Last Updated on November 21, 2019 by admin
अजीर्ण क्या है इसके कारण : ajirn kya hota hai iske karn
भोजन और नींद में अनियमितता होने, भारी (गरिष्ठ) व चिकनाई युक्त भोजन अधिक मात्रा में कछ दिनों तक लगातार करते रहने, शारीरिक श्रम का अभाव होने तथा ईर्ष्या, भय, चिंता, क्रोध आदि मानसिक कारणों से यह रोग उत्पन्न होता है।
अजीर्ण के लक्षण : ajirn ke lakshan
शरीर के पाचक रसों की उत्पत्ति में गड़बड़ी होने तथा आमाशय की प्रेरक गति प्रभावित होने से जब भोजन ठीक प्रकार से नहीं पचता है, तो पेट में भारीपन और बेचैनी-सी रहती है। दिन में कई बार शौच जाने के बावजूद पेट साफ नहीं हो पाता। इससे ऐसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है कि हलका एवं समय पर किया हुआ भोजन भी नहीं पच पाता है।
अजीर्ण में भोजन एवं परहेज : ajirn me kya khana aur kya nahi khana chahiye
✦अजीर्ण में हलका भोजन लें। चावल व मंग की दाल की 1 और 2 के अनुपात में बनी खिचड़ी रोगी को लेनी चाहिए।
✦रोटी के साथ मूंग की दाल या हरी सब्जी (घिया, तोरी, टिंडा, पालक आदि) का प्रयोग किया जा सकता है।
✦रोटी बनाते समय उसमें 7-8 दाने अजवायन के डाल लें। अजीर्ण के रोगी को तला हुआ व गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। घी या तेल की मात्रा भोजन में न्यूनतम हो।
✦उड़द की दाल, दही आदि का प्रयोग भी रोगी को नहीं करना चाहिए।
✦मूंगफली व केले जैसे फलों का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
✦ भोजन के बाद एक गिलास छाछ (मटठा) का प्रयोग अजीर्ण में विशेष रूप से फायदेमंद है, किन्तु छाछ में से मक्खन पूरी तरह निकाल लिया गया हो, अन्यथा मक्खन पाचकाग्नि को और मंद कर देगा। छाछ में अजवायन, भूना व पिसा जीरा तथा काला नमक डालकर लें। यदि छाछ मिलना संभव न हो, तो भोजन के बाद गर्म पानी पिएं। यह पानी उबालने के बाद इतना ठंडा कर लेना चाहिए कि उसे घुट घूट कर आसानी से पीया जा सके।
अजीर्ण का घरेलू उपचार : ajirn ka ilaj in hindi
1-भोजन के बाद चुटकी भर अजवायन पीस कर लें। ( और पढ़े – भूख बढ़ाने के 55 घरेलू नुस्खे )
2-तुलसी के दस पत्ते पीसकर इसमें नमक मिलाकर शरबत की तरह पिए।
3-रोगी को मोठ की दाल खिलाएं।
4-कचरी के चूर्ण से सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी या मट्ठे के साथ दें। ( और पढ़े – भूख न लगना या मन्दाग्नि का सरल इलाज )
5- फलों में पपीता या अमरूद अथवा दोनों मिलाकर इसमें काला नमक,काली मिर्च व इलायची मिलाकर भोजन से पहले लें। भोजन इतना करें कि पेट कुछ खाली रहे।
6- सब्जियों में टमाटर अजीर्ण में बहुत लाभदायक है। प्रात:काल खाली पेट, कटे हुए टमाटरों पर काला नमक व काली मिर्च डालकर लें। ( और पढ़े – अरुचि दूर कर भूख बढ़ाने के 32 अचूक उपाय)
7-गाजर अथवा टमाटर का रस प्रातः व सायं लेने से भी इस रोग में बहुत लाभ मिलता है। दोनों का रस मिलाकर भी ले सकते हैं। यह रस सुबह के समय खाली पेट व शाम को भोजन से एक घंटा पहले लें।
8-टमाटर के रस की जगह इसका सूप भी लिया जा सकता है। इसी प्रकार कच्चे प्याज के पत्तों से बना सूप भी लिया जा सकता है। रस या सूप दोनों में काली मिर्च व काला नमक डालकर लें।
9- फलों में अनार या फालसे का रस भी पेट के रोगों में अच्छा कार्य करता है। लंबे समय तक प्रयोग करने के लिए अनार का शरबत बनाकर रखा जा सकता है। ( और पढ़े – पाचनतंत्र मजबूत करने के 24 रामबाण घरेलु नुस्खे )
10- अदरक का एक-एक चम्मच रस दिन में दो बार नमक या गुड़ के साथ भोजन के पूर्व लें।
11- सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।
12- एक नीबू का रस दिन में तीन बार भोजन के बाद गर्म पानी से लें। ( और पढ़े – अरूचि रोग का घरेलु इलाज )
13-छोटी हरड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार गुड़ या | नमक के साथ भोजन से पहले ले।
14- काली मिर्च एवं नमक, दो-दो चुटकी, कटे हुए आधे नीबू पर रखकर आंच पर गर्म करके भोजन के बाद दिन में तीन बार चूसें।
15- भोजन से पहले 100 ग्राम खुबानी खाएं।
16- आंवलों का रस पांच से छह चम्मच, एक चम्मच पानी मिलाकर दिनमें तीन बार लें। ( और पढ़े – आँवला रस के इन 16 फायदों को जान आप भी रह जायेंगे हैरान)
17-काला नमक व दैसी अजवायन 1: 4 के अनुपात से किसी शीशे या चीना मिट्टी के बरतन में डालकर, नीबू का इतना रस निचोड़ें कि दोनों वस्तुएं उसमें डूब जाए। इस बरतन को छाया में रखकर सुखाएं। सूखने पर नीबू के रस में पुन: डुबो दें। यह क्रिया सात बार करें। यह मिश्रण 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लें। अजीर्ण के अतिरिक्त पेट के अन्य रोगों, उल्टियां आने और जी मिचलाने में भी यह मिश्रण अत्यंत लाभदायक है।
अजीर्ण का आयुर्वेदिक उपचार : agnimandya ayurvedic treatment
1-अजवायन का अर्क 15 से 20 मि.ली दिन में दो-तीन बार बराबर की मात्रा में गर्म पानी मिला कर दें।
2-भोजन के बाद कुमारी आसव या रोहितकारिष्ट 15 से 20 मि.ली. तीन बार लें।
3- अजीर्ण के साथ यदि यकृत की कार्यप्रणाली ठीक न हो, तो आरोग्यवर्धनीवटी का प्रयोग ताप्यादिलौह अथवा यकृदारि लौह के साथ कराएं।
4-आंवला चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण या शिवक्षार पाचन चुर्ण भोजन के बाद एक-एक चम्मच गर्म पानी के साथ दें।
5-रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण लें।
कई बार किसी वस्तु विशेष का अधिक मात्रा में सेवन करने से भी अजीर्ण की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। रसोईघर में विद्यमान निम्नलिखित वस्तुओं के प्रयोग से ऐसे अजीर्ण से तुरंत फायदा होता है :
1. अमरूद -काला नमक, काली मिर्च व लौंग पीसकर चुसना
2. आम – 1 ग्राम सोंठ और गुड़ मिलाकर चूसना।
3. इमली- गुड़
4. उड़द की दाल – शक्कर या गुड़ में हींग मिलाकर, गोली बनाकर दो घूट गर्म पानी से लें।
5. केला – दो छोटी इलायची चबाकर खाएं।
6. खरबूजा- मिसरी अथवा चीनी मिलाकर
7. खीर – काली मिर्च
8. गन्ना- बेर (4 से 6)
9. घी – काली मिर्च व काले नमक वाली चाय
10. चने – कीसिरका दाल
11. चावल – अजवायन या गर्म दूध
12. जामुन – नमक
13. तरबूज- लौंग व काला नमक
14. दही – काला नमक व पिप्पली
15. पनीर- गर्म पानी
16. पूरी/कचौड़ी- गर्म पानी/चाय (नमक से बनी)
17. बाजरा/मकई – छाछ
18. बेर – सिरका/गन्ना
19. मटर- सोंठ, काली मिर्च
20. मूंगफली – गुड़
21. मूली – मूली के पत्ते
22. लड्डू – पिप्पली, लौंग
23. शकरकंदी – गुड़
24. नारियल – चावल का धौवन
अजीर्ण(अपच) की दवा : ajirn (apach) ki ayurvedic dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित अजीर्ण(अपच) में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
1) हिंगादि हरड़ चूर्ण(Hingadi Harad Churna)
2) लिवर टोनिक सिरप(Achyutaya Hariom Liver Tonic Syrup)
3) तुलसी अर्क (Achyutaya Hariom Tulsi Ark)
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
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