Last Updated on July 24, 2019 by admin
परिचय :
आकाश में बहुत सी खूबियां होती हैं उसकी पहली खूबी है- दूसरों को जगह देना, दूसरा गुण है- शब्द, शब्द को ब्रह्या की उपाधि दी गई है। शब्द ध्वनि (आवाज), तरंगे हैं। ये तरंगे पूरे आकाश में फैली हुई होती हैं। ध्वनि तरंगों को हम अपने अंदर महसूस करके आकाशवाणी से रेड़ियो ध्वनि तरंगे सुनते हैं।
जैसे आकाश बाहर चारों ओर फैला हुआ है वैसे ही ये हमारे अंदर भी चारों ओर फैला हुआ है। बाहर आकाश में तत्वों के कम होने या ज्यादा होने से भी संतुलन खराब हो जाता है।
आकाश की तीसरी खूबी है, खालीपन, क्योंकि आकाश अपने अंदर खाली स्थान हमेशा रखता है क्योंकि आकाश में खाली स्थान होगा तब ही तो उसमें कुछ और भरा जा सकता है। अगर कोई चीज पहले ही भरी हुई होगी तो उसमें हम और कुछ तो नहीं भर सकते न।
योग से हमें दिल में ध्यान लगाने का अभ्यास होता है। दिल पर पूरी तरह ध्यान लगाने से सोचने की शक्ति अच्छी होती है। हाथों की बीच की उंगली और दिल का आपस में बहुत ही गहरा नाता है।
कैसे करे आकाश मुद्रा का आसन:Method To Perform Akash Mudra
★ ध्यान लगाकर किसी आसन में बैठ जाएं, अपनी जीभ को मुंह के अंदर मोड़कर तालू को छुआएं व शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास करें। फिर सिर को धीरे-धीरे पीछे की ओर मोडें तथा आसन को पूरा करें।
परिणाम: Effects Of Akash Mudra On Your Body
★ आकाश मुद्रा ( akash mudra )का अभ्यास करने वाले को चेतना प्राप्त होती है। यह मन को शांति देता है।
★ इसको करने से आज्ञा चक्र में ध्यान लगता है।
मुद्रा बनाने का तरीका: Akash mudra in hindi
अपने हाथ के अंगूठे के पोरे को बीच की उंगली के आगे के भाग से मिलाने पर आकाश मुद्रा ( akash mudra )बनती है।
आसन:
वज्रासन में आकाश मुद्रा ( akash mudra )का अभ्यास सबसे ज्यादा ताकतवर (Powerfull) होता है। ध्यान के दूसरे आसनों में आकाश मुद्रा का इस्तेमाल किया जा सकता है। आसन की विधि को वायु मुद्रा में किया जाता है।
समय:
आकाश मुद्रा का अभ्यास ज्यादा से ज्यादा 15-16 मिनट तक करना चाहिए। इस आसन को 3 बार में करके लगभग 45 से 48 मिनट का अभ्यास किया जा सकता है।
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लाभ: akash mudra benefits in hindi
★ आकाश मुद्रा( akash mudra ) का अभ्यास करने से हड्डियां मजबूत बन जाती हैं।
★ आकाश मुद्रा के निरंतर अभ्यास से दिल के सारे रोगों को दूर करने में मदद मिलती है।
★ इस मुद्रा को करने से कान के रोग जैसे कान बहना, कान मे दर्द आदि दूर हो जाते हैं।
★ आकाश मुद्रा को करने से खाली स्थान भर जाता है।
★ इसको करने से सुनने की शक्ति तेज होती है।
जानकारी:
★ एक्यूप्रेशर के मुताबिक हाथ की बीच की उंगली में भी साइनस के बिंदु पाए जाते हैं। इन बिंदुओं पर दबाव डालने से सर्दी और जुकाम जैसे रोग दूर हो जाते हैं।
★ शास्त्रों के मुताबिक इसे शनि की उंगली माना गया है। आग और शनि जब मिलते हैं तो आध्यात्मिक शक्ति तेज होती है। जब जप किया जाता है तब भी हाथ को दिल के पास ही रखा जाता है।
★ जाप करने वाली माला के मोतियों को सुख-समृद्धि और शांति के लिए बीच की उंगली से आगे की ओर सरकाते हैं। आकाश मुद्रा को करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती पैदा होती है।
★ आकाश मुद्रा को करते समय धीरज रखना भी बहुत जरूरी है। इससे ही कोई भी व्यक्ति अपनी मनचाही मंजिल को पा सकता है।
सावधानियां:
★ आकाश मुद्रा का अभ्यास चलते-चलते नहीं करना चाहिए।
★ इस मुद्रा को भोजन करते समय नहीं करते हैं।
★ मुद्रा बनाकर कभी भी हाथों को उल्टा नहीं करते हैं।