Last Updated on November 19, 2019 by admin
फोड़े फुंसी के कारण और इलाज :foda funsi ka ilaj in hindi
फोड़े फुंसी के कारण : foda funsi ke karan
• बरसात के गंदे पानी के कारण.
• कीटाणुओ के संक्रमण होने से.
• खून में खराबी होने से.
• गर्मियों में आम का अधिक सेवन करने से भी फोड़े फुंसी उत्पन्न होते है.
• मच्छर के काटने.
• अधिक मिर्च मसाले का सेवन करने से.
• आस पास के प्रदूषित वातावरण के कारण
• इसके अतिरिक्त विभिन्न बीमारियों की दवाओं के दुष्प्रभावो के कारण भी इनकी मौजूदगी देखी जा सकती है.
लक्षण:
फोड़े-फुंसी को सभी लोग आसानी से पहचान जाते हैं। इनमें पहले तो दर्द होता है और फिर धीरे-धीरे इनके मुंह निकल आते हैं जिनमें से खून निकलता है। इनके पकने पर मवाद निकलने लगता है। इन फुंसियों में दर्द और जलन भी होती रहती है।
भोजन और परहेज:
• फोड़े-फुंसियां (foda funsi)होने पर रोजाना सुबह उठते ही 2 चम्मच नीम अर्क(Achyutaya Hariom Neem Ark) पीना चाहिए।
• रोगी को भोजन में देशी घी की जगह मक्खन का प्रयोग करना चाहिए।
• खाने में ज्यादा गर्म चीजें, मिर्च-मसाले, तेल, खट्टी चीजें, सूखे या ज्यादा मीठी चीजें नहीं खानी चाहिए।
• फो़ड़े-फुंसियों के ऊपर धूल नहीं जमने देना चाहिए। उनके ऊपर पट्टी बांध लें या शरीर के उस भाग को कपड़े से ढककर रखें।आइये जाने fode funsi ka gharelu upchar in hindi
विभिन्न औषधियों से उपचार : fode funsi ka gharelu ilaj in hindi
1. दही: अगर फोड़े में सूजन, दर्द और जलन आदि हो तो उस पर पानी निकाले हुए दही को लगाकर पट्टी बांध देते हैं। एक दिन में 3 बार इस पट्टी को बदलने से लाभ होता है।
2. राई: राई का लेप सदा ठंडे पानी में बनायें। राई का लेप सीधे त्वचा पर न लगाये इसका लेप लगाने से पहले त्वचा पर घी या तेल लगा लें क्योंकि इसका लेप सीधे लगाने से फोड़े-फुंसी आदि होने का डर रहता है। राई को ताजे पानी के साथ बारीक पीसकर लेप बनाकर साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेप करके इस कपड़े को रोगी के फोड़े-फुंसी से पीड़ित अंग पर रख दें।
3. गाजर का रस:
• 300 मिलीलीटर गाजर का रस और 112 मिलीलीटर पालक के रस को एक साथ मिलाकर पीने से फोड़े-फुंसी, कैंसर, सांस की नली की सूजन, मोतियाबिन्द, जुकाम, कब्ज, आंखों के रोग, गलगण्ड, बवासीर, हार्निया, फ्लू, गुर्दे के रोग, पीलिया, हृदयशूल और वात रोग ठीक हो जाते हैं।
• 280 मिलीलीटर गाजर का रस और लगभग 170 मिलीलीटर पालक का रस एक साथ मिलाकर पीने से मुंहासे, कण्ठलूशाक, सफेद पदार्थ निकलना, दमा, मधुमेह, सिरदर्द, अनिद्रा, लीवर के रोग, आधे सिर का दर्द और बुखार आदि ठीक हो जाते हैं।
• गाजर की गर्म पुल्टिश (पोटली) बांधने से फोड़े-फुन्सियों में लाभ होता है। यह फोड़े-फुन्सियों के जमे हुए खून को भी पिघला देती है।
4. चन्दन: चन्दन को पानी में घिसकर लगाने से फोडे़-फुन्सी और घाव नष्ट हो जाते हैं।
5. मसूर की दाल :
• मसूर के आटे की पुल्टिश (पोटली) लगाने से फोड़े शीघ्र ही फूट जाते है और उसकी मवाद सूख जाती है।
• मसूर की दाल को पीसकर उसकी पुल्टिस (पोटली) को फोड़ों पर बांधने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।
6. मिट्टी:
• सूजन, फोड़ा, उंगुली की विषहरी हो (उंगुली में जहर चढ़ने पर), तो गीली मिट्टी का लेप हर आधे घण्टे तक करते रहने से लाभ होता है। फोड़ा बड़ा तथा कठोर हो, फूट न रहा हो तो उस पर गीली मिट्टी का लेप करें। इससे फोड़ा फूटकर मवाद बाहर आ जाती है। बाद में गीली मिट्टी की पट्टी बांधते रहें। मिट्टी की पट्टी या लेप फोड़ों को बाहर खींच निकालता है।
• शरीर पर अगर फोड़े-फुंसी निकल रहे हों और फूट नहीं रहे हों तो उन पर काली मिट्टी का लेप करना चाहिए।
7. जमालगोटा: जमालगोटा और एरण्ड के बीज को बराबर की मात्रा में पीसकर पानी में मिलाकर पानी में मिलाकर लेप बनाकर फोड़े-फुंसियों में लगाना चाहिए।
8. चावल: सरसों के तेल में पिसे हुए चावलों की पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
9. धाय: धाय के फूलों के चूर्ण को जवासा के तेल में खरल करके लेप बनाना चाहिए। इस लेप को लगाने से आग से जले हुए घाव, विष, कीटहण, घाव और पुराने दुष्ट तथा नाड़ी के घाव दूर हो जाते हैं।
10. छोंकर: छोंकर के सूखे फलों को पानी में घिसकर फोड़ों पर लेप करना चाहिए। इससे फोड़े बहुत जल्द ही पककर फूट जाते हैं और जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
11. मुलहठी: फोड़े पर मुलहठी का लेप लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
12. दूब: पके फोड़े पर प्रतिदिन दूब को पीसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है।
13. आंवला: आंवला का दूध लगाने से दर्द करने वाले फोडे़ मिट जाते हैं।
14. काजू: काजू की कच्ची गिरी और तीवर के फल को ठंडे पानी में घिसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी मिट जाता है।
15. अड़ूसा (वासा): फोड़े-फुंसियों की प्रारंभिक अवस्था में ही अड़ूसा के पत्तों को पीसकर बनाया गया गाढ़ा लेप लगाकर बांध देने से वह बैठ जाते हैं। यदि फोड़े पक गए हो तो वह शीघ्र ही फूट जाते हैं। फूटने के बाद इस लेप में थोड़ी सी पिसी हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं।
16. गेहूं: गेहूं के आटे की पुल्टिश बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़ें पक जाते हैं। यह फोड़ों को पकाने का यह सरल और घरेलू उपाय है।
17. गेंदा: गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।
18. मेथी:
• दाना मेथी को थोड़े-से पानी में भिगोकर, पीसकर उसमे थोड़ा-सा घी या तेल डालकर गर्म करके पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़े-फुंसी, सूजन और दर्द में लाभ मिलता है।
• मेथी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) नष्ट होती है, खून शुद्ध होता है और फोडे़-फुंसियों की विकृति भी नष्ट हो जाती है।
19. ऐन: ऐन की छाल और काली तुलसी का रस निकालकर उसमें चावल का आटा छानकर फोड़े पर लगायें। इससे फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
20. अजमोद: फोड़े-फुंसी (foda funsi)या घाव को जल्दी पकाने के लिए इसे थोड़े गुड़ के साथ पीसकर सरसों के तेल में पकाकर बांधना चाहिए।
21. शरपुंखा: शरपुंखे के 10-20 मिलीलीटर काढे़ में 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट सुबह-शाम पीने से रुधिर (खून) शुद्ध होता है और शरीर के फोड़े फुन्सी नष्ट हो जाते हैं।
22. लाल कचनार: कचनार की जड़ को चावलों के धुले पानी के संग पीसकर पट्टी बांधने से फोड़े पककर ठीक हो जाते हैं। घाव होने पर इसकी छाल पीसकर लगाने से फायदा होता है।
23. कनेर:
• कनेर के लाल फूलों को पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को फोड़े-फुन्सियों पर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से लगाने से लाभ मिलता है।
• कनेर की जड़ की छाल को पीसकर पके हुए फोड़े पर लेप करने से फोड़ा 3 से 4 घंटे में ही फूट जाता है।
24. पान: पान के पत्ते पर तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर भी तेल लगाकर बांध लें। इससे फोड़ा ठीक हो जाता हैं। पान का पत्ता कीटनाशक होता है।
25. इमली:
• फोड़े होने पर 30 ग्राम इमली को 1 गिलास पानी में मसलकर मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
• इमली के 10 ग्राम पत्तों को गर्म करके उसकी पुल्टिश (पोटली) बनाकर बांधने से फोड़ा पककर जल्दी फूट जाता है।
• इमली के बीजों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से फुंसियां मिट जाती हैं।
26. ग्वारपाठा:
• ग्वारपाठा का गूदा गर्म करके बांधने से या तो फोड़ा बैठ जाता है या फिर पककर फूट जाता है। फोड़े-फुंसी फूटने के बाद गूदे में हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है।
• ग्वारपाठे का गूदा निकालकर गर्म करके उसमें 2 चुटकी हल्दी मिला लें। फिर इसको फोड़े पर लगाकर ऊपर से पट्टी बांध दें। थोड़े ही समय में फोड़ा पककर फूट जायेगा और उसका मवाद बाहर निकल जायेगा। मवाद निकलने के बाद फोड़ा जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इसे भी पढ़े :फोड़े-फुंसी के देशी 19 घरेलु इलाज | Home Remedies for Boils and Abscesses
27. अजवाइन:
• नींबू के रस में अजवाइन को पीसकर फोड़ों पर लेप करना चाहिए।
• सूजन आने पर अजवाइन को पीसकर उसमें थोड़ा-सा नींबू निचोड़कर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
28. अखरोट: यदि फुंसियां अधिक निकलती हो तो 1 वर्ष तक रोजाना सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ होता है।
29. प्याज:
• प्याज को कूटकर पीस लें। फिर उसमें हल्दी, गेंहू का आटा, पानी और शुद्ध घी मिलाकर थोड़ी देर आग पर रखकर पकाकर पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और आराम मिलता है।
• फोड़े, गांठ, मुंहासे, नारू, कंठमाला (गले की गिल्टी) आदि रोगों पर प्याज को घी में तलकर बांधने से या प्याज के रस को लगाने से लाभ पहुंचता है।
• प्याज को पीसकर उसकी पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और उसकी मवाद निकलने के बाद फोड़ा सूख जाता है।
30. गूलर: फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर पतला कागज चिपकाने से लाभ होता है।
31. अलसी:
• अलसी को पानी में पीसकर उसमें थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टे दही के साथ फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है।
• वात प्रधान फोड़े में अगर जलन और वेदना हो तो तिल और अलसी को भूनकर गाय के दूध में उबालकर, ठंडा होने पर उसी दूध में उन्हें पीसकर फोड़े पर लेप करने से लाभ होता है।
• अगर फोड़े को पकाकर उसका मवाद निकालना हो तो अलसी की पुल्टिस (पोटली) में 2 चुटकी हल्दी मिलाकर फोड़े पर बांध दें।
32. पुनर्नवा: लगभग 5 ग्राम श्वेत पुनर्ववा की जड़ को 500 मिलीलीटर पानी में पकाकर चौथाई काढ़ा बचने के बाद उस काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से आधे पके हुए फोड़े समाप्त हो जाते हैं।
33. अमलतास: अमलतास के पत्तों को गाय के दूध के साथ पीसकर लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसी या छाले दूर हो जाते हैं।
34. उड़द: फोड़े से गाढ़ी पीब निकले तो उड़द की पट्टी बांधने से लाभ होता है।
35. शहतूत: शहतूत के पत्तों पर पानी डालकर, पीसकर, गर्म करके फोड़े पर बांधने से पका हुआ फोड़ा फूट जाता है तथा घाव भर जाता है।
36. अमरूद:
• 4 सप्ताह तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, बढ़ी हुई गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है और फोड़े-फुन्सी तथा खाज-खुजली ठीक हो जाते हैं।
• अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
37. शीशम: शीशम के पत्तों का 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से फोड़े-फुन्सी नष्ट हो जाते हैं। कोढ़ होने पर इसके पत्तों का काढ़ा रोगी को पिलाना लाभकारी रहता है।
38. अनानास: अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
39. फालसा: फालसे के पत्तों तथा कलियों का लेप करने से फुंसियां समाप्त होकर पीब (मवाद) को दूर होता है।
40. लालमिर्च:
• बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े-फुंसियों और खुजली आदि में लालमिर्च के तेल को सेवन करने से फोड़े-फुंसी जल्दी ठीक जाते हैं।
• गर्मी के मौसम में शरीर पर दाने या फुंसियां हो जाती है उन्हें खत्म करने के लिए मिर्ची के तेल को लगाने से राहत मिलती है और फोडे़-फुंसियां भी ठीक हो जाती हैं।
41. पीपल:
• पीपल के कोमल पत्ते को घी लगाकर गर्म करके फुंसी-फोड़े (foda funsi)पर बांधने से लाभ होता है।
• पीपल की छाल को पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों (foda funsi)पर लगाने से लाभ होता है।
• फोड़ों को पकाने के लिए पीपल की छाल की पुल्टिश (पोटली) बनाकर फोड़े पर बांधने से लाभ मिलता है।
• पीपल के पत्ते को गर्म करकें पत्ते की सीधी तरफ थोड़ा सा असली शहद या सरसों का तेल लगाकर फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
• पीपल की छाल का चूर्ण जख्म पर छिड़कने से भी लाभ मिलता है।
42. नीम:
• नीम की 6 से 10 पकी निंबौली को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियां कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती है।
• नीम, तुलसी और पोदीने की पत्तियों को पीसकर उसमें मुलतानी मिट्टी और चन्दन का चूर्ण मिलाकर बनें मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरे के मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर जाती है।
• नीम की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर नहाने से खाज-खुजली नष्ट हो जाती है।
• नीम की पत्तियों को पीसकर फोडे़-फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।
• नीम के पत्ते, छाल और निंबौली को बराबर मात्रा में पीसकर बने लेप को दिन में 3 बार लगाने से फोड़े-फुन्सी और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
• नीम की पत्तियों को गर्म करके या नीम की छाल को घिसकर फोड़े-फुन्सी और बिच्छू के काटे भाग पर लगाकर सेंकने से लाभ पहुंचता है।
• नीम के पत्ते को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से फूटे हुए फोड़े जल्दी ठीक हो जाते हैं।
• नीम के पत्ते को पीसकर दही और बेसन में मिलाकर चेहरे व दूसरे अंगों में लगाने से और कुछ देर बाद पानी से साफ कर देने से चेहरे की फुंसियां और मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर उठती हैं।
• 175 ग्राम नीम के पत्तों को बिना पानी डाले पीसकर लुगदी बना लें। तांबे के बर्तन में इसका आधा हिस्सा सरसों का तेल डालकर गर्म करें, तेल में धुंआ आने पर इसमें बनी हुई लुगदी डाल दें। लुगदी तेल में जलकर काली पड़ने पर उतारकर ठंडा कर दें। फिर इसमें कपूर और जरा-सा मोम डालकर पीस लें। इस बने लेप को लगाने से फोड़े-फुंसियों में लाभ होता है।
• मार्च-अप्रैल के महीने में जब नीम की नयी-नयी कोंपलें (मुलायम पत्तियां) खिलती है तब 21 दिन तक युवा लोगों को नीम की ताजी 15 कोंपले (मुलायम पत्तियां) और बच्चों को 7 पत्तियां रोजाना गोली बनाकर दातुन-कुल्ला करने के बाद पानी के साथ खाने से या पीसकर लगाने से पूरे साल तक फोड़े-फुंसिया नहीं निकलती है।
विशेष: नीम की नई-नई कोंपलों को सुबह खाली पेट खाना चाहिए और उसके बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए। इससे खून की खराबी, खुजली, त्वचा के रोग, वात (गैस), पित्त (शरीर की गर्मी) और कफ (बलगम) के रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। इसको लगातार खाने से मधुमेह (डायबटिज) की बीमारी भी दूर हो जाती है। इससे मलेरिया और भयंकर बुखार के पैदा होने की संभावना भी नहीं रहती पर ध्यान रखना चाहिए कि बड़ों को 15 कोंपलें (मुलायम पत्तों) और बच्चों को 7 कोपलों से ज्यादा नहीं देनी चाहिए और ज्यादा समय तक भी नहीं खाना चाहिए। नहीं तो मर्दाना शक्ति भी कमजोर हो जाती है।
43. लोध्र: लोध्र की छाल के चूर्ण को पानी में घिसकर लेप बनाकर 2 से 3 बार रोजाना घाव पर लगाने से घाव, फोड़े-फुंसी आदि ठीक हो जाते हैं।
44. परवल: कड़वे परवल और कड़वे नीम के काढ़े से फोड़ों को धोने से फोड़े साफ हो जाते हैं।
45. सिरस: सिरस की छाल के बारीक चूर्ण को 100 बार भिगोये हुए घी में मिलाकर लेप करने से विसर्प रोग खत्म हो जाता है।
46. अंजीर:
• ताजे अंजीर को कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है।
• अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़े पककर फूट जाते हैं।
47. अपराजिता: कांजी या सिरके के साथ अपराजिता की 10-20 ग्राम जड़ को पीसकर लेप करने से उठते हुए फोड़े फूटकर बैठ जाते हैं।
48. बकायन: 10-20 नीम के पत्तों के साथ बकायन के 10-20 पत्तों को पीसकर उसकी पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़ा ठीक हो जाता है।
49. एरण्ड: एरण्ड की जड़ को पीसकर घी या तेल में मिलाकर कुछ गर्म करके गाढ़ा लेप करने से विद्रधि (फोड़ा) मिट जाती है।
50. बथुआ: बथुए को कूटकर सोंठ और नमक के साथ मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेंकें। सेकने के बाद बांध लें, इस प्रयोग से फोड़ा बैठ जायेगा अथवा पककर जल्दी फूट जायेगा।
51. अरबी: अरबी के पत्ते के डंठल जलाकर उसकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े मिट जाते हैं।
52. बेल: खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुंसियों पर बेल के पेड़ की जड़ या लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ पहुंचता है।
53. तिल:
• 8 ग्राम काले तिल, 2 ग्राम सोंठ और 4 ग्राम गुड़ के मिश्रण को गर्म दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
• 100 मिलीलीटर तिल के तेल में भिलावे को जलाकर उसमें 30 ग्राम सेलखड़ी को पीसकर मिला दें। यह हर प्रकार के जख्म को अच्छा कर देती है। मगर जब जख्म पर लगाएं तो मुर्गी के पंख से ही लगाएं।
54. बैंगन: फोड़े, फुन्सी होने पर बैंगन की पट्टी बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं।
55. बेर: बेर के पत्तों को पीसकर गर्म करके उसकी पट्टी बांधने से और बार-बार उसको बदलते रहने से फोड़े जल्दी पककर फूट जाते हैं।
56. अतीस: अतीस के 5 ग्राम चूर्ण को फांककर ऊपर से चिरायते का अर्क पीने से फोड़े-फुन्सी मिट जाते हैं।
57. नारियल: 100 मिलीलीटर नारियल का तेल, 10 ग्राम मुहार की मक्खियों का मोम और 2 चम्मच तुलसी के पत्तों के रस को मिलाकर थोड़ी देर के लिये आग पर पकाने के लिए रख दें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंडा करके इस लेप को कुछ दिनों तक फोड़े-फुंसियां पर लगाने से वो ठीक हो जाती है।
58. सहजना: फोड़ा चाहे जैसा भी हो और वह न पकता हो और न ही फूटता हो तो सहजने की तरकारी (सब्जी) खाने को दें और इसके पत्तों का रस और जड़ की छाल का लेप बनाकर फोड़े पर बांध दें। इसको बांधने से फोड़ा बैठ जाता है।
59. नींबू: नींबू के रस में चन्दन का चूर्ण डालकर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
60. घी: अगर फोड़े को पकाना हो तो पान के पत्ते पर थोड़ा सा घी गर्म करके फोड़े पर लगाकर बांध दें।
61. अमरबेल: अमरबेल को पीसकर फुंसियों पर लगाने से फुंसिया सूख जाती है।
62. बरगद:
• बरगद के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
• बरगद के नये पत्तों को आग के ऊपर से ही हल्का सा गर्म करके उसके ऊपर थोड़ा सा तेल लगाकर बांधने से लाभ होता है।
63. जामुन: जामुन की गुठलियों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से फुंसियां जल्दी ठीक हो जाती है।
64. करेला: फुंसियों पर थोड़े दिन तक करेले का रस लगाने से फुंसिया सूख जाती है।
65. मेहन्दी: शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसिया हो उस जगह को मेहन्दी के पानी से धोने से लाभ होता है।
66. पानी: रोजाना रात को फुंसियों पर गर्म पानी से सिंकाई करने से लाभ होता है।
67. मोम: मौलसिरी की छाल को लेकर सुखा लें। फिर उसे पीसकर मोम या वैसलीन में मिला लें। इसे दिन में 3 से 4 बार लगाने से फोड़े और फुंसिया ठीक हो जाती है।
68. कपूर: 20 ग्राम राल, 20 ग्राम कपूर, 10 ग्राम नीला थोथा, 20 ग्राम मोम और 20 ग्राम सिन्दूर को पीसकर घी में मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है।
69. एरण्ड: मालकांगनी, सज्जीखार और एरण्ड के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसमें पानी डालकर गर्म-गर्म लेप करने से फोड़े-फुंसियों में लाभ होता है।
70. लसोढ़ा: लसोढ़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती है।
71. हल्दी: भृंगराज (भंगारा), हल्दी, सेंधानमक और धतूरे के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और गर्म करके फोड़े-फुंसियों पर लेप करें या आंबाहल्दी, प्याज और घी को गर्म करके बांध लें।
72. कटहल: कटहल की लकड़ी को घिसकर उसके अन्दर कबूतर की बीट मिला लें। उसके बाद उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूना मिलाकर इसका लेप करने से लाभ होता है।
73. तुलसी:
• तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से फोड़े को धो लेते हैं। तुलसी के ताजा पत्तों को पीसकर फोड़ों पर लगाना चाहिए। इससे फोड़ों में लाभ मिलता है।
• तुलसी और पीपल के नये कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीसकर फोड़ों पर प्रतिदिन 3 बार लगाना चाहिए। इससे फोड़े जल्दी नष्ट हो जाते हैं।
• गर्मी या वर्षा ऋतु में होने वाली फुंसियों पर तुलसी की लकड़ी को घिसकर लगाने से लाभ मिलता है।
विशेष : अच्युताय हरिओम लिवर टोनिक सिरप(Achyutaya Hariom Liver Tonic Syrup) व अच्युताय हरिओम नीम अर्क(Achyutaya Hariom Neem Ark) रक्त-विकार को दूर करते है इनके सेवन से फोड़े फुंसी में सीघ्र लाभ मिलता है।
नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।