Last Updated on July 22, 2019 by admin
नानक जी ने बड़ी ही सुंदर बात कही है ..
भयनाशन दुर्मति हरण, कलि में हरि को नाम।
निशदिन नानक जो जपे, सफल होवहिं सब काम।।
भगवन्नाम में, मंत्रजप में बड़ी अदभुत शक्ति है। इसे वैज्ञानिक भी स्वीकार कर रहे हैं। अभी डॉ. लिवर लिजेरिया, वॉटस हक, मैडम लॉगो तथा दूसरे वैज्ञानिक कहते हैं कि ह्रीं, हरि, ૐ आदि के उच्चारण से शरीर के विभिन्न भागों पर भिन्न-भिन्न हितकारी असर पड़ता है। 17 वर्षों के अनुभव के पश्चात उन्होंने यह खोज निकाला कि ʹहरिʹ के साथ अगर ʹૐʹ शब्द मिलाकर उच्चारण किया जाय तो पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर उसका प्रभाव अच्छा पड़ता है। किंतु भारत के ऋषि-मुनियों ने इससे भी अधिक जानकारी हजारों-लाखों वर्ष पहले शास्त्रों में वर्णित कर दी थी।
बीजमंत्रों का महत्त्व समझकर उनका उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिलता है। उनका अलग-अलग अंगों एवं वातावरण पर असर होता है।
बुरे स्वप्न से रक्षा का मन्त्र : Bure Sapne dur karne ke upay/ Mantra
तुलसी भरोसे राम के, निश्चिंत होई सोय।
अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय।।
चिंतित व्यक्ति को अच्छी तरह इसका मनन करना चाहिए। किसी बिमारी के कारण नींद नहीं आती हो तो प्रातः ʹपानी प्रयोगʹ करें। (आधा से सवा लीटर पानी पियें) और उपरोक्त प्रयोग करें, अवश्य अच्छी नींद आयेगी। इससे बुरे सपने आने भी बंद हो जायेंगे, फिर भी आते हो तो सिरहाने के नीचे तीन मोरपंख रखके ʹૐ हरये नमः।ʹ मंत्र का जप करके सोयें तो बुरे विचार और बुरे स्वप्न धीरे-धीरे छू होने लगेंगे।
अनिद्रा से रक्षा का मन्त्र : Neend Aane ka upay / Mantra
रात को नींद न आती हो तो ʹशुद्धे-शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा।ʹ इस मंत्र का जप-स्मरण करें। स्मरण करते-करते अवश्य अच्छी नींद आयेगी।
शिशु का रात में चौंकना दूर करने का उपाय :
यदि कोई शिशु रात को चौंकता है, उसे नींद नहीं आती, माँ को जगाता है, परेशान रहता है तो उसको सिरहाने के नीचे फिटकरी रख दें। इससे उसे बढ़िया नींद आयेगी। (धनात्मक ऊर्जा बनाने वाला फिटकरी युक्त ʹवास्तुदोष-निवारकʹ प्रसाद आश्रम से निःशुल्क मिलता है। उसे शिशु के सिरहाने के नीचे रखें। उसे अपने घर के कमरों में पश्चिम दिशा में रखने से ग्रहबाधा की निवृत्ति और सुख-शांति में वृद्धि होती है।
ऊर्जाशक्ति बड़ाने वाला चमत्कारी मन्त्र :Sharirik Mansik shakti badhane ke upay
ʹૐʹ के ʹओʹ उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है तो ʹमʹ से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। ʹૐʹ से मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है।
प्राणशक्तिवर्धक अदभुत प्रयोग :
इससे प्राणशक्ति का अदभुत विकास होता है। इसलिए इसे प्राणशक्तिवर्धक प्रयोग कहते हैं।
लाभः
★ इससे स्वाधिष्ठान केन्द्र को जागृत होने में खूब मदद मिलती है।
★ स्वाधिष्ठान केन्द्र जितना-जितना सक्रिय होगा, उतना प्राणशक्ति के साथ-साथ रोगप्रतिकारक शक्ति एवं मनःशक्ति बढ़ने में मदद मिलेगी।
★ वैज्ञानिकों ने इस केन्द्र की शक्तियों का वर्णन करते हुए कहा हैः This is the mind of the stomach. ʹयह पेट का मस्तक हैʹ।विधिः
★ सीधे लेट जायें। शरीर को ढीला छोड़ दें, जैसे शवासन में करते हैं। दोनों हाथों की उँगलियाँ नाभि के आमने-सामने पेट पर रखें। हाथ की कोहनियाँ धरती पर लगी रहें।★ अब जैसे होठों सीटी बजाते हैं वैसा मुँह बनाकर दोनों नथुनों से खूब गहरा श्वास लें। मुँह बंद रहे। होठों की ऐसी स्थिति बनाने से दोनों नथुनों से समान रूप में श्वास भीतर जाता है।
★ 10-15 सैकेण्ड तक श्वास को रोके रखें। इस स्थिति में पेट को अंदर-बाहर करें, अंदर ज्यादा बाहर कम। यह भावना करें कि मेरी नाभि के नीचे का स्वाधिष्ठान केन्द्र जागृत हो रहा है।
★ फिर होठों से सीटी बजाने की मुद्रा में मुँह से धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ते हुए यह भावना करें कि ʹमेरे शरीर में जो दुर्बल प्राण हैं अथवा रोग के कण हैं उनको मैं बाहर फेंक रहा हूँ।ʹ यह प्रयोग 2 से 3 बार करें।
सुखपूर्वक प्रसव का मंत्र : Sukh Purvak Prasav ka Mantra
अगर प्रसव-पीड़ा समय पर शुरु नहीं हो रही हो तो गर्भिणी ‘जम्भला… जम्भला….‘ मंत्र का जप करे और पीड़ा शुरु होने पर उसे देसी गाय के गोबर का रस पिलायें तो सुखपूर्वक प्रसव होगा।
धारण-मेधा शक्ति बडाने वाला ग्रहण काल का विशेष प्रयोग :
चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ‘ॐ नमो नारायणाय‘ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
निरोगी दीर्घ जीवी होने का मंत्र : Lambi Umar ke liye Mantra
मार्कण्डेय ऋषि का नित्य सुमिरन करने वाला और संयम-सदाचार का पालन करने वाला व्यक्ति सौ वर्ष जी सकता है – ऐसा शास्त्रों में लिखा है। कोई एक तोला (11.5) ग्राम गोमूत्र लेकर उसमें देखते हुए सौ बार ‘मार्कण्डेय’ नाम का सुमिरन करके उसे पी ले तो उसे बुखार नहीं आता, उसकी बुद्धि तेज हो जाती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
अपने जन्मदिवस पर मार्कण्डेय तथा अन्य चिरंजीवी ऋषियों का सुमिरन, प्रार्थना करके एक पात्र में दो पल (93 ग्राम) दूध तथा थोड़ा-सा तिल व गुड़ मिलाकर पीये तो व्यक्ति दीर्घजीवी होता है। प्रार्थना करने का मंत्र हैः
ॐ मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी यथा त्वं भो भविष्यामि तथा मुने।।
रूपवान् वित्तवांश्चैव श्रिया युक्तश्च सर्वदा।
आयुरारोग्यसिद्धयर्थ प्रसीद भगवन् मुने।।
चिरंजीवी यथा त्वं भो मुनीनां प्रवरो द्विजः।
कुरूष्व मुनिशार्दुल तथा मां चिरजीविनम्।।
नववर्षायुतं प्राप्य महता तपसा पुरा।
सप्तैकस्य कृतं येन आयु में सम्प्रयच्छतु।।
अथवा तो नींद खुलने पर अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यासजी, हनुमानजी, विभीषण, परशुरामजी, कृपाचार्यजी, मार्कण्डेयजी – इन चिरंजीवियों का सुमिरन करे तो वह निरोग रहता है।
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सुख-समृद्धि हेतु सिद्ध प्रयोग : Sukh Samridhi ke Upay
एक चांदी की छोटी डिब्बी में नागकेसर रखें फिर शुद्ध शहद में डुबा कर ढक्कन लगाकर रख दें। दीपावली की रात को लक्ष्मी मंत्र “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” का 1008 बार जाप कर डिब्बी को अभिमंत्रित कर तिजोरी में रख दें। हर दीपावली पर विधिनुसार नवीन करें व फिर रख दें। इस प्रकार करने से घर में सुख-समृद्धि के साथ धनागमन भी होता है।