वास्तु शास्त्र के अनुसार घर और वास्तु दोष के उपाय | Vastu Tips in Hindi

Last Updated on July 22, 2019 by admin

वास्तु टिप्स / वास्तु शास्त्र टिप्स इन हिंदी : Vastu Tips for Home

1- भूमि-पूजन व भूमि परीक्षण के बगैर भवन निर्माण ‘मरघट’ के समान दोष उत्पन्न करता है।
2- शुद्ध व स्वच्छ जल से नित्य स्नान करने से शरीर ऊर्जावान बनता है।
3- बहते पानी से आर्थिक समृद्धि और भौतिक सफलता अधिक मात्रा में आती है।
4- मत्स्य कुंड धन-दौलत के प्रतीक हैं। मछली पालने से घर में शुभ ऊर्जा का प्रवेश होता है।
5- यदि गृह निर्माण के लिए पहले से भूखण्ड ले लिया गया हो, तो भवन निर्माण से पूर्व भूमि का वास्तु विकार ठीक किया जाना चाहिए। इसके लिए भूमि में तुलसी के पौधे उगाएं। खाली भूखण्ड में पालतू मवेशियों के घर बनाएं, आदि उपायों से वास्तु विकार ठीक किये जा सकते हैं।
6- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर : जिस भूखण्ड पर दो महीने से ज्यादा समय तक गाय विचरण करती हो, उस जमीन के अनेक वास्तुदोष स्वत: दूर हो जाते हैं।
7- मकान के पीछे ‘टी’ शेप में सड़क स्थित होने पर गृह स्वामी को सफलता नहीं मिलती। सड़क से गुजरने वाली अशुभ
8- शक्तियां मकान में धावा बोलती हैं और गृह स्वामी की उन्नति में बाधक बनती हैं इससे बचने के लिए मकान की पिछली दीवार पर अष्ट्रकोणीय दर्पण लगा दें।
9- भवन निर्माण से पहले भूखण्ड का परीक्षण अवश्य करें। भूखण्ड परीक्षण का सबसे आसान उपाय है भूमि पर उगी वनस्पति। जिस भूखण्ड पर नुकीली कंटीली, सूखी झाड़ियां, बेर, बबूल आदि के पेड़ बहुतायत हों वहां का भूखण्ड निवास स्थान के लिए उपयुक्त नहीं होता।
10- जिस भूमि पर जंगली लताएं उगी हों, ऐसी भूमि फैक्ट्री के लिए उत्तम मानी जाती है।

11- मकान में अग्नि की व्यवस्था मकान के दक्षिण पूर्व और आग्नेय कोण में ही करें।
12- भवन का केंद्र स्थल ब्रह्मस्थल को खुला रखें। घर की सुख-शांति व नीरोगी रहने के लिए यह आवश्यक है।
13- वायु तत्व का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के लिए भवन के वायव्य कोण में ज्यादा से ज्यादा खिड़कियों का प्रयोग करें।
14- भवन का नैर्ऋत्य कोण भारी व ऊंचा रखें।
15- जब सूर्य मेष राशि में हो, तो भवन के लिए भूमि-पूजन उत्तर पश्चिम दिशा में करना चाहिए।
16- भारत में घोड़े की नाल को शुभ और सौभाग्यवर्धक माना जाता है। घोड़े की नाल को घर के मुख्य द्वार के ऊपर लगाएं।
17- अगर आपके घर या ऑफिस में घड़ी खराब हो गयी है। अथवा उसमें टूट-फूट हो, तो ऐसी घड़ी को शीघ्र हटवा लें। यह । दुर्भाग्य को न्यौता देती है। बंद या खराब घड़ी नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है।
18- मकान में सभी कमरों की स्थिति उनकी उपमोगिता के अनुसार रखनी चाहिए। जैसे रसोई के पास भोजन कक्ष, शयन कक्ष के पास स्नान कक्ष, भंडारण, आगे के बरामदे के पास बैठक, अलग कोने में पूजा का कमरा, शांत कोने में पढ़ाई का कमरा, बैठक से लगा हुआ और प्रवेश द्वार के समीप कार्यस्थल आदि।
19- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर : बहुमंजिली इमारतों के ऊपर निवासियों को वज्रपात से बचाने के लिए ताम्र तड़ित चालक का प्रावधान होना चाहिए। इमारत वास्तु कलात्मक दृष्टिकोण से आकर्षक होनी चाहिए।
20- तुलसी के तीन पत्तों के रोज सेवन से वात-पित्त और कफ रोगों का नाश होता है।

21- यदि त्वचा शुष्क हो गई है, मसलन होंठ फटते हों, खुश्क हों तो रात में सोते समय नाभि में तेल चुपड़ कर सोएं। त्वचा मुलायम होती है। होठ नहीं फटेंगे।
22- घर से यात्रा पर निकलते समय दो घड़े (पानी से भरे) देखने से उत्तम फल प्राप्त होता है। लेकिन यदि घड़े खाली दिख जाएं, तो समझ लें कि आपकी यात्रा का फल मिलने वाला नहीं है। यहां दो घड़े से मतलब है कि अचानक कोई व्यक्ति सामने से पानी से भरे दो कलश लेकर गुजरता है। सूखा मटका देखने पर आप कुछ देर के लिए यात्रा रोक दें।
23- काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग में आराम मिलता है।
24- मकान के समीप कांटे वाले पेड़। बबूल कीकर, बेर, दूध वाले पेड़ जैसे महुआ, आदि न लगाएं। ये मकान में अशुभ ऊर्जा के संवाहक हैं। इनके स्थान पर शुभ वृक्ष लगाएं। अगर पहले से ही अशुभ वृक्ष लगे हों, तथा उन्हें काटना मुमकिन नहीं है, तो वृक्षों और मकान के बीच शुभ वृक्ष जैसे अशोक, शाल मौल आदि लगायें ।
25- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर : चौराहे पर स्थित मकान सब तरह से अशुभ होते हैं। मकान में वास्तु दोष दूर करने के लिए यह उपाय करें मुख्य द्वार के बाहर बैरियर, चार दीवारी या फैंसिंग लगाएं। मकान का दरवाजा इस ढंग से बनाएं कि सड़क अंदर घुसती हुई दिखाई न दे। अष्टाकोणीय दर्पण लगाने से मकान में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित किया जा सकता है।
26- वास्तु में निम्न वस्तुओं में ऊर्जा शक्ति इस प्रकार होती है। ऊँ के चारों ओर 70000, लाफिंग बुद्धा में 500, स्वस्तिक के आसपास 100000, चीनी कछुआ 100, राम मंदिर 1200 तथा शिवलिंग के चारों ओर 1600।
27- भारत के सभी नगरों या महानगरों में चंडीगढ़ शहर सबसे ऊर्जावान व शुभ है। क्योंकि इस शहर की स्थापना वास्तुनुरूप की गई है। चंडीगढ़ शहर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह से यहां की राजनैतिक गतिविधियों में उफान आती रहती है। यहां के लोग राजनैतिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
28- गर्मी के मौसम में बचाव व कल्याण के लिए हम जो कुछ अपने भवन में परिवर्तन करते हैं, सर्दियां आते ही उसके विपरीत व्यवस्था करने की जरूरत पड़ जाती है। जैसे गर्मियों की तेज धूप से बचने के लिए पूर्व दिशा में चिक या तिरपाल रोक देते हैं, जबकि सर्दियों में इस भाग को खुला रखते हैं ताकि भवन को सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिल सके।
29- व्यक्ति के आभा मंडल की रुग्नावस्था के कारण ही उसमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यही नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति के आत्मविश्वास को कमजोर करती है। उसे अपने कार्य में सिद्धि नहीं मिलती।
30- जिस भूखण्ड पर बिना कांटे वाले मध्यम आकार के पेड़पौधे उगते हों, वर्ष के विभिन्न महीनों व मौसम में सुगंधित एवं रंग-बिरंगे फूल लगते हों, ऐसी भूमि भवन निर्माण के लिए या व्यापारिक स्थल के लिए काफी शुभ है।

31- जब सूर्य सिंह, कन्या एवं तुला राशियों में हो, तो भवन-निर्माण के लिए भूमि पर भूमि-पूजन दक्षिण पूर्व दिशा में करना मंगलकारी है।
32- सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा के रोग नहीं होते। हड्डियां मजबूत होती हैं।
33- भवन में रखे जाने वाले गमलों की मिट्टी की निगरानी करते रहें। ध्यान रखें कि मिट्टी सड़ने न पाए अथवा मिट्टी से सड़ांध न निकले, अन्यथा निवासियों को रोग ग्रस्त होना पड़ सकता
34- राजनैतिक व्यक्तियों के लिए निवास स्थल नैर्ऋत्य कोण में होने चाहिए।
35- वृंदावन में श्री बांके बिहारी का मन्दिर पूर्ण वास्तु सम्मत है
36- प्रायः गर्मियों में घर/ऑफिस में पूर्व, दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में बड़े-बड़े पेड़ों को घना होने देते हैं, इसलिए कि इन दिशाओं से सूर्य की तीव्र किरणें अपनी अल्ट्रावॉयलेट तरंगों के दुष्प्रभाव से नुकसान न पहुंचाए। सितंबर-अक्टूबर में ऐसे बड़े पेड़ों की टहनियों की छटाई कर देनी चाहिए, जो ऑफिस या भवन पर छाया डालती है। सर्दियों में सूर्य की किरणों की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों का प्रभाव बहुत कम हो जाता है। वास्तुशास्त्र में यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
37- स्वर्ण, रजत या ताम्र धातु में बने श्री यंत्र की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा करवाने से घर में धन की कमी नहीं रहती और व्यापार भी फलता-फूलता है। प्रतिष्ठान में श्री यंत्र की स्थापना करवाने से कुछ ही दिनों में कारोबार चमक उठेगा।
38- जिस जमीन पर पीपल, बरगद, इमली आदि के पेड़ हों, वहां भवन निर्माण का ख्याल त्याग देना उचित है।
39- भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन अपने-अपने विश्वास के अनुरूप करना चाहिए। भूमि पूजन एवं शिलान्यास दोनों एक ही त्रैमास में करना चाहिए।
40- यात्रा पर घर से निकलते समय कोई स्त्री(सधवा) अपनी गोद में बालक को लिए अचानक सामने आ जाए, तो आपकी यात्रा शुभ होगी।

41- तुलसी की पत्तियां चबाने से आंतों के रोग नहीं होते।तुलसी के पौधों को रविवार के दिन स्पर्श न करें।
42- ‘एस’ मोड़ वाला भूखण्ड अथवा मकान निवासियों के । लिए भाग्यशाली सिद्ध होता है।
43 – वास्तु में चारों कोनों का महत्व अधिक होता है। ईशान कोण में कर्ण रेखा के ऊपर भूमिगत पानी का टैंक बनाने से आर्थिक उन्नति नहीं हो पाती।
44- यदि आपका रिहायशी मकान किसी फैक्ट्री/कल-कारखाने/टी’ जंक्शन पर स्थित है या फैक्ट्री के आस-पास स्थित है, तो नकारात्मक ध्वनियों के शोर से मुक्ति पाने के लिए अपने आवास में ये उपाय करें। साउंड-प्रूफ शीशों का मकान की खिड़कियों में प्रयोग करना चाहिए। इससे बाहर के शोर से आप मुक्त रहेंगे।
45- हृदय रोगों के लिए तुलसी काफी लाभदायक है। तुलसी की माला धारण करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। मानसिक सुख शांति के लिए भी तुलसी की माला धारण करें।
46- मकान के आग्नेय कोण में जलीय, ठंडे छायादार पौधे लगाएं।
दक्षिण दिशा में बड़े पेड़ (बड़े पत्तों वाले ठंडी छाया प्रदान करने वाले पौधे), नैर्ऋत्य में भारी गुरुत्तर तने या पत्तों वाले पौधे, वायव्य कोण में वायु उत्सर्जन करने वाले पौधे, उत्तर दिशा में धारा, ईशान में घास, पश्चिम में शाक-सब्जी, आग्नेय में तीखे पौधे, लगाने से भवन में सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता है। तथा निवासियों को आत्मिक, शरीरिक व मानसिक सुख मिलता है।
47- मकान के पीछे सड़क होना ठीक नहीं है। मकान की शुभ ऊर्जा पीछे के खाली स्थान से बाहर निकल जाती है। शुभता के लिए मकान के पीछे चारदीवारी बनवा लें। अथवा बड़े बड़े पेड़ों की कतार लगाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा बाहर नहीं जाएगी।
48- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर : जिन स्थानों पर मशीनों की गड़गड़ाहट, फैक्ट्रियों की धमक वातावरण में लगातार गूंजती रहती है वहां के लोगों में प्रायः सुनने के दोष देखे जाते हैं। वे ऊंचा सुनते हैं। ऊंचा बोलते हैं। फैक्ट्रियों या कारखानों के आस पास रहने वाले लोग प्राय: मानसिक व शारीरिक व्याधियों के शिकार रहते हैं। अधिकांश लोग अनिद्रा रोग के शिकार रहते हैं। बच्चों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है। वास्तु के अनुसार ये नकारात्मक ध्वनियां आपकी ऊर्जा शक्ति को नुकसान पहुंचाती है। अत: कोशिश यह करें कि फैक्ट्री या कारखाने से दूर अपना आवास स्थल बनाएं। स्वस्तिक शुभ ऊर्जा का प्रतीक है। स्वस्तिक में सकारात्मक ऊर्जा अधिक होने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं। विंड चाइम, लाफिंग बुद्धा, कछुआ, क्रिस्टल बॉल, आदि स्वस्तिक के प्रतीक हैं। स्वस्तिक द्वारा प्रकट सकारात्मक ऊर्जा अदृश्य होती है, परंतु इसका प्रभाव हर प्रकार के दोषों को दूर कर व्यक्ति की प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, समृद्धि, प्रगति में वृद्धि लाता है।
49- स्वस्तिक की संरचना एटम बम की संरचना पर आधारित है। एटम में तीन तत्व न्यूट्रोन, इलेक्ट्रोन एवं प्रोटोन होते हैं। प्रोटोन (+) के चारों ओर इलेक्ट्रोन (-) चक्कर काटते हैं। नाभि में न्यूट्रोन स्थित रहते हैं। स्वस्तिक संरचना में भी + के चारों ओर – चक्कर काटते हैं तथा नाभि में शून्य रूप में न्यूट्रोन – मौजूद रहते हैं।
50- हमारे देश में राजाओं महाराजाओं के भवन सम्पूर्ण विश्व में वास्तु कला के बेजोड़ नमूने हैं।

51- शनिवार को दुकान बंद करते समय एक मुटठी साबुत उड़द के दाने दुकान के चारों ओर बिखेर दें। अगले दिन दुकान खोलते समय दुकान में झाडू लगाकर बिखरे दानों को एकत्रित करें तथा उन्हें कागज में रखकर पुड़िया बना लें। इसे दुकान के बाहर कहीं रख दें। आपका व्यवसाय चलता रहेगा। दुकान में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा।
52- अगर आपका कार्यलय नकारात्मक ऊर्जा से भर गया हो तथा कोई भी कार्य सफलता पूर्वक संपन्न नहीं होता हो, तो पूर्व दिशा में लकड़ी का बना ड्रैगन रख दें। इसमें कार्यलय में योग ऊर्जा
भर जाएगी और आपका मनहूस दिखने वाला ऑफिस सदाबहार दिखने लगेगा।
53- भवन निर्माण के लिए भूखण्ड पर उगी घास, छोटे छोटे जंगली फूल निवास स्थान के लिए उत्तमता के प्रतीक हैं।
54- जब सूर्य वृष, मिथुन एवं कर्क राशियों में हो, तो भूमि-पूजन दक्षिण-पश्चिम दिशा में करें।
55- भवन निर्माण के लिए नींव खोदते समय ध्यान रखें कि भूमि-पूजन व शिलान्याय करने के बाद उत्तर-पश्चिम कोण में नींव खोदना शुरू करें। इसमें भवन निर्माण में कोई बाधा खड़ी नहीं होगी।
56- मकान की नींव खोदते समय हमेशा मुख पूर्व दिशा में रखें। घड़ी की तरह चलते हुए (क्रमश: उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम एवं पश्चिम) पुन: पश्चिम उत्तर में नींव रखना कार्य संपन्न करना वास्तु के हिसाब से श्रेष्ठ है।।
57- स्वस्तिक के आसपास सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
58- घर की दीवारों पर बाघ, चीता, जंगली भालू, लकड़बग्घा, बंदर आदि मांसाहारी, हिंसक व डरावने पशुओं के चित्र न लगाएं।
59- घर के वातावरण को सक्रिय व ऊर्जावान बनाने के लिए भागते हुए घोड़ों के चित्र दीवार पर लगाएं।
60- यदि आपने गर्मी के मौसम में अपने छोटे या मध्यम आकार के पौधों को धूप से बचाने के लिए उन्हें छाया में रखा था, तो उन्हें सर्दी में भवन की पूर्व एवं उत्तर दिशाओं की खुली जगह शिफ्ट करें। तुलसी के पौधों को मकान की पूर्वोत्तर दिशा में रखें। इस फेरबदल से संपूर्ण मकान का आभामंडल सर्दियों में सकारात्मक बना रहेगा।

61- जिस भूखण्ड पर किसी भी तरह के बीज उगाने पर शीघ्रता से बढ़े, फले-फूले वह भूखण्ड भवन निर्माण के लिए अत्यंत उत्तम है। ऐसे भूखण्ड पर मकान बनवाने से सुख-समृद्धि मिलती रहेगी।
62- तुलसी की पत्तियां चबाने से कई रोगों से मुक्ति मिलती ही है, साथ ही घर के आंगन में तुलसी का पौधा होने से स्मरण शक्ति तेज होती है |
63- गुलाब, चंपा, नीम, अंगूर, चमेली, केला जैसे पौधे शुभ होते है
64- -वायव्य दिशा में सैप्टिक टैंक नहीं बनवाना चाहिए।
65- उत्तर दिशा में सीढ़ियों का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा आर्थिक संकट व गृह कलह में बढ़ोत्तरी होती है।
66- अग्रेजी के L शेप सड़क या मार्ग के दाहिने भाग में स्थित मकान अशुभ होते हैं। निवासियों को अक्सर दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। गृह स्वामी मुख्य रूप से बाधित रहेगा। उपाय के तौर पर मुख्य द्वार के बाहर छोटी फैसिंग लगाएं। अष्टकोणीय दर्पण सड़क की दीवार की तरफ लगाएं।
67- चीत्कार की ध्वनि उत्पन्न करने वाले दरवाजे नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। इन्हें ठीक करने के लिए आप सिलाई मशीन तेल की एक-दो बूंदें दरवाजों के चूलों, कब्जों, कुंडों आदि में डाल दें।
68- यदि आप पहले से बनी सोसाइटी में कोई फ्लैट खरीदना चाहते हैं, तो ऐसे फ्लैट का चयन करें, जो वास्तु शास्त्र के सुदृढ़ व सामान्यतः स्वीकृत सिद्धांतों के अनुरूप बना हो। जैसे सोसाइटी का भूखण्ड वर्गाकार या आयताकार हो।
69- वास्तुदोष निवारण के लिए घर के बाहर जोड़े के रूप में नौ इंच नाप का लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं। इससे समस्त प्रकार के वास्तुदोष दूर होंगे।
70- सर्दियों में धूप का सेवन जरूर करें। इससे शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

71- जिस भूमि पर धतूरा के पौधे उग आए हों, वह भूमि भवन निर्माण के लिए साधारण स्तर की कही जाएगी।
72- यात्रा पर जाते समय अचानक खंजन पक्षी दाईं ओर दिखाई दे, तो आपकी यात्रा सफल होगी।
73- अगर यात्रा के समय टिटहरी दाईं ओर बोले, तो लाभ होता है। बाई ओर बोले, तो हानि।
74- हाउसिंग सोसायटी के उत्तर या पूर्व में मार्ग होने से शुभ स्वर्गिक ऊर्जाएं मकान में प्रवेश करती हैं।
75- अगर मकान के दोनों कोनों को काटती हुए सड़क गुजरती है, तो गृह स्वामी को भारी आर्थिक क्षति होगी।
76- प्रातः काल मन्दिर, गुरुद्वारे, गिरिजाघर आदि की घंटी या शंख की आवाज, भौरों का गुंजन, बच्चों की किलकारी आदि ध्वनियां सकारात्मक होती हैं तथा इनसे व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है।
77- हाउसिंग सोसायटी में मंदिर निर्माण वास्तु के अनुसार शुभ नहीं होता।
78- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर : यदि कोई सड़क बाई ओर से मकान की तरफ आती हो, तो गृह स्वामी दुखी रहेगा। उसी तरह से दाईं ओर से सड़क गुजरे, तो स्त्रियों को परेशानी में डाल सकती है। बचाव के लिए उपाय करें-अष्ट्रकोणीय दर्पण सड़क वाली दीवार की तरफ लगाएं। मुख्य द्वार को कोने में बनाएं।
79- पेड़ों के पत्तों की ध्वनि, झरने की ध्वनि शुभ ऊर्जा का प्रवाह करती है। यह व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक सुख प्रदान करती है।
80- जिस भूखण्ड पर छोटी-छोटी अनगिनत ऐसी झाड़ियां उगी हों, जिनके पत्ते, तने व फलों से मन लुभाता हो, तो इस भूखण्ड पर गृह निर्माण किया जा सकता है।

81- किसी भी अपार्टमेंट खण्ड में भूतल पर विभिन्न अवरोधों के कारण नकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है। अत: भूतल पर फ्लैट न लें।
82- दूसरी या तीसरी मंजिल का फ्लैट सर्वोत्तम रहता है।
83- भूखण्ड की ढलान पूर्व, उत्तर या ईशान की ओर होनी चाहिए।
84- ईशान में बने शौचालय वाले फ्लैट को न खरीदें।
85- शौचालय प्रवेश द्वार के सामने या निकट में नहीं होना चाहिए।
86- शयन कक्ष मुख्य द्वार से अधिकतम दूरी पर स्थित होना चाहिए।
87- रसोई घर आग्नेय, पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
88- यात्रा पर घर से निकलते समय अचानक मोर नाचता हुआ दिखाई दे, तो इसका शुभ फल प्राप्त होता है।यात्रा के समय रस्सी से बंधा हुआ बैल देखना भी शुभ है।
89- अगर पहले से ही मकान ले लिया गया हो, तो मकान में छोटे-छोटे पौधों की चहारदीवारी बनवाएं। सड़क की तरफ वाली दीवार पर कांच लगवा दें। मुख्य द्वार दो हों, तो उन्हें एक साथ न खोलें।
90- जिस भूमि पर तुलसी के पौधे उगते हों या औषधियुक्त पेड़ लगे हों, तो वह भूमि भवन निर्माण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती
91- यदि किसी भवन से गुजरती सड़क की दिशा अंग्रेजी अक्षर ‘वी’ (V) शेप में हो, तो ऐसे मकान में निवासियों की स्वास्थ्य हानि की संभावना प्रबल रहती है।

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