Last Updated on April 15, 2020 by admin
चेचक (शीतला) रोग क्या है ? : chickenpox in hindi
चेचक के रोग में बुखार के बाद शरीर पर लाल दाने निकलते हैं। ये दाने 2 से 3 दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते हैं। 4 से 5 दिन में इन दानों में से पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है। चेचक में बुखार और प्रदाह (जलन) के कारण रोगी को काफी बैचेनी होती है। इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन तक लग जाते हैं।
चेचक (शीतला) रोग के कारण : chechak ke karan in hindi
चेचक(chicken pox) के रोग को घरेलू भाषा में `माता´ या `‘शीतला´ Shitala Mata भी कहते हैं। यह रोग अक्सर उन बच्चों को होता है जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी होती है तथा उनकी उम्र 2 से 4 साल तक की होती है। कभी-कभी यह औरतों और बड़ों में भी हो जाता है। इस रोग के फैलने का कारण वायरस (जीवाणु) हैं। इसके जीवाणु थूक, मलमूत्र और नाखूनों में पाये जाते हैं। सूक्ष्म (छोटे-छोटे) जीवाणु हवा में घुल जाते हैं और सांस लेते समय ये जीवाणु अन्दर चले जाते हैं। इस रोग को आर्युवेद में मसूरिका के नाम से जाना जाता है।
चेचक (शीतला) रोग के लक्षण : chechak ke lakshan in hindi
- चेचक (माता) होने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट हो जाता है।
- रोगी को बेचैनी होने लगती है।
- उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है।
- दिल की धड़कन तेज हो जाती है और साथ में जुकाम भी हो जाता है।
- 2-3 दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है।
- शरीर पर लाल-लाल दाने निकलने लगते हैं।
- दानों में पानी जैसी मवाद पैदा हो जाती है और 7 दिनों में दाने पकने लगते हैं जोकि धीरे-धीरे सूख जाते हैं।
- दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है। कुछ दिनों के बाद खुरण्ड (पपड़ी) तो निकल जाती है लेकिन उसके निशान रह जाते हैं।
चेचक (शीतला) रोग में खान-पान और परहेज :
- छोटे बच्चों को चेचक(chicken pox)होने पर दूध, मूंग की दाल, रोटी और हरी सब्जियां तथा मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनका जूस पिलाना चाहिए।
- चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
- रोगी को तली हुई चीजें, मिर्चमसाले वाला भोजन और ज्यादा ठंड़ी या ज्यादा गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए।
- दरवाजे पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।
- आइये जाने शीतला बड़ी माता(चेचक)को दूर करने के घरेलू उपाय. Home Remedies for Chickenpox in Hindi
चेचक (शीतला) रोग के घरेलू उपाय : chechak ke gharelu upay
पहला प्रयोगः चेचक में जंगल के कण्डे की राख लगाने से एवं उपवास करने से आराम मिलता है।
दूसरा प्रयोगः गूलर की जड़ का 5 से 20 मि.ली रस 2 से 5 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर खाने से बच्चों के खसरे में आराम मिलता है।
तीसरा प्रयोगः इमली के बीज एवं हल्दी का समान मात्रा में चूर्ण लेकर 3 से 4 रत्तीभार (करीब 500 मिलिग्राम) एक बार रोज ठण्डे पानी के साथ देने से बच्चों को चेचक नहीं निकलता।
चौथा प्रयोगः करेले के पत्तों का रस व हल्दी मिलाकर पीने से चेचक के रोग में फायदा होता है।
चेचक (शीतला) का इलाज : chechak ka ilaj in hindi
1. नीम :
- नीम की छाल को पानी में पीसकर चेचक के दानों पर लगाने से आराम आता है।
- नीम के तेल में आक के पत्तों का रस मिलाकर चेचक(Badi Mataबड़ी माता) के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
- चेचक के रोगी का बिस्तर बिल्कुल साफ-सुथरा रखें और उसके बिस्तर पर नीम की पत्तियां रख दें। फिर नीम के मुलायम पत्तों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1-1 गोली को सुबह और शाम दूध के साथ रोगी को खिलायें। गर्मी का मौसम हो तो नीम की टहनी से हवा करने से चेचक के दानों में मौजूद जीवाणु जल्द ही समाप्त हो जाते हैं। तवे पर मुनक्का को भूनकर रोगी को खिलाना चाहिए।
- नीम के 7 से 8 मुलायम पत्तों (कोपले) और 7 कालीमिर्च को 1 महीने तक लगातार सुबह खाली पेट खाने से चेचक जैसा भयंकर रोग 1 साल तक नहीं होता। 15 दिन तक यह खाने से 6 महीने तक चेचक (माता Shitala Mata) नहीं निकलती। जिन दिनों चेचक का रोग फैल रहा हो उन दिनों में जो लोग नीम के पत्तों का सेवन करते हैं उन्हें चेचक (माता) जैसा भयंकर रोग नहीं होता है।
- नीम की लाल रंग के 7 कोमल पत्तियां की और 7 कालीमिर्च को एक महीने तक नियमित रूप से खाने से चेचक में निश्चित ही लाभ होता है।
नीम के बीज, बहेड़े और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर ठंड़े पानी में पीसकर छान लें। इसे कुछ दिनों तक पीते रहने से चेचक के दानों में शान्ति मिलती है। - नीम के पेड़ की 3 ग्राम कोपलों को 15 दिन तक लगातार खाने से 6 महीने तक चेचक(शीतला)नहीं निकलती है।
- नीम की कोमल पत्तियों को पीसकर रात को सोते समय चेहरे पर लेप करें और सुबह ठंड़े पानी से चेहरे को धो लें। यह प्रयोग लगातार 50 दिन करने से चेचक के दाग मिट जाते हैं। चेचक के दानों पर कभी भी मोटा लेप नहीं करना चाहिए।
- नीम के बीजों की 5-10 गिरी को भी पानी में पीसकर लेप करने से चेचक की जलन शान्त हो जाती है।
- यदि चेचक के रोगी को अधिक प्यास लगती हो तो नीम की छाल को जलाकर उसके अंगारों को पानी में डालकर बुझा लें। इस पानी को छानकर रोगी को पिलाने से प्यास शान्त हो जाती है। अगर प्यास इससे भी शान्त न हो 1 किलो पानी में 10 ग्राम कोमल पत्तियों को उबालकर जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इसे छानकर रोगी को पिला दें। इस पानी को पीने से प्यास के साथ-साथ चेचक के दाने भी सूख जाते हैं।
जब चेचक के दाने ठीक हो जाये तो नीम के पत्तों के काढ़े से नहाना चाहिए। - 10 ग्राम नीम के मिश्रण और 5 कालीमिर्च का चूर्ण रोजाना सुबह कुछ दिन तक सेवन करने से चेचक के दानों में लाभ मिलता है।
2. जीरा : 100 ग्राम कच्चा धनिया और 50 ग्राम जीरा को 12 घंटों तक पानी में भीगने के लिये रख दें। फिर दोनों को पानी में अच्छी तरह से मिला लें और इस पानी को छानकर बोतल में भर लें। चेचक के रोग में बच्चे को बार-बार प्यास लगने पर यही पानी पिलाने से लाभ होता है।
3. शहद : चेचक के रोग में रोगी को शहद चटाने से लाभ होता है।
4. कालीमिर्च : 5 नीम की कोंपल (नई पत्तियां) 2 कालीमिर्च और थोड़ी सी मिश्री लेकर सुबह-सुबह चबाने से या पीसकर पानी के साथ खाने से चेचक(Shitala Mata) के रोग में लाभ होता है।
5. चमेली : चेचक के रोग में चमेली के 10-15 फूलों को पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
6. मुनक्का: चेचक के रोगी को दिन में कई बार 2-2 मुनक्का या किशमिश खिलाने से लाभ होता है।
7. इमली : इमली के बीज और हल्दी का चूर्ण ठंडे पानी के साथ पीने से चेचक(Badi Mataबड़ी माता) का रोग नहीं होता है।
8. लताकरंज : लताकरंज के बीज, तिल और सरसों को बराबर मात्रा में मिलाकर लेप बना लेते हैं। इस लेप को चेचक के दानों पर लगाने से आराम मिलता है।
9. अंगूर : अंगूर को गर्म पानी में धोकर खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
10.संतरे :
- संतरे के छिलके को पीसकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
- संतरे के छिलकों को सुखाकर पीस लें। इसमें 4 चम्मच की मात्रा में गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाकर रोजाना चेहरे पर मलें। इससे चेचक के दाग हल्के हो जाते हैं।
11. चना : चेचक से पीड़ित रोगी को भीगे हुए चनों पर अपनी हथेलियां रखनी चाहिए क्योंकि भीगा हुआ चना चेचक(शीतला) के कीटाणुओं को सोख लेता है।
12.हल्दी: 10 ग्राम हल्दी, 5 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम मिश्री का बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। फिर तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर उसके साथ इस चूर्ण को रोजाना सुबह-सुबह खाने से चेचक के रोग मे लाभ होता है।
हल्दी को पानी में मिलाकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
13. तुलसी :
- नीम की कोंपले (नीम की नई पत्तियां) और तुलसी के पत्तों का चूर्ण बनाकर शहद या मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-सुबह चेचक से ग्रस्त रोगी को देने से लाभ होता है।
- तुलसी के पत्तों के साथ अजवायन को पीसकर प्रतिदिन सेवन करने से चेचक(Badi Mataबड़ी माता) का बुखार कम हो जाता है।
- जब चेचक (माता) फैल रही हो तो उस समय प्रतिदिन सुबह तुलसी के पत्तों का रस पीने से चेचक के संक्रमण से सुरक्षा बनी रहती है।
- सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का आधा चम्मच रस पिलाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
- बुखार को कम करने के लिये तुलसी के बीज और धुली हुई अजवाइन को पीसकर रोगी को पानी के साथ दें।
15. नारियल :
- लगभग आधा ग्राम केसर को नारियल के पानी के साथ रोजाना 2 बार रोगी को पिलाने से चेचक(शीतला) के दाने जल्दी ही और आसानी से बाहर आ जाते हैं।
- नारियल के तेल में कपूर को मिलाकर लगाने से चेचक के दाग मिट जाते हैं।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)