कान दर्द के 35 रामबाण इलाज | Ear Pain Home Remedy in Hindi

Last Updated on November 21, 2019 by admin

कान दर्द क्यों होता है इसके कारण : kan dard kyu hota hai iske karan

कान में दर्द कई कारणों से हो सकता हैं जैसे :-

✦ कान के अन्दर या बाहर फुंसी होना।
✦ कान में अधिक मैल होना।
✦ कान पर किसी प्रकार से चोट लगना।
✦ कर्णगुहिका या कर्णपटल पर सीधे चोट लगना।
✦ पिन या माचिस की तीली के द्वारा कान का साफ करते समय कान के परदे पर चोट आना।
✦ कान के अन्दर फंगस, बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण होना।
✦ किसी विजातीय तत्व का कान के अन्दर घुस जाना जैसे- दाना, कीड़ा या बीज आदि।
✦ कनफेड होना, दान्त में क्षय होना, दान्त खोखला होना, मसूढ़ों में फोड़ा होना, सर्दी लगना, खांसी होना, बुखार होना या खसरा आदि रोग होना।
✦ कान को बार-बार खोदते रहने पर कान का कोई रोग हो सकता है जिसके कारण से कान में दर्द होता है।
✦ कान के मैल और कान की भूंसी को इधर-उधर हिलाने पर कान में दर्द हो सकता है।
✦ चेचक रोग के होने के कारण भी कान में दर्द हो सकता है।

कान दर्द के लक्षण : kan dard ke lakshan

कान में दर्द होने के कारण कई बार तो कान से पीब भी बहने लगता है, कान पर सूजन आ जाती है, कान लाल हो जाता है। कान में दर्द होने के कारण तो सुनने में भी परेशानी होती है। कभी-कभी कान में दर्द होने पर कान में जलन भी होती है। दर्द का असर कभी-कभी दांत की जड़ तक फैल जाता है।

कान के दर्द का इलाज : kaan ke dard ka ilaj in hindi

1- दो-तीन बूंद सरसों का तेल कान में डालने से कान के संक्रमण में तुरंत लाभ मिलता है।

2- केले की पेड़ की हरी छाल निकालें। इसे गरम करके सोते वक्त इसकी 3-4 बूंदें कान में डालें। कान दर्द की यह बहुत कारगर दवा है।

3- मुलहठी को घी में भूनकर बारीक पीसकर पेस्ट बनाएं। फिर इसे कान में डालें। कुछ ही मिनट में दर्द बिलकुल समाप्त होगा।

4-एक मूली के बारीक टुकड़े करके उसे सरसों के तेल में पकाएं। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें। कान दर्द में इसकी 2-4 बूंदे दिन में 3-4 बार टपकाने से जल्दी ही आराम मिलता है।

5-अजवाइन और तिल का बराबर तेल मिलाएं। इसे मामूली गरम करके कान में 2-4 बूंदे टपका दें। कान दर्द में यह बहुत उपयोगी हैं।

6-अदरक का रस निकालकर दो बूंद कान में टपका देने से भी कण के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है।

7-लहसुन की दो कलियों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर गरम कपड़े से बनाई गयी पुल्टिस को दर्दवाले हिस्से पर रखें, जल्दी ही दर्द में आराम होगा।

8-10 मिली तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर गरम करें, फिर छानकर शीशी में भर लें। इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें। कान दर्द में लाभप्रद नुस्खा है।

9-जैतून का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है।

10-प्याज का रस निकाल लें, अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें, इससे कान में उत्पन्न सूजन, दर्द, एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।

11-तुलसी की ताजी पतियों को निचोड़कर दो बूंद कान में टपकाने से कान दर्द से राहत देता है।

12-पांच ग्राम मेथी के बीज को एक बड़ा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें। अब इसे 2 बूंद दूध के साथ कान में टपका दें। कान पीप का यह बहुत ही कारगर इलाज माना जाता है।

13- अदरक के रस में नीबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूंदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद कान को रुई से साफ कर दें।

14-लहसुन की एक गांठ में से दो कली लेकर उनका छिलका उतार लें। अब दो चम्मच सरसों के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब लहसुन काला पड़ने लगे तब तेल का बर्तन आग से उतारकर तेल को कपड़े से छान लें। इस गुनगुने तेल को रुई के फाहे से कान में दो-चार बूंद डाल लें। इससे कान का दर्द दूर हो जाता है, साथ ही जमा हुआ मैल निकालने में आसानी होती है।

15-सुदर्शन और आक के पत्ते का रस 1-1 पाव लें, मीठे तेल में पकायें और जब खूब पक जाए तो छानकर शीशी में भरें। इसे कान में डालें, दर्द बन्द होगा।

16- कान बहने पर कीकर के फूलों को तेल में पकाकर कान में डाल लें। यह कान बहने से रोकने की उत्तम दवा है।

17- कान में कीड़ा घुस जाये तो गर्म पानी में थोड़ा-सा नमक डालकर कान में डालें और कान को उल्टा कर दें। कीड़ा मरकर बाहर निकल जायेगा।

18-कान में दर्द तथा मवाद बहने की शिकायत होने पर प्याज के रस की 5-6 बूंदें हल्का गर्म कर कान में डालने से आराम मिलता है। तुलसी की पत्तियों का रस गर्म करके चार बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। यदि कान बहता है तो रस कुछ दिनों तक लगातार डालें।

19- आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से फायदा होता है।

20- बच्चों को कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं।

21- चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर में डालने से कान का दर्द दूर होता है।

22-फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें। लाभ मिलता है।

23-मूली के 3 तोला रस में 1 तोला तिल का तेल शुद्ध करके कान में डालने से कान की पीड़ा शान्त होती है।

24- लहसुन, मूली और अदरक का रस मिलाकर हल्का-सा गर्म करके कान में बूंद-बूंद डालने से कान में पकी फंसी शीघ्र नष्ट हो जाती है।

25- एक कप गुनगुने पानी में चौथाई चम्मच फिटकरी चूर्ण मिलाकर कान धोने से कान का बहना बन्द हो जाता है।

26- मूली के सूखे पत्तों की राख को तिल के तेल में मिलाकर पका लें। इसे कान में डालने से दर्द दूर होता है।

27- कान में कीड़ा जाने पर सरसों के तेल को गुनगुना गर्म कर कान में डालने से कीड़ा फौरन बाहर निकल आता है।

28- फूले हुए सुहागे को पॉउडर करके, कपड़े से छानकर रख लें। इस पॉउडर को दिन में एक बार चार दिनों तक छिड़कें।

29- सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें एक तोला रतनजोत डालकर पकाएं। जब जलने लगे तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें। कान बहे, दर्द करे आदि सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है।

30- रसौत को घिसकर, मधु मिलाकर बूंदबूंद कान में डालने से बहुत लाभ होता है।

31- अमलतास के 100 ग्राम पत्तों को जल में उबालकर क्वाथ (काढा) बनाकर कान का प्रक्षालन करने से कान का बहना बंद होता है।

32- अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें। उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं, लाभकारी होगा।

33- नीम के पत्तों को पानी में उबालें और उस पानी से कान साफ करें। इसके बाद निबौरी के तेल को गर्म करके उसकी 2-3 बूंदें कानों में डालें । फुसी से राहत मिलती है।

34- मुलेठी को घी में मिलाकर हल्का गर्म करें व कान के आसपास लेप करें। फुसी की पीड़ा में लाभ मिलता है।

35- सुदर्शन के पत्तों पर देसी घी लगाकर हल्का गर्म करें व कान के नीचे सेक करें। फुसी की पीड़ा शांत हो जाएगी।

कान दर्द की दवा : Kan dard ki dawa

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित कर्ण बिंदु (Karna Bindu) कान का दर्द ,कान में पीब(मवाद) होना ,बहरापन व कान के सामान्य सभी रोगों में लाभकारी आयुर्वेदिक औषधि है |

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |

(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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