वास्तु के अनुसार मकान में कहाँ पर हो द्वार, खिड़कियां और झरोखे | Vastu Guidelines For Doors And Windows

Last Updated on July 24, 2019 by admin

प्रश्न: मकान में कितने दरवाजें और कितनी खिड़कियां होनी चाहिएं?
उत्तर: इसकी कोई निश्चित संख्या निर्धारित नहीं। घर में छोटे-बड़े जितने कमरे बने हो, द्वार संख्या उस पर निर्भर करती है। भूखंड चारो ओर से राजमार्ग वाला, खुला हो, तो द्वार, खिड़कियां और झरोखे अधिक होंगे। दरवाजे अनेक हों, लेकिन मुख्य द्वार तो एक ही होगा। खिड़की-दरवाजे आवश्यकताअनुसार बनाये जाते हैं। पर एकी की संख्या शुभ मानी गयी है, यथा 5, 11, 21।

प्रश्न: किस प्रकार से द्वार निर्माण करवाना चाहिए?
उत्तर: दरवाजे को पूरी तरह दीवार से सटा कर नहीं लगाना चाहिए। दरवाजे और दीवार के बीच कम से कम चार इंच, या फुट भर की गद्दी बना कर चौखट बिठाना चाहिए।

प्रश्न: घर के कौन से द्वार शुभदायक हैं और क्यों?
उत्तर: पूर्व का द्वार शुभदायक है। दक्षिण- आग्नेय द्वार घर की स्त्रियों के लिए अच्छा कहा गया है। दक्षिण द्वार गृहस्थ के लिए शुभकर है। पश्चिम द्वार क्षेमदायक है। पश्चिम-वायव्य द्वार अनेक शुभप्रदाता हैं। उत्तर द्वार प्रगतिकारक होता है। उत्तर-ईशान्य देव कृपा और सौभाग्य देता है। पूर्व-ईशान द्वार संतान वृद्धि करता है और कीर्ति को चार चांद लगा देता है।

प्रश्न: मुख्य द्वार किसे कहते हैं?
उत्तर: मुख्य द्वार चारदीवारी में जुड़ा हुआ नहीं होता। चारदीवारी के पश्चात् घर में प्रवेश करने वाले प्रथम प्रवेश द्वार को ही मुख्य द्वार, प्रधान द्वार, या सिंह द्वार कहते हैं। यह घर के अन्य द्वारों की अपेक्षा ज्यादा बड़ा, ज्यादा मजबूत एवं आकर्षक होता है। मुख्य प्रवेश द्वार सही होने पर पूरा घर सही हो जाता है।

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प्रश्न: मुख्य द्वार के बारे में किस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए?
उत्तर: मुख्य प्रवेश द्वार पर मंगलकारी चिह्न, स्वस्तिक, घंटियां, शंख, कौड़ी, ओमकार, तोरण, गणपति, दीप प्रकोष्ठ इत्यादि होने चाहिएं। यह द्वार मनुष्य की औसत लंबाई से एक फुट ऊंचा होना चाहिए। इस पर किसी प्रकार का ‘वेध’ नहीं होना चाहिए। यदि वेध होता हो, तो उसका उपाय कर लेना चाहिए।

प्रश्न: कौन से द्वार अशुभ फलदायक हैं?
उत्तर: पूर्व आग्नेय द्वार चारो और आग को भड़काता है; बीमारी लाता है। दक्षिण नैर्ऋत्य द्वार घर की स्त्रियों को बीमार करता है। पश्चिम नैर्ऋत्य द्वार पुरुषों के प्राणों
का हरण करता है। उत्तर वायव्य द्वार घर वाले को चंचल और अधैर्यशाली बना देता है। इसलिए ये द्वार अच्छे नहीं हैं।

प्रश्न: भवन के दोनों तरफ अगर घर लगे हों, तो तीन द्वार कैसे लगाएं?
उत्तर: निम्न उदाहरण दृष्टव्य हैं-

|Vastu  For Doors And Windows-1

घर के बीच में उत्तर से दक्षिण को, या पूर्व से पश्चिम को तीन द्वार लगा सकते हैं।

|Vastu  For Doors And Windows-2

उत्तर ईशान्य से दक्षिण आग्नेय को तीन द्वार लगा सकते हैं।

|Vastu  For Doors And Windows-3

पूर्व ईशान्य से पश्चिम वायव्य को तीन द्वार लगा सकते हैं।

प्रश्न: अगर एक ही द्वार घर में लगाना पडे़ तो किधर लगाएं?
उत्तर: घर में अगर एक ही द्वार लगाना पड़े, तो पूर्व को, या ईशान्य को, या उत्तर को, अथवा उत्तर ईशान्य को लगाना चाहिए। तभी एक द्वार वाला घर उत्तम फल देगा। दक्षिण और पश्चिम में सिंह द्वार वाले घरों में एक द्वार का निर्माण नहीं करना चाहिए।

गृहस्वामी को स्वयं के उपयोग हेतु घरों का निर्माण ऐसा नहीं करना चाहिए। इसे अवश्य ध्यान में रखना होगा। नैर्ऋत्य और ईशान्य के कमरों में एक ही द्वार लगा सकते हैं। उससे दोष नहीं होगा।

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प्रश्न: अगर दो दरवाजे लगाने हों, तो कैसे लगावें?
उत्तर: पूर्व और पश्चिम को, या उत्तर और दक्षिण को, अथवा पूर्व और उत्तर को दो द्वार लगाये जा सकते हैं। परंतु दक्षिण और पश्चिम की ओर द्वार लगाना मना है।

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