पूजा के 55 जरुरी नियम | Puja ke Jaruri Niyam

Last Updated on July 22, 2019 by admin

पूजा के नियम : Puja ke Niyam

1. नहा-धोकर पूजा करनी चाहिए।
2. आसन पर बैठकर पूजा करें।
3. आसन पर बैठने से पूर्व आसन को नमस्कार करें।
4. घी का दीपक देवताओं के दाईं तरफ और तेल का दीपक बाई तरफ जलाना चाहिए।
5. घी के दीपक के नीचे चावल रखें।
6. तेल के दीपक के नीचे काले तिल या काले साबुत उड़द रखें।
7. शंख यदि घर में है तो उसे आचमनी (देवताओं के जल के बर्तन में जो चम्मच इस्तेमाल होता है उसे आचमनी कहते हैं) से भरना चाहिए।
8. शंख को जल में डुबो कर नहीं भरना चाहिए।
9. संकल्प के बिना पूजा अधूरी है।
10. दूर्वा, चावल, पान सुपारी, दक्षिणा धोकर चढ़ायें ।
11. बाएं हाथ से देवताओं को कोई चीज न चढ़ायें ।
12. घर में 2 शिवलिंग, 2 शालिग्राम, 2 सूर्य, 3 दुर्गा, 3 गणेश २ शंख नहीं होने चाहिए।
13. पूजन में किसी सामग्री (वस्तु) की कमी हो तो उसके स्थान पर चावल चढ़ा सकते हैं।
14. तुलसी का पत्ता बिना स्नान नहीं तोड़ना चाहिए।
15. रात में, रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रांति को तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
16. शिवजी, गणेश जी, भैरों जी पे तुलसी नहीं चढ़ती।
17. दूर्वा गणेश जी को अति प्रिय है।
18. रविवार को दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए।
19. औरों के दीपक से अपना दीपक कदापि नहीं जलाना चाहिए।Puja ke Niyam
20. सूर्य देव को शंख से जल न चढ़ायें।
21. सूर्यदेव पर चढ़ा जल पैरों में नहीं आना चाहिए।
22. जगह का अभाव हो तो सूर्य को जल, किसी गमले में दिया जा सकता है।
23. दीपक जला कर हाथ धोने चाहिए।
24. शिवजी पर बेलपत्र, धतूरा, व भांग चढ़ानी चाहिए।
25. केतकी का फूल शिवजी पर नहीं चढ़ता।
26. कमल का फूल लक्ष्मी जी को प्रिय है।
27. महालक्ष्मी को धनिया, हल्दी, चावल की जगह चढ़ाये जा सकते
28. महालक्ष्मी को गुड़ का भोग लगाया जा सकता है।
29. कमल के फूल 5 दिन, तुलसी 11 दिन और बेलपत्र 6 मास तक बासी नहीं होते, इन्हें गंगाजल में धोकर दुबारा चढ़ाया जा सकता है।
30. बेलपत्र हमेशा उलटे करके चढ़ाने चाहिए।
31. शिवालय में जल पहले गणेश जी के चरणो में, फिर शिवलिंग पर, फिर माँ पार्वती के चरणों में, फिर कार्तिकेय के चरणों पर, फिर गणेश जी के चरणों में, फिर नंदी के चरणों में, फिर नाग देवता को, फिर कलश में यदि शिवलिंग के ऊपर है तो और अंत में शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
32. शनि देव की पूजा के बाद पीछे मुड़ के नहीं देखना चाहिए।
33. शनिदेव को जो तेल चढ़ाये उसमें पहले अपना चेहरा देखें।
34. औरतों को शंख बजाना मना है।
35. अपवित्र अवस्था में किसी को भी शंख नहीं बजाना चाहिए।
36. पूजा करते वक्त आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
37. देवताओं की ओर कभी भी पीठ करके न बैठे।
38. हनुमान जी का जाप करने से पहले राम का नाम अवश्य लें।
39. माला से जाप शुरु करने से पहले और खत्म होने के बाद माला को आँखों और माथे से जरूर लगाएं।
40. पूजा खत्म होने के बाद २-३ बूंद पानी की आसन उठा के आसन के नीचे डालें, फिर हलके से उस जल को आसन से ही एक बार ढक के उस पानी को अपने शरीर पर छिड़कें।
41. पूजा के बाद पानी का अभाव हो तो अंगूठे को जमीन में लगा कर 3 बार ॐ शुक्राय नमः बोलें।
42. आचमन करने के बाद हाथ को सर पे न फिराएं।
43. कुछ दक्षिणा अवश्य चढ़ायें।
44. पूजा समाप्ति के बाद आसन पर खड़े होकर 3 परिक्रमा जरूर करें।
45. शालिग्राम का आह्वान तथा विसर्जन नहीं होता।
46. जो मूर्ति स्थापित हो उनका आह्वान और विसर्जन नहीं होता।
47. मिट्टी की मूर्ति का आह्वान और विसर्जन होता है और अंत में विधिवत् जल प्रवाह भी किया जाता है।
48. पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है।
49. शालिग्राम पर अक्षत नहीं चढ़ता। लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाये जा सकते हैं।
50. पिघला हुआ घृत् (घी) और पतला चन्दन नहीं चढ़ाना चाहिये।
51. हाथ में धारण किये पुष्प, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं।
52. मूर्ति स्नान में मूर्ति को अंगूठे से न रगड़ें।
53. मोली हाथ में बाँध के रखनी चाहिए।
54. दुबारा मोली जब भी बँधवाएं पुरानी को खोल दें।
55. आदमी के सीधे हाथ में मोली बंधती है विवाहिता के उलटे हाथ में |

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