Last Updated on July 11, 2022 by admin
रक्तप्रदर रोग क्या है ? :
मासिकस्राव में सामान्य से अधिक रक्तस्राव (खून आना) आना या दो मासिकस्राव के बीच भी रक्तस्राव आना आदि रक्तप्रदर के लक्षण होते हैं। रक्तप्रदर से पीड़ित स्त्री के योनि से अधिक रक्त (खून) बहता है। इस रोग के होने पर स्त्रियां शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो जाती है। योनि से अधिक खून निकलने के कारण रोगी स्त्रियां इस रोग को लम्बे समय तक छिपाकर रखती हैं तथा संकोच और लज्जा के कारण यह रोग और बढ़ जाता है।
रक्तप्रदर के कारण :
इस रोग में कई-कई दिनों तक रक्त योनि से बहता रहता है। गर्भपात कराने से भी यह रोग हो जाता है। अधिक शोक, चिंता, क्रोध, ईर्ष्या और शारीरिक क्षमता से अधिक मेहनत करने से भी रक्तप्रदर का रोग उत्पन्न हो जाता है।
रक्तप्रदर के लक्षण :
- कमर दर्द,
- रक्ताल्पता (खून की कमी),
- शारीरिक कमजोरी,
- सिर में चक्कर आना,
- अधिक प्यास लगना तथा आंखों के आगे अंधेरा छाना आदि लक्षण रक्तप्रदर से पीड़ित स्त्री में दिखाई पड़ते हैं।
आइये जाने रक्तप्रदर को दूर करने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय । Home Remedies for Menorrhagia in Hindi रक्तप्रदर का आयुर्वेदिक इलाज
रक्तप्रदर का घरेलू उपचार :
पहला प्रयोग : आम की गुठली का 1 से 2 ग्राम चूर्ण 5 से 10 ग्राम शहद के साथ लेने से या एक पके केले में आधा तोला घी मिलाकर रोज सुबह-शाम खाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोग : 10 ग्राम खैर का गोंद रात में पानी में भिगोकर सुबह मिश्री डालकर खाने से अथवा जवाकुसुम (गुड़हल) की 5 से 10 कलियों को दूध में मसलकर पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोग : अशोक की 1-2 तोला छाल को अधकूटी करके 100 ग्राम दूध एवं 100 ग्राम पानी में मिलाकर उबालें। केवल दूध रहने पर छानकर पीने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
चौथा प्रयोग : गोखरू एवं शतावरी के समभाग चूर्ण में से 3 ग्राम चूर्ण को बकरी या गाय के सौ ग्राम दूध में उबालकर पीने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
पाँचवाँ प्रयोग : कच्चे केलों को धूप में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम गुड़ मिलाकर रक्तप्रदर की रोगिणी स्त्री को खिलाने से लाभ होगा। इस चूर्ण के साथ कच्चे गूलर का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन प्रातः-सायं 1-1 तोला सेवन करने से ज्यादा लाभ होता है।
सावधानीः उपचार के दौरान लाभ न होने तक आहार में दूध व चावल ही लें। बुखार हो तो उन दिनों उपवास करें।
विशेष : अच्युताय हरिओम रसायन चूर्ण , अच्युताय हरिओम आमला मिश्री चूर्ण के सेवन से रक्तप्रदर(rakt pradar) के रोग में लाभ होता है |
विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से रक्तप्रदर का इलाज :
1. आंवला:
- रक्तप्रदर से पीड़ित स्त्री के गर्भाशय (जरायु) के मुंह पर आंवले के बारीक चूर्ण का लेप करना चाहिए अथवा आंवले के पानी से रूई या साफ कपड़ा भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। इससे स्त्री को अधिक आराम मिलता है।
- 10 ग्राम आंवले का रस 400 मिलीलीटर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से योनि को साफ करें। इस प्रकार से उपचार कुछ दिनों तक लगातर करें, इससे रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
- आंवला के 20 मिलीलीटर रस में एक ग्राम जीरा का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे प्रदर रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
- 5 ग्राम की मात्रा में आंवला को पीसकर 3 ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तप्रदर(rakt pradar) में आराम मिलता है।
- 25 ग्राम आंवले का चूर्ण 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर उसमें जीरे का 1 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
2. छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है। छोटी माई में रक्तस्तम्भक (खून को रोकने या गाढ़ा करने) आदि गुण अधिक होते हैं। इसे पानी में भिगोकर छान लें और जो पानी बचे उसमें रूई या कपड़ा भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर रखें। इससे अधिक लाभ मिलता है।
3. क्षीरी : 50 ग्राम क्षीरी के पेड़ की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पिचकारी से योनि साफ करें। इससे रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
4. बड़ी माई : बड़ी माई का चूर्ण 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से रक्तप्रदर (अव्यार्तव) ठीक हो जाता है।
5. पत्थरचूर : पत्थरचूर के पत्तों का रस लगभग 5 ग्राम की मात्रा में रोगी स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से रक्तस्राव (खूनी प्रदर) ठीक हो जाता हैं।
6. लाख :
- लाख को घी में भूनकर या दूध में उबालकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध में मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) में लाभ मिलता है।
- लाख के चूर्ण को घी के साथ चाटने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
- शुद्ध लाख 1-2 ग्राम को लगभग आधा ग्राम चावल धोये हुए पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
7. दारुहल्दी : गर्भाशय की शिथिलता यानी ढीलापन के चलते उत्पन्न रक्तप्रदर में दारूहल्दी के काढ़े को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है। यह श्वेत प्रदर में भी लाभकारी होता है।
8. अडूसा :
- अडूसा के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से खूनी प्रदर मिट जाता है।
- वासा के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से कुछ दिनों में रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
9. बबूल : बबूल, राल, गोंद, और रसौत को 5-5 ग्राम लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 5 ग्राम में दूध के साथ रोजाना सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
10. दूब :
- ताजी दूब को पानी के साथ उखाड़कर पानी से धोकर बिल्कुल साफ करें। फिर उस दूब को पानी के साथ पीसकर, किसी कपडे़ में बांधकर रस निकालें।
इसे 7-8 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय पीने से रक्तस्राव की बीमारी मिट जाती है। - हरी दूब (दूर्वा) का रस 10 मिलीलीटर प्रतिदिन शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से अत्यार्तव (रक्तप्रदर) ठीक हो जाता है।
- मासिकस्राव में अधिक रक्तस्राव आने पर दूब का रस आधा कप मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इसके साथ ही चावल का धोवन अनुपान रूप में मिला दिया जाए तो परिणाम और उत्तम मिलता है।
- 2 चम्मच दूब के रस में आधा चम्मच चंदन और मिश्री का चूर्ण मिलाकर 2 से 3 बार सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
11. हरड़ : 10-10 ग्राम हरड़, आंवले और रसौत को लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम की मात्रा पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर(rakt pradar) की बीमारी नष्ट जाती है।
12. अश्वगंधा : अश्वगंधा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध में मिश्री मिला लें। इस दूध के साथ 3 ग्राम की मात्रा में अश्वगंधा के चूर्ण का सेवन सुबह-शाम करने से (खूनी) रक्तप्रदर में आराम मिलता है।
13. चावल :
- 50 ग्राम चावलों को धोकर 100 मिलीलीटर पानी में डालकर रखें। 4 घंटे के बाद उन चावलों को उसी पानी में थोड़ा-सा मसल-छानकर पी लें। इस प्रकार पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
- चावल के धोवन के पानी में 5 ग्राम गेरू मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
14. बदरफल : बदरफल का चूर्ण 1-3 ग्राम, को 5-10 ग्राम गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
15. अनार :
- 10-10 ग्राम अनार के फूल, गोखरू और शीतलचीनी लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर(rakt pradar) में बहुत फायदा होता है।
- 3 ग्राम अनार को शहद में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
16. सूरजमूखी : सूरजमुखी का काढ़ा शहद में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
17. चंदन :
- किसी भी तरह का रक्तप्रदर हो अथवा कितना ही दुर्गन्धित श्वेत प्रदर क्यों न हो चंदन का काढ़ा लगभग 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोज 2 बार देने से लाभ मिलता है।
- 5 ग्राम चंदन के चूर्ण को दूध में पकाकर 10 ग्राम घी और 25 ग्राम शर्करा मिलाकर सेवन करने से रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
- सिल पर पिसा हुआ सफेद चंदन एक चम्मच, हरी दूब का रस 2 चम्मच पानी में घोलकर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से रक्तप्रदर अवश्य ही ठीक हो जाता है। यदि सफेद चंदन का बुरादा ही उपलब्ध हो तो एक चम्मच वही ली जा सकती है। इसके घिसने की जरूरत नहीं होती है।
18. पतंग (बक) : पतंग (बक) के काढ़े के सेवन से गर्भाशय का रक्तस्राव बंद हो जाता है।
19. दालचीनी : दालचीनी का तेल 1 से 3 बूंद अशोकारिष्ट के प्रत्येक मात्रा के साथ रोज 2 बार देने से गर्भाशय की शिथिलता कम होती है और रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) भी ठीक हो जाता है। इसके अलावा रक्तप्रदर में दालचीनी चबाने को भी देने से लाभ होता है।
20. तेजपात : गर्भाशय की शिथिलता के कारण यदि बार-बार या लगातार रक्तस्राव हो रहा है तो तेजपात का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है जिसके कारण रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
21. नागकेसर : नागकेसर (पीलानागकेसर) आधा से 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है। यह प्रयोग श्वेतप्रदर के लिए भी लाभकारी होता है।
22. अतिबला (कंघी) : रक्तप्रदर में अतिबला (कंघी) की जड़ का चूर्ण 6 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शर्करा और शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
23. बला : बला की जड़ का बारीक चूर्ण 1-3 ग्राम में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
24. नागकेशर : नागकेशर का चूर्ण 1-3 ग्राम को 50 मिलीलीटर चावल धोवन (चावल का धुला हुआ पानी) के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में आराम मिलता है।
25. कास : रक्तप्रदर में कास (सफेद फूल वाली एक तरह की घास) की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में पीसकर और घोंटकर सुबह-शाम सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
26. कुश : कुश अथवा दाभ (डाभी) की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम घोंटकर पीने से पूर्ण खूनी प्रदर में लाभ मिलता है। इसे चावल के धोवन के पानी के साथ उपयोग करने से अधिक लाभकारी होता है।
27. मूसली : काली मूसली की कन्द 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से अत्यार्तव (रक्तप्रदर) में बहुत लाभ मिलता है। इसे दूध में पेय बनाकर सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
28. समुद्रशोष : समुद्रशोष का बारीक चूर्ण 20 ग्राम की मात्रा में लेकर 6 खुराक बनाकर रोज 3 बार ताजे जल के साथ सेवन करना चाहिए। प्रथम मात्रा के बाद से ही रक्तप्रदर में लाभ प्रतीत होने लगता है। दो दिनों में कुल 6 खुराक को पिला देना चाहिए। यह रक्तप्रदर, नकसीर (नाक से खून का आना) और बवासीर सभी प्रकार के रक्तस्राव को रोकने के लिए लाभकारी होता है।
29. सरफोंका : सरफोंका की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चावल के पानी के साथ देने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
30. हड़जोड़वा : रक्तप्रदर या आर्तव की अधिकता में हड़संघारी (हड़जोड़वा) का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम गोपीचंदन, घी और शहद के सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
31. केसर : केशर का चूर्ण आधा ग्राम से 1.80 ग्राम मिश्री के साथ बारीक पीसकर शर्बत बनाकर पीने से रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
32. कदली : हरे कदली का पीसा हुआ चूर्ण 50-100 ग्राम को गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
33. केला :
- अर्त्यातव या रक्तप्रदर मे केले के फूलों का रस दही में मिलाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- 10 मिलीलीटर केले की जड़ के रस को रोजाना सेवन करने से रक्तप्रदर में आराम मिलता है।
34. सेमर : सेमर का गोंद 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है। इससे निराशा मिटकर नई आशा का संचार होता है।
35. गुडूची : गुडूची के पत्तों का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग 5-10 ग्राम शर्करा के साथ सुबह-शाम पीने खूनी प्रदर में आराम मिलता है।
36. वन चौलाई : 15 ग्राम वन चौलाई की जड़ का रस दिन में 2-3 बार रोज पीने से खूनी प्रदर की बीमारी मिट जाती है।
37. चौलाई : चौलाई (गेन्हारी का साग), आंवला, अशोक की छाल और दारूहल्दी के मिश्रित योग से काढ़ा तैयार करके 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोज 2 से 3 बार सेवन करने से गर्भाशय की पीड़ा भी नष्ट हो जाती है और रक्तस्राव भी बंद हो जाता है।
38. कुम्भी (कुम्भीर) : प्रदर में कुम्भी (कुम्भीर) वृक्ष की छाल का चूर्ण लगभग एक से डेढ़ ग्राम की मात्रा में घी के साथ असमान मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी प्रदर में लाभ मिलता है।
39. नारियल : अत्यार्तव (मासिक-धर्म में अधिक खून के आने पर) में नारियल की जड़ का काढ़ा 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
40. आमलकी :
- आमलकी के फल का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग 5-10 ग्राम शर्करा के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तप्रदर रोग में लाभ होता है।
- आमलकी फल के बीच का चूर्ण 1-3 ग्राम को 50 मिलीलीटर पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
41. जामुन : जामुन के पत्ते का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट होता है। जामुन के बीजों का प्रयोग मधुमेह यानी डायबिटिज में लाभकारी होता है।
42. गाजर : 100 मिलीलीटर गाजर के रस को सुबह-शाम रोजाना पीने से रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
43. मरसा : लाल मरसा का साग खाने या इसके पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
44. कुकरोन्दा : लगभग 6 ग्राम कुकरोन्दा की जड़ को पीसकर 150 मिलीलीटर दूध में मिलाकर पीने से कुछ सप्ताह के बाद रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
45. अंजबार : रक्तप्रदर में अंजबार के काढ़े से गर्भाशय को प्रक्षालन यानी धोने से लाभ होता है।
46. कतीरा : कतीरा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह के समय पानी में भिगो दें। उसे मिश्री मिलाकर शर्बत की तरह शाम को घोटकर रोगी को पिलाने से खूनी प्रदर समाप्त हो जाता है।
47. नीम : आधा चम्मच नीम का तेल दूध में मिलाकर सुबह-शाम को पीने से रक्तप्रदर निश्चित रूप से बंद हो जाता है।
48. गेरू : लगभग 2 ग्राम शुद्ध गेरू, 10 ग्राम फिटकरी दोनों को पीसकर 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर की बीमारी मिट जाती है।
49. माजूफल : 25 ग्राम माजूफल लेकर 200 मिलीलीटर पानी मिलाकर काढ़ा बना लें। उसमें 3-3 ग्राम रसौत, फिटकरी को मिलाकर योनि को साफ करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।
50. रसौत : 1-3 ग्राम रसौत मलाई या मक्खन के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में लाभ मिलता है।
51. फिटकरी : लगभग आधा ग्राम भाग फिटकरी को कूट-पीसकर बनाई गई भस्म (राख) में मिश्री या मिश्री के शर्बत के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
52. सिघाडे़ : सिघाड़े की रोटी बनाकर खाने से प्रदर मिट जाता है।
53. तरबूज : 10-10 ग्राम तरबूज के लाल बीज और मिश्री को पीसकर पानी के साथ लेने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
54. झरबेरी : झड़बेरी की जड़ की छाल और मिश्री का काढ़ा पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
55. दूध : दूध में शक्कर मिलाकर खाने के साथ खाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
56. आम :
- गर्भाशय से होने वाले खून के बहाव में आम के वृक्ष की छाल का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से ठीक हो जाता है।
- आम की गुठली के बीच के भाग का चूर्ण लगभग 1.20 ग्राम से 1.80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर से छुटकारा मिल जाता है।
- लगभग 1-2 ग्राम आम की गुठली की गिरी का चूर्ण खाने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
57. धाय :
- धाय के फूल का चूर्ण लगभग 10 ग्राम की मात्रा में शहद या चावल के धोवन के साथ रोज सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर यानी खूनी प्रदर में लाभ मिलता है।
- धाय के फूल को शहद के साथ चाटने से रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) मिट जाता है।
- खूनी बवासीर, रक्तप्रदर या अन्य तरह के रक्तस्राव को रोकने के लिए एक चम्मच फूल का चूर्ण दो चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
- धाय के फूलों का 10 ग्राम चूर्ण और लगभग 10 ग्राम मिश्री को दूध के साथ दिन में 2 बार देने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है। इसके सेवन से थोड़े दिनों में ही रजोधर्म (माहवारी) नियमित रूप से आने लगती है।
58. दूधी : हरी दूधी को छाया में सुखाकर पीसकर और छानकर रोजाना 1 चम्मच दिन में 2 बार खाने से परम बाजीकरण होता है तथा मासिकस्राव रुक जाता है।
59. गेंदा : रक्तप्रदर में गेन्दे के फूलों का रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है। गेन्दे के फूलों के 20 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी में भूनकर सेवन करने से लाभ होता है।
60. गिलोय : गिलोय के रस का सेवन करने से स्त्रियों के खूनी प्रदर में बहुत लाभ मिलता है।
61. इलायची : इलायची के दाने, केसर, जायफल, वंशलोचन, नागकेसर और शंखजीरे को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बनाकर 2 ग्राम चूर्ण, 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम गाय का घी और 3 ग्राम शक्कर में मिलाकर रोज सुबह और शाम खाने से लाभ होता है। इसे लगभग 14 दिनों तक सेवन करना चाहिए। रात के समय इसे खाकर आधा किलो गाय के दूध को शक्कर डालकर गर्म कर लें और पीकर सो जाएं। ध्यान रहे कि जब तक यह औषधि सेवन करें तब तक गुड़, गिरी आदि गर्म चीजे न खाएं।
62. गुड़हल : गुड़हल के फूलों की 10-12 कलियों को दूध में पीसकर सुबह-शाम पीड़ित महिला को पिलाने से खूनी प्रदर में आराम मिलता हैं। ध्यान रहें कि पथ्य में केवल चावल और दूध का सेवन करें।
63. गूलर :
- गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की संख्या में सुबह-शाम शर्करा मिले दूध के साथ सेवन करने से खूनी प्रदर की बीमारी में स्त्री को बहुत लाभ मिलता है।
- 20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब 50 ग्राम पानी बच जाये तो उसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रक्त (खूनी) प्रदर में आराम मिलता है।
- गूलर के फल के एक चम्मच गूदे में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्तप्रदर में लाभ होगा, बल्कि मासिक-धर्म में अधिक खून जाने की तकलीफ भी दूर होगी।
64. पुनर्नवा :
- पुनर्नवा के पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म मे खून जाने के रोग में लाभ मिलता है।
- पुनर्नवा की 3 ग्राम मात्रा को जलभांगरे के रस के साथ खाने से रक्तप्रदर यानी खूनी प्रदर का रोग मिटता है।
65. केवड़े : केवड़े की जड़ को पानी में घिसकर चीनी के साथ पिलाने से आराम मिलता है।
66. लोध्र :
- लोध्र चूर्ण 1.20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 3-4 बार लगातार 4 दिनों तक सेवन करने से खूनी प्रदर में बहुत लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय संकोचन होता है जिससे शिथिलता दूर हो जाती है। यह श्वेतप्रदर में भी बहुत उपयोगी होता है।
- लोध्र छाल का चूर्ण 1-2 ग्राम को 50 मिलीलीटर चावल धोये पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ होता है। मासिक धर्म में ज्यादा खून बहने पर लोध्र की छाल और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर, पाउडर बनाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार कुछ दिन तक लगातार सेवन कराने से लाभ मिलता है।
67. अपामार्ग :
- 10 ग्राम अपामार्ग के पत्ते, 5 दाने कालीमिर्च और 3 ग्राम गूलर के पत्तों को पीसकर चावलों के धोवन के पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) में लाभ होता है।
- अपामार्ग के ताजे पत्ते लगभग 10 ग्राम, हरी दूब 5 ग्राम, दोनों को पीसकर, 60 मिलीलीटर पानी में मिलाकर छान लें तथा गाय के दूध में 20 ग्राम या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह-सुबह 7 दिनों तक पिलाने से अत्यंत लाभ होता है। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित करें, इससे निश्चित रूप से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है यदि गर्भाशय में गांठ की वजह से रक्तस्राव होता हो तो गांठ भी इससे घुल जाती है।
68. बरगद :
- वट जटा के अंकुर 10 ग्राम को गाय के दूध 100 मिलीलीटर में पीसकर छानकर दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है।
- बरगद के 20 ग्राम कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी रुक जाता है।
- 3 से 5 ग्राम तक कोपलों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर सुबह-शाम खाने से प्रमेह (वीर्य विकार) और प्रदर रोग खत्म होता है।
- 3-6 ग्राम बरगद की छाल के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ दिन में 3 बार खूनी प्रदर के रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
- बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से रक्त (खूनी) प्रदर मिट जाता है।
69. अर्जुन : अर्जुन की छाल के 1 चम्मच चूर्ण को 1 कप दूध में उबालकर पकाएं, आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री को मिलाकर प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से खूनी प्रदर के रोग में आराम मिलता है।
70. बेर :
- बेर के पेड़ की छाल का चूर्ण 5 ग्राम को सुब-शाम गुड़ के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर और रक्तप्रदर मिट जाता है।
- 10 ग्राम बेर के पत्ते, 5 दाने कालीमिर्च और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीने से रक्त (खूनी) प्रदर में लाभ होता है।
71. अशोक :
- अशोक की छाल 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय चूर्ण बनाकर दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। यह रक्तप्रदर (खूनी प्रदर), कष्टरज (कष्ट के साथ मासिक-धर्म का आना) और श्वेतप्रदर आदि दोषों से छुटकारा दिलाता है, गर्भाशय और अंडाशय को पूर्ण सक्षम और ताकतवर बना देता है।
- अशोक की छाल का चूर्ण 1-2 ग्राम, 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
- अशोक की छाल, सफेद जीरा, दालचीनी और इलायची के बीज को उबालकर काढ़ा तैयार करें और छानकर दिन में 3 बार सेवन करें।
72. तुलसी : तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खूनी प्रदर ठीक हो जाता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)