Last Updated on May 4, 2020 by admin
खुजली (कण्डु या पामा ) के कारण : khujli ke karan
यह रोग प्रायः उन लोगों को अधिक होता है, जो शारीरिक स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं देते । गन्दगी के कारण शरीर में जो विषाणु उत्पन्न हो जाते हैं, उनके संक्रमण से शरीर के विभिन्न अंगों में, गाइयों आदि में खुजली होने लगती है। रोग बढ़ता है तो बेचैनी बढ़ जाती है और रोगी खुजाते- खुजाते परेशान हो जाता है।
खुजली में खान पान : khujli me khan pan
आयुर्वेद, चर्म रोगों में शोधन कर्मों को विशेष महत्व देता है। उपवास के साथ वास्तविक कर्म एनिमी का प्रयोग किया जाय । उपवास के रूप में फलों का रस तथा शुद्ध जल में नींबू और शहद मिश्रित पेय अथवा बकरी या गाय का दूध लेना चाहिये तथा रोगी को शरीर की पूरी तरह सफाई के लिये सर्वांग स्नान नित्य प्रति करना चाहिये ।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज : khujli ka ayurvedic ilaj
1- नारियल के तैल में फुलाया हुआ सुहागा मिलाकर शरीर पर मालिश करनी चाहिये। ( और पढ़े – खुजली के सबसे बेहतरीन 15 घरेलू उपचार )
2- सत्यानाशी के बीज, पानी के साथ पीस कर लगावें अथवा उनका उबटन करें । शुद्ध आमलासार गन्धक को शहद के साथ सेवन करने से खुजली में पर्याप्त लाभ होताहै। गन्धक की मात्रा लक्षणानुसार 100 से 400 मिलीग्राम तक ले सकते हैं।
3- पँवाड़ के बीज, बावची, सरसों, तिल, हल्दी, दारुहल्दी, कूट और मोथा समान भाग | लेकर ताजा तक्र के साथ पीस कर लेप करने से खुजली और दाद में भी लाभ होता है।
4- 10 ग्राम आमलासार गन्धक- शुद्ध के रात्रि में जल के साथ भिगोयें और प्रातःकाल मोटे वस्त्र में छान कर पीयें । इससे खुजली में शीघ्र लाभ होता है । इसी गन्धक का पानी छानने पर वस्त्र में जो गन्धक रहे, उसे नारियल के तेल में घोट कर रखें । इसे धूप में बैठकर लगाने से खुजली दूर होती है। ( और पढ़े – फोड़े-फुंसी के देशी 19 घरेलु इलाज )
5- शुद्ध आमलासार गन्धक, आँवाहल्दी, बावची के बीज और काला जीरा प्रत्येक 12 ग्राम लेकर दरदरी कूट कर रखें । इसमें से 12 ग्राम तक यह चूर्ण पानी के साथ रात्रि में एक मिट्टी के पात्र में भिगोयें और प्रातः पानी निथार कर या छान कर पीयें। ऊपर से 20-25 ग्राम भुने चने खायें । यह प्रयोग नित्यप्रति तीन दिन तक करें । खुजली मिट जायेगी ।
6- उक्तयोग में पानी निथारने के पश्चात् जो औषधि शेष रहे, उसमें 2 ग्राम मैनसिल मिला कर पीसें और तिली के तेल में मिला कर रखें । इसे धूप में बैठकर रुग्ण स्थान पर मलना चाहिये। इस प्रकार खाने और लगाने के प्रयोग से 3 दिन में लाभ हो जाता है।
7- खांज पर अचूक मरहम शुद्ध – आमलासार गन्धक, शुद्ध पारद, आवाँ हल्दी, अजवाइन और शुद्ध सिंगरफ प्रत्येक 12 ग्राम, शुद्ध तूतिया 3 ग्राम, गाय का घृत 100 ग्राम तथा इतना ही भाँगरे का स्वरस ।
पारद- गन्धक की कज्जली करके, उसमें आँवा हल्दी का अत्यन्त महीन चूर्ण मिलावें। सिंगरफ और तूतिया भी सूक्ष्म करके मिला दें और घी के साथ पर्याप्त मन्थन करें, साथ ही भाँगरे का रस भी बीच-बीच में मिलाते रहें। इस प्रकार सब एकजीव होकर उत्तम मरहम तैयार होगी ।
इसका व्यवहार करने से पूर्व किसी विषाणु नाशक साबुन (नीम आदि से निर्मित साबुन) से ठीक प्रकार स्नान करें । अथवा स्नान के पानी में नीम का क्वाथ मिला कर, उससे ठीक प्रकार से स्नान करके और शरीर को मोटे तौलिये से रगड़- पोंछ कर सुखावें और तब यह मरहम रुग्ण स्थानों पर लगावें । फिर 3 दिनों तक स्नान न करें और मरहम का व्यवहार करते रहें। तीन दिन तक इस प्रयोग के करने से खुजली अवश्य नष्ट हो जायेगी ।
8- खुजली की आयुर्वेदिक दवा – त्रिफला चूर्ण 8 ग्राम, शुद्ध गन्धक 2 ग्राम और रसमाणक्य 1 ग्राम, खरल में घोंट कर एकजीव कर लें तथा 10 पुड़ियाँ बना लें ।
मात्रा — 1-1 पुड़िया प्रातः- सायं पानी के साथ अथवा त्रिफला कषाय के साथ सेवन करावें । इसके प्रयोगकाल में घृत, मक्खन आदि का अधिक सेवन करें। क्योंकि दवा गर्मी करती है । खुजली पर अव्यर्थ योग है।
दाद के लक्षण : dad ke lakshan
दाद ( दद्रु रिंग वार्म )यह भी त्वचा पर होने वाला एक दुष्ट रोग है । इसमें कुछ चकत्ता- सा बन जाता है, जो बीच में नीचा और चारों ओर उठा हुआ सा रहता है । किसी- किसी रोगी में इससे कुछ अलग लक्षण भी देखे जाते हैं।
इस रोग में भी अत्यधिक खुजली चलती है। किन्तु खुजाने में कुछ सुख का- सा अनुभव भी होता है। रोगी खुजाते- खुजाते थक कर भी पुनः खुजाने लगता है ।।
दाद का आयुर्वेदिक इलाज : dad ka ayurvedic ilaj
1- गन्धक, सुहागा और मिश्री समान भाग मिला कर पीसें । यह मिश्रण 40 ग्राम लेकर पाँच गुने पानी में डाल कर घोल कर तैयार करें । 24 घण्टा रखने के बाद प्रयोग में लावें। इसे दिन भर में 2 बार, दाद पर मलते रहने से 2-3 दिन में दाद नष्ट हो जाता है | ( और पढ़े – दाद खाज खुजली के 7 रामबाण घरेलु उपचार )
2- नींबू का टुकड़ा काट कर दाद पर मलने से पहले कुछ जलन- सी प्रतीत होती है, किन्तु दाद की खुजली कम हो जाती है तथा कुछ दिन में रोग मिट जाता है।
3- आमलासार गन्धक, सुहागा और राल समान भाग लेकर महीन पीसें तथा तीनों के बराबर घी के साथ मन्दाग्नि पर पकावें । जब ठीक प्रकार से मिल कर एक जीव हो जाये तब उतार कर उस पात्र में जल डालें. जिससे कि जल उस पर ऊपर रहे। ठण्डा होने पर जल ऊपर हो जायेगा और वह पदार्थ मरहम रूप में जम जायेगा । उस जल को फेंक दें और मरहम को काम में लावें । दाद, खाज, फोड़ा- फुसी सभी में इसे लगाने पर लाभ हो जाता है। ( और पढ़े – दाद को जड़ से मिटायेंगे यह 16 घरेलु नुस्खे )
4- गन्धक- आमलासार, तूतिया, मुर्दासंग, मैनसिल, सफेद जीरा, काला जीरा, पंवाड़ के बीज, बावची और सुहागा, समान भाग लेकर कूट- कपड़छन करें। दाद, खाज में अत्यन्त उपयोगी है।
इसका प्रयोग इस प्रकार करें – दाद में ताँबे के पैसे से दाद को खुजावें और इस दवा को नींबू के रस में मिला कर दाद पर लगावें । दाद अवश्य मिट जायेगा । सूखी खुजली में यह दवा सरसों के तेल में मिला कर लगावें तथा सब शरीर पर गोबर मल कर स्नान करें । पकी खुजली में 100 बार पानी में धोये हुए घृत या मक्खन में मिला कर लगावें |
दाद खाज खुजली की दवा :dad khaj khujli ki ayurvedic dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित दाद खाज खुजली में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
1) मलहम (Achyutaya Hariom Malham)
2) नीम साबुन
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
दाद को साफ करके उस पर नींबू को रगड़ दें। फिर तुलसी की पत्तियों को पीसकर 15 दिन तक रोजाना 2 बार दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। ~ हरिओम
Chehre aur pair par ho Gaya hai dad khaj khujli bahut din se pareshan hai please koi aacha sa dava bataia