Last Updated on May 22, 2022 by admin
खट्टी डकारें क्यों आती है ? इसके कारण : khatti dakar aane ke karan
पेट में बनी गैस जब मुंह से बाहर आती है तो वह डकार कहलाती है। पेट में अधिक अम्लता (एसिडिटीज) के बनने से गैस होने लगती है, जिसके कारण मुंह में हल्का-सा खट्टा या तीखा पानी आता है।
खट्टी डकार का इलाज (khatti dakar ka ilaj)
1. कत्था : कत्था लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक खुराक के रूप में लेने से डकारे (dakar)आना बंद हो जाती हैं।
2. अजवायन : अजवायन, सेंधानमक, संचरनमक, यवक्षार, हींग और सूखे आंवले का चूर्ण बराबर लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। 1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से खट्टी डकारे( Khatti dakar ) आना बंद हो जाती हैं।
3. सोंठ : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण को देशी घी में भूनी हींग और कालानमक के साथ सुबह-शाम सेवन करने से डकार(dakar) नहीं आती हैं।
4. गुड़ : बाजरे के दाने के बराबर हींग लेकर गुड़ या केले के साथ खाने से डकार में आराम मिलता है।
5. जीरा : 1 चम्मच पिसा हुआ जीरा सेंककर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर खाना खाने के बाद चाटने से डकारों (dakar)में लाभ होता है।
6. ढाक : ढाक (पलास) की गोंद लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
7. कुलिंजन : कुलिंजन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक के टुकड़ों को मुंह में रखने या चूसने से पाचन से संबधी बीमारियां दूर होती हैं और मुंह में सुगन्ध आती है।
8. हींग : देशी घी में भुनी हुई हींग, कालानमक और अजवायन के साथ सुबह-शाम सेवन करने से डकार, गैस और भोजन के न पचने के रोगों में लाभ मिलता है।
9. दालचीनी : दालचीनी का तेल 1 से 3 बूंद को बतासे या चीनी पर डालकर सुबह-शाम सेवन करने से डकार और पेट में गैस बनने में लाभ पहुंचता है।
10. मरोड़फली : मरोड़फली के फल का चूर्ण लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से डकार(Belching), अफारा (पेट में गैस) और पेट के दर्द कम होकर लाभ देता है।
11. नारियल : कड़वी नारियल की गिरी को खाना खाने के बाद खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
12. ताड़ : ताड़ के कच्चे गूदे का पानी पीने से वमन (उल्टी) और उबकाई आना बंद हो जाती है।
13. पिस्ता : पिस्ता का सेवन करने से जी का मिचलाना और उल्टी में लाभ होता है।
14. मिश्री : मिश्री की चासनी में बेर की मींगी और लौंग को मिलाकर खाने से जी के मिचलाने में लाभ होता है।
15. धनिया : धनिया और भारंगी को पानी में पकाकर पिलाने से सूखी उल्टी आना रुक जाएगी।
16. जस्ता-भस्म : जस्ता-भस्म लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, मिश्री और जीरा के साथ खाने से उल्टी और जी का मिचलाना बंद हो जाता है।
17. पोदीना : पोदीना और इमली को पीसकर उसमें सेंधानमक या शहद मिलाकर खाने से खट्टी डकारे और उल्टी आना शांत हो जाती है।
18. धनिया : यह कोई रोग नहीं है परन्तु यदि कभी लगातार खट्टी डकारे आने लगती है तो रोगी को बेचैनी होने लगती है और वह शीघ्र ही घबरा जाता है। पेट में जलन होती है और जबान सूखने लगती है। बार-बार डकार आने से खुश्की दूर हो जाती है और वायु के कारण पेट में गर्मी सी महसूस होने लगती है। सीने में जलन, अकड़न और मीठा दर्द होने लगता है। ऐसी दशा में पाचक औषधि काम करती है। इसके लिए थोड़ा सा पुदीना और थोड़ा सा सूखा धनियां, बड़ी इलायची, अजवायन और कालानमक इन सबको पीसकर या तो टिकिया बना लेते हैं या चूर्ण बना लेते हैं फिर इसे 2 घंटे बाद गर्म पानी से लेना चाहिए। थोड़ी देर में डकारे बंद हो जाएंगी।
19. मेथी : मेथी के हरे पत्ते उबालकर, दही में रायता बनाकर सुबह और दोपहर में खाने से खट्टी डकारे, अपच, गैस और आंव में लाभ होता है।
20. नींबू : बिजौरे नींबू की जड़, अनार की जड़ और केशर पानी में घोटकर रोगी को पिलाने से डकार और जुलाब बंद हो जाते हैं।
21. नौसादर : नौसादर, कालीमिर्च, 5 ग्राम इलायची दाना, 10 ग्राम सतपोदीना पीस लें, इसे आधा ग्राम लेकर प्रतिदिन 3 बार खुराक के रूप में पानी के साथ लेने पर खट्टी डकारे, बदहजमी, प्यास का अधिक लगना, पेट में दर्द, जी मिचलाना तथा छाती में जलन आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
22. नागरमोथा : पीपल, कालीमिर्च, हरड़, बहेड़ा, आमला, शुंठी, बायविडंग, नागरमोथा, चंदन, चित्रक, दारूहल्दी, सोनामक्खी, पीपलामूल और देवदारू को 50-50 ग्राम लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें, फिर मण्डूर को 400 मिलीलीटर गाय के मूत्र में अच्छी तरह पका लें। जब मण्डूर 50 ग्राम शुद्ध रह जाये तो इसमें उपरोक्त चूर्ण को मिलाकर गूलर के फल के समान गोलियां बना लें। इन गोलियों को रोगी को देने से डकारें आना बंद हो जाती हैं।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें