Last Updated on May 11, 2020 by admin
अपेंडिक्स क्या होता है : appendix kya hota hai
तलपेट में छोटी आँत-जहाँ बड़ी आँत से मिलती है, उसके निचले हिस्से में आन्त्रपुच्छ की स्थिति होती है। इस आन्त्रपुच्छ अथवा आँत की पूँछ को उपान्त्र भी कहते हैं। इसकी लम्बाई 3 से 9 इंच तक और मोटाई लगभग चौथाई इंच के होती है। यह
आकार में बिल्कुल छोटे केंचुए के समान होती है। आँत की इस पूँछ में जब किसी कारण से दर्द, सूजन अथवा जलन उत्पन्न हो जाती है तो उसे आन्त्रपुच्छ प्रदाह रोग के नाम से जाना जाता है।
यह रोग धीरे-धीरे जड़े जमाकर प्रकाश में आता है। कभी-कभी हठात् भी आ जाता है।
अपेंडिक्स के लक्षण : appendix ke lakshan kya hai
1) छोटी अन्तड़ी (Appendix) (आन्वपुच्छ) बड़ी आँत के साथ मिली होती है । इसमें संक्रमण के फलस्वरूप तीव्र रूप में परिवर्तन होकर छेद हो सकता है तथा इसका विषैला तरल पेट की झिल्ली (पेरीटोनियम) में पहुँचकर वहाँ सूजन उत्पन्न कर सकता है ।
2) पहले नाभि के नीचे और आसपास बहुत सख्त दर्द होता है। यह दर्द अपना स्थान बदलता रहता है । कष्ट के कारण रोगी हिलताडुलता तक नहीं है । उठने-बैठने तथा टाँग फैलाने और सिकोड़ने में दर्द होता है 3) दाँयी ओर के पेट और पेट की पेशी ऐंठकर सख्त हो जाती हैं।
4) रोगी को कब्ज और दस्त भी आने लगते हैं। यह रोग युवावस्था तथा मध्य आयु में अधिक होता है।
5) रक्त में (W.B.S) श्वेतकण (ह्यइट ब्लड सैल्स) बढ़ जाते हैं यह दर्द कई घन्टे तक रह सकता है । इसका भोजन करने या न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, दर्द हर समय होता रहता है, अलबत्ता परिश्रम करने पर बढ़ जाता है ।
6) रोगी को पेडू में दर्द होने लगता है और पेडू की दाहिनी ओर का निचला भाग गाँठ की भाँति कड़ा होकर उभर आता है, जिसको दबाने से दर्द बढ़ जाता है, दर्द के साथ ही ठण्ड मालूम पड़ती है, उसके बाद ही ज्वर आता है जो 990 से 1020 और कभी-कभी 105°F तक पहुँच जाता है,
7) जोरों की मितली मालूम होती है और कै(उल्टी) भी होती है।
अपेंडिक्स के कारण : appendix ke karan kya hai
इस रोग का प्रधान कारण पुराना कब्ज है। कब्ज के कारण एकत्र पुराना मलआँतों की भीतरी झिल्ली, उसके बाद छोटी बड़ी आँतों के जोड़, तत्पश्चात् आगे बढ़कर आँत की पूँछ में सूजन और प्रदाह पैदा कर देता है। यही ‘अपेण्डीसाईटिस’ है।
अपेंडिक्स का आयुर्वेदिक इलाज : appendix ka ayurvedic ilaj in hindi
1) रोगी को जुलाब न दें । बल्कि साबुन का एनिमा देकर पेट साफ करें तथा गरम पानी को तल में भरकर दर्द स्थल को सेकें । इस दर्द में अफीम का प्रयोग हानिकारक है । रोगी को तकिया के सहारे बिठाने से दर्द कम होता है। ( और पढ़ें – अपेंडिक्स के 6 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक उपचार )
2) सोये के हरे पत्ते का रस निचोड़कर आग पर पकायें । रस फट जाने पर इसको छानकर 100 मिली० में शरबत दीनार 50 मिली० मिलाकर सुबह शाम सेवन करना अतीव गुणकारी है। ( और पढ़ें – अपेंडिक्स के 16 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
3) एक ग्राम काला नमक आग पर गरम करके अर्क गुलाब में बुझालें । इसे 30 मि.ग्रा. हींग के साथ पिलायें ।
4) उड़द का आटा 250 ग्राम, बकरी के दूध में गूंथकर उसमें नमक, सौंठ, हींग, सोये के बीज, 5-5 ग्राम मिलाकर तवे पर इसकी मोटी रोटी एक ओर पकाकर और दूसरी ओर कच्ची रखें। तथा उस ओर अरन्ड का तेल (कैस्टर आयल) चुपड़कर गरम-गरम दर्द के स्थान पर बाँधे ।
अपेंडिक्स में क्या खाना चाहिए क्या नहीं : appendix me kya khaye kya nahi
रोगी को तीव्र दर्द की अवस्था में उपवास करायें । प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलायें । दर्द दूर हो जाने पर कुछ दिनों तक सन्तरे का रस, माल्य का रस, दूध, ग्लूकोज इत्यादि तरल पदार्थ ही दें । ठोस पदार्थों से परहेज रखें।
नोट :- यदि रोगी को आराम न आये तो तुरन्त किसी बड़े सरकारी अस्पताल में भेजें, क्योंकि इस रोग में शल्यक्रिया आपरेशन की भी आवश्यकता होती है । आपरेशन न कराने पर शोथ (प्रदाह) दूर हो जाने पर भी दुबारा पुनः हो सकती है या फोड़ा बनकर फट सकता है। जिसके फलस्वरूप सारे पेट में पीव (Pus) फैलकर संक्रमण (इन्फेक्शन) फैल सकता है । और रोग अत्यन्त उग्र रूप धारण कर सकता है ।
अपेंडिक्स(आन्त्रपुच्छ) की आयुर्वेदिक दवा : appendix ki ayurvedic dawa
अपेंडिक्स(आन्त्रपुच्छ) में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि |
1) हरड़े चूर्ण
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)