Last Updated on May 12, 2020 by admin
कान बहने का कारण : kaan behne ka karan
- स्कारलेट फीवर, खसरा, काली खाँसी आदि संक्रामक रोगों में यह 5 से , 15% तक हो जाता है।
- यह रोग आतशक, तपेदिक, कन्ठशूल, ग्रन्थिप्रदाह, पुराना जुकाम और एडिनोइड्स के रोगियों को अधिक हुआ करता है।
- यह बीमारी बच्चों को भी अक्सर हुआ करती है।
कान बहने का लक्षण : kaan behne ka lakshan
इसमें कान में भारीपन, कान में शूल, शिरा शूल, पलकों का कभी-कभी सूज जाना, कार्य प्रणाली की सूजन, सर्दी के साथ थोड़ा-बहुत ज्वर, बच्चों में कम्हेड़े के दौरे पड़ना, कान में धू-धू की आवाज होना, कान के पर्दे फट जाना,द्रव बहना (स्राव में रक्त, रस, श्लेष्मा तथा पीप होना) आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
आइये अब जानते है कान में मवाद (पीप) आने का इलाज के बारे में |कान से पानी निकालना का सरल उपचार |kaan behne ka desi ilaj
कान बहने का घरेलु उपाय /आयुर्वेदिक उपचार : kaan behne ka upay
1) नीम के तेल में शहद मिलाकर रुई भिगोकर कान में रखने से कान बहना बन्द हो जाता है।
2) सूरजमुखी के पत्तों के रस में तेल मिलाकर कान में डालने से कान का बहना बन्द हो जाता है। ( और पढ़ें – कान का बहना रोग के 37 घरेलु उपाय )
3) अमलतास का क्वाथ कान में डालने से पीव आना बन्द हो जाता है।
4) चूने के पानी में उतना ही दूध मिलाकर पिचकारी देने से कान का बहना रुक जाता है।
5) माजूफल को कूटकर सिरके में उबाल कर छान लें, इसे कान में डालने से कान बहना बन्द हो जाता है।
6) मेथीदाना को दूध में भिगोकर पीस लें, हल्का गरम करके कान में डालने से कान बहना रुक जाता है। ( और पढ़ें – मेथी के अदभुत 124 औषधीय प्रयोग )
7) लोध का महीन चूर्ण कान में डालने से कान का बहना बन्द हो जाता है।
8) सहजने का गोंद पीसकर थोड़ा-सा कान में बुरक दें, कान बहना बन्द हो जायेगा।
9) पिसी हल्दी 1 भाग, फिटकरी पिसी 20 भाग मिलाकर कान में थोड़ा-सा | डालना भी कान बहने में हितकर है। ( और पढ़ें – फिटकरी के 22 बड़े फायदे )
10) 2 पीली कौड़ी का भस्म 200 मिली ग्राम व दस ग्राम | गुनगुने तेल में डालें। छानकर 2-3 बूंद कान में डालें।
11) तिल का तेल 1 भाग और हुलहुल का रस 4 भाग मिलाकर आग पर तब तक पकायें, जब तक कि केवल तेल शेष रह जाय- बाद में इसे छानकर कान में डालने से कान का बहना बन्द हो जाता है। ( और पढ़ें – तिल खाने के 79 जबरदस्त फायदे )
12) स्त्री के दूध में रसौत पीसकर उसमें घी तथा शहद मिलाकर कान में डालने से कान से दुर्गन्धयुक्त मवाद बहना बन्द हो जाता है।
13) हरताल बर्किय 1 ग्राम को पीसकर 50 ग्राम सरसों के तेल में इतना पकायें कि धुआँ निकलने लगे, इसे छानकर कान में डालने से पुराने से पुराना कान का बहना 2-3 दिन में बन्द हो जाता है।
14) 60 ग्राम सरसों का तेल किसी बर्तन में गरम करें, इसमें 4 ग्राम मोम डाल दें। जब मोम पिघल जाय, तब आग से उतार लें, फिर इसमें 8 ग्राम पिसी हुई फिटकरी डाल दें। अगर किसी भी दवा से कान का बहना बन्द न हुआ हो तो इस दवा का सेवन करें।3-4 बूंद दवा कान में सुबह-शाम डॉलें।
15) 100 ग्राम सरसों के तेल में 10 ग्राम रतनजोत मिलाकर आग पर चढ़ा दें, जब पत्तियाँ जल जायें- तब इसे छानकर शीशी में भर लें। एक सप्ताह तक 3-4 बूंदें कान में डालने से कान का बहना तथा कम सुनाई पड़ना ठीक हो जाता है।
16) कान को साफ करके थोड़ी-सी स्प्रिट डालने से 3-4 दिन में ही कान का बहना बन्द हो जाता है।
17) कान बहने की दवा :रसौत, शहद और औरत का दूध मिला कान साफ करके 2-3 बूंद दिन में तीन बार डालने से कान बहना रुक जायेगा या बारीक पिसा सिलोचन नली से दिन में 2-3 बार डालने से कान बहना बन्द होगा ।
18) कान बहने की अन्य दवा : कान बहने में कोकर के फूलों को तेल में पकाकर छान लो । यह कान बहने की उत्तम दवा है ।
19) कान के दर्द में बन्दील का फल : कर्ण शूल में बन्दील के फल 5 तोले क्वाथ में 20 तोले तिल का तेल डाल कर आग में पकावें । ठण्डा होने पर दवा मिला रख दें । इसकी दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द बन्द हो जायेगा ।
20) कान के घाव भरने का नुस्खा : बबूल के फल लेकर सरसों के तेल में आग पर जलायें । इस तेल को छानकर कान में दो बूंद डालने से कान का बहना बन्द हो जाता है । आजमाया योग है।
21) कान के समस्त रोगों की दवा : प्याज का रस गर्म कर एक या दो बूंद कान’ में डालिये । कान का बहरापन, कान का दर्द नाक का अब्द एवं बहना आदि शिकायत समाप्त हो जाती है ।
22 ) कान बहने का योग : इन्द्रायन का कच्चा ताजा फल लेकर तिल के तेल में आग पर कढ़ाई में पकाएं । छानकर शीशी में भरें (इस तेल की एक-दो बूंद रोज सुबह शाम डालने से 25-30 दिन में लाभ मिल जाता है । इससे कान के कीड़े मर जाते है।
23) लहसुन की 2 कलियां व नीम की दस कोंपलें तेल में गर्म करें। दो-दो बूंद दिन में तीन-चार बार डालें। ( और पढ़ें – लहसुन के 13 बड़े फायदे )
सावधानी : कान में जख्म को साफ करने वाली ऐलोपैथिक दवा- ‘हाइड्रोजनपरआक्साइड’ कभी नहीं डालना चाहिए। यह कान बहने में अत्यन्त हानिकारक है। इस रोग में पिचकारी भी नहीं लगाना चाहिए। मात्र साफ सूखी रुई र्सीक में लपेटकर सावधानी से कान साफ करें। हाइड्रोजन परआक्साइड से कान साफ करने से रोग (कर्णस्राव) बढ़ जाया करता है।
कान बहने की प्राकृतिक चिकित्सा : kaan behne ki prakritik chikitsa
कर्णस्राव या कान बहना और उसके द्वारा पीव-मवाद आदि निकलना इस बात का परिचायक है कि शरीर का रक्त शुद्ध नहीं है। अतः इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार निम्नांकित रूप से उपचार चलाना चाहिए
1) चिकित्सा सर्वप्रथम शरीर का रक्त शुद्ध व साफ करें ताकि रक्त शुद्ध व साफ होकर शरीर निर्मल हो जाए, फिर कान का बहना स्वतः ही बन्द हो जाएगा। इस हेतु कर्णस्राव के रोगी को 1-2 दिन का उपवास करना चाहिए या रसाहार पर रहना चाहिए। फिर मौसमी फलों और उबली हुई कच्ची साग-सब्जियों पर रहना चाहिए । तदुपरान्त फल और दूध पर रहें और उसके पश्चात् सादे भोजन पर आ जाएँ ।
2) प्रतिदिन 10-15 मिनट तक उदर स्नान करें और प्रत्येक दूसरे दिन पैरों का गरम स्नान लें ।
3) रोगी को यदि कब्ज हो तो कब्ज के न टूटने तक एनिमा लेना चाहिए ।
4) प्रतिदिन 2 बार जो भी कान बहता हो, उस पर 5-7 मिनट तक भाप देने के बाद उस स्थान को ठण्डे जल से भीगे कपड़े से पौंछ देना चाहिए तथा नीम के गर्म पानी और पिचकारी द्वारा अन्दर का मल साफ कर देना चाहिए तदुपरान्त उस कान में 2 बूंद बकरी का ताजा मूत्र अथवा हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल डालकर कान को साफ-स्वच्छ रुई के फाहे से बन्द कर देना चाहिए।
कान के बहने की दवा :
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित “कर्ण बिंदु(Achyutaya Hariom Karan Bindu)” कान के बहने , कान का दर्द,कान में कम सुनाई पढ़ना आदि कान के रोगों में शीघ्र राहत प्रदान करता है |
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)