साथ ही आमाशय की दीवारों से एक प्रकार का बहुत-सा खट्टा रस भी स्रवित होकर भोजन में मिलने लगता है। यह रस सहस्रों सूक्ष्म ग्रन्थियों से निकलता है। ये ग्रन्थियाँ आमाशय की दीवार में चारों तरफ़, एक झिल्ली के नीचे ढकी रहती हैं। भोजन में कार्बोज वाला भाग पहले ही चीनी (Glucose] के रूप में परिवर्तित हो चुका होता है। आमाशय में पहुँचकर वह अन्तिम रूप में पचता है।
• जब आमाशय की ग्रन्थियों से यह अम्ल-रस पर्याप्त मात्रा में निकल चुकता है, तब भोजन का प्रोटीनवाला अंश भी पचने लगता है।
• आमाशय के रस में प्रधानतः तीन प्रकार की वस्तुएँ पाई जाती हैं ।, जामन , पचाइन तथा नमक का तेज़ाब पदार्थ में परिवर्तित कर देता है, जिससे उसका रूप द्रव हो जाता है। फिर उसका कुछ अंश आमाशय की दीवारें सोख लेती हैं और रक्त के साथ मिला देती हैं। शेष बचा भाग भोजन के अन्य भागों के साथ भली-भाँति मथ जाने के उपरान्त मुलायम तथा पतला होकर आमाशय के दूसरे द्वार से अन्तड़ियों में चला जाता है।
आमाशय (पेट) के घाव / सूजन / दर्द / जलन / पाचन : amashay me ghav/ sujan/ dard/ jalan/ pachan
आमाशय की पिछली दीवार पर ढाई सेमी० से 5 सेमी० या अधिक लम्बे घाव हो जाते हैं । नया घाव छोटा होता है । आमाशय की पुरानी सूजन, पुराना अजीर्ण इस रोग की उत्पत्ति का मुख्य कारण होता है । स्त्रियो को यह रोग पुरुषों की अपेक्षा अधिक होता है । जिन स्त्रियों को प्रदर रोग हो, उनको विशेष रूप से यह अधिक होता है । चालीस वर्ष से कम आयु के रोगी (जिनको 2 वर्ष से कम के लक्षण हों) को आराम हो जाने की आशा अधिक होती है । यदि 5 वर्ष के घाव हों तो शल्य चिकित्सा के उपरान्त भी आराम की कोई गारन्टी नहीं होती है ।
आमाशय (पेट) में घाव / सूजन/ दर्द के कारण : amashay me ghav ke karan
- यह रोग अम्ल पदार्थों के अधिक सेवन करने से होता है ।
- आमाशय में जलन पैदा करने वाले पदार्थो के अधिक सेवन करने से।
- शराब, नींद या बेहोशी की दवाओं का अधिक सेवन करने से।
- कच्चा मांस खाने, चाय-काफी ,कच्चे फल का अधिक सेवन से ।
- तेज मिर्च मसालेदार भोजन करने के कारण यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
आमाशय (पेट) में घाव के लक्षण : amashay me ghav ke lakshan
- आमाशय के ऊपरी मुख या कमर में दर्द, बोझ और अकड़न का रोगी अनुभव करता है।
- आमाशय को दबाने पर रोगी सख्त दर्द अनुभव करता है।
- अक्सर खाना खाने के एक घन्टे बाद दर्द होने लग जाता है तथा भोजनोपरान्त कै (वमन) आ जाती है ।
- कै में भोजन व रक्त मिला होता है । कई बार रक्त की ही कै आती हैं ।
- भोजन न पचने के कारण रोगी दुबला-पतला और कमजोर होता चला जाता है।
आमाशय (पेट) में घाव / सूजन / दर्द / जलन के घरेलू उपचार : amashay me ghav ke gharelu ilaj
1- बेलपत्र और नीम पत्र का समभाग मिलाकर 15 से 30 मिली० तक ‘रस’ प्रात: व सायं खाली पेट पिलायें । ( और पढ़े-बेलपत्र (Bel patra)के 29 दिव्य औषधीय प्रयोग )
2- कट करन्ज की भुनी मिंगी, सफेद जीरा, मुल्तानी हींग तथा त्रिफला चूर्ण, हींग के अतिरिक्त सभी औषधियाँ 50-50 ग्राम लेकर कपड़छन कर बाद में 5 ग्राम हींग मिला लें । इसे 500 मिली ग्राम से 2 ग्राम तक भोजन के साथ अथवा दिन में 2 बार प्रयोग करायें ।
3- सूतशेखर रस (ग्रन्थ योग रत्नाकर से) 1 से 2 गोलियाँ (120 से 240 मि.ग्रा.) तक अपामार्ग क्षार 60 मि.ग्रा. के साथ दूध मिश्री के अनुपान से दिन में 2-3 बार सेवन कराना लाभप्रद है।
4- ईसबबेल 2 से 4 चम्मच दानेदार चूर्ण जल से दिन में 34 बार खिलायें । इससे कब्ज दूर होकर आमाशय आन्त्र में स्निग्धता पहुँचती है। ( और पढ़े-ईसबगोल के 41 चमत्कारिक औषधिय प्रयोग )
5- कामदुधा रस (ग्रन्थ रस योग सागर) 120 से 360 मि.ग्रा. तक जीरा मिश्री के साथ दिन में 2 बार प्रतिदिन सेवन करायें । पित्तज आमाशय आन्त्रव्रण में परम उपयोगी है।
नोट-मानसिक चिन्ताओं से यह रोग अधिक बढ़ता है अत: इससे बचें अथवा निद्राकारक योगों का व्यवहार करें । रोगी को केवल दूध पिलायें, बाकी समस्त भोजन बन्द कर दें । बाद में तरल तथा नरम भोजन धीरे-धीरे खिलाना प्रारम्भ करें । घी, मसाले युक्त भोजन तथा तम्बाकू इत्यादि का सेवन पूर्णतः बन्द कर दें । पहले प्रत्येक 2-2 घंटे के बाद तथा बाद में प्रत्येक 4-4 घंटे के बाद दुख्यपान करायें ।
आमाशय (पेट) में घाव / सूजन / दर्द / जलन की दवा : amashay me ghav ki ayurvedic dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित (पेट) के घाव ,सूजन ,दर्द ,जलन में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
1) बेल चूर्ण (Achyutaya Hariom Bel Churna)
2) नीम अर्क(Achyutaya Hariom Neem Ark)
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)