Last Updated on November 16, 2023 by admin
नाभि का खिसकना क्या है ? : nabhi ka khisakna
नाभि का खिसकना जिसे आम लोगों की भाषा में धरण (dharan) गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते हैं।
नाभि खिसकने के कारण : nabhi khisakne ke karan
nabhi kyu khisakti hai
वैसे तो ये परेशानी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर नाभि खिसकने (nabhi ka khisakna) की परेशानी महिलाओं में सबसे अधिक पाई गई है।हर दूसरी महिला को ये परेशानी होना आम पाया गया है, लेकिन ये परेशानी क्यूं होती हैं और किन परिस्थितियों में जन्म लेती है, इसके भी अनेक कारण हैं।
- योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है। इसलिए किसी भी नाड़ी के अस्वस्थ होने से इसका कुछ प्रतिशत असर नाभिस्थान पर जरूर होता है।
- आधुनिक जीवन-शैली एक वजह :दरअसल आधुनिक जीवन-शैली के चलते लोग अपने शरीर को धीरे-धीरे अस्वस्थ बना रहे हैं। रोजाना की भागदौड़ में वे समय से आहार नहीं लेते, कसरत कभी नहीं करते और यहां तक कि पूरी नींद भी नहीं लेते। ऐसा करने से धीरे-धीरे शारीरिक नाड़ियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जिसका सीधा असर नाभिस्थान पर होता है। और महिलाओं में ये स्थान काफी कमज़ोर हो जाता है, उनकी नाभि बहुत जल्दी अव्यवस्थित हो जाती है।
- अन्य कारण : लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं जहां ना चाहते हुए भी हम नाभि खिसकने का शिकार हो जाते हैं। जैसे कि खेलते-कूदते समय भी नाभि खिसक जाती है। असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है। (इसे भी पढ़े : आसान उपायों से ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी )
कैसे पहचानें नाभि का खिसकना : nabhi khisakne ke lakshan
कैसे पहचानें कि नाभि ही अपने स्थान से खिसक गई है। क्योंकि पेट दर्द होना आम बात है, कुछ गलत आहार लेने से या फिर अन्य समस्याओं से भी पेट दर्द हो सकता है। इसके अलावा दस्त लगना भी कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। किंतु ये कैसे पहचाना जाए कि किसी व्यक्ति विशेष की परेशानी का कारण नाभि खिसकना ही है।
कुछ खास तरीके :
पहला तरीका :-
इसकी पहचान एक लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना।
- रोगी को शवासन यानि कि बिलकुल सपाट लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं।
- यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है।
- लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।
दूसरा तरीका :-
धरण गिरी है या नहीं इसे पहचानने का एक और तरीका है जो काफी प्रचलित भी है।
- इसके लिए रोगी के दोनों हाथों की रेखाएं मिला कर छोटी अंगुली की लम्बाई चेक करें, दोनों अंगुलियों की रेखाएं बिलकुल बराबर रखें।
- यदि मिलाने पर अंत में दोनों अंगुलियों की लंबाई में थोड़ा सा भी अंतर दिखे, तो इसका मतलब है कि धरण गिरी हुई है।
इन दो तरीकों से आसानी से नाभि खिसकने की पुष्टि की जा सकती है। अब यदि रोगी की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना आवश्यक है। इसके लिए हम यहां कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से बिना किसी दवा के नाभि अपने स्थान पर वापस आ जाएगी।
नाभि खिसकने के उपाय और उपचार : Nabhi Ka Khisakna Ke Upay in hindi
1. सरसों :
- सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है। रोग के बढ़ने पर रूई का फोया तेल में भिगोकर नाभि पर रखें।
- नाभि के जगह से हट जाने से अक्सर पेट में दर्द, गैस, दस्त, भूख न लगना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। नाभि पर कोई भी तेल खासकर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। तेज दर्द होने पर रूई में तेल लगाकर नाभि पर रखने से नाभि का दर्द समाप्त हो जाता है।
2. सौंफ :
- गुड़ और सौंफ 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से नाभि का टलना ठीक होता है और तेज दर्द में आराम मिलता है।
- 2 चम्मच सौंफ को पीसकर गुड में मिलाकर प्रतिदिन लगातार 5 दिनों तक लेने से नाभि का हटना ठीक होता है।
3. दही : 500 ग्राम दही में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान से नहीं हटता है।
4. गुड़ : थोड़ा सा गुड़ में नमक मिलाकर नाभि बैठाने के बाद खाने से अपने नाभि दर्द में जल्द आराम मिलता है।
अन्य उपाय :-
- नाभि खिसक गई है या नहीं, यह हमारे पांव की मदद से भी जाना जा सकता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को 10 डिग्री एंगल पर जोड़ें। ऐसा करने पर यदि आपको दोनों पैर की लंबाई में अंतर दिखे, यानि कि एक पांव दूसरे से बड़ा है तो यकीनन नाभि टली हुई हैं।
- अब पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए छोटे पैर की टांग को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसे कुछ-कुछ इंच तक धीरे से ही ऊपर की ओर उठाएं, तकरीबन 9 इंच की ऊंचाई पर आने के बाद फिर धीरे-धीरे नीचे रखकर लंबी सांस लें। यही क्रिया दो बार और करें। इस क्रिया को सुबह शाम ख़ाली पेट करना है, इससे नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।
सावधानी :
- यह नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो बड़ा रोग हो सकता है। ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है। यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए इससे अनजाने में छेड़खानी करने की कभी ना सोचें।
- एक और आखिरी बात, जिसका खास ख्याल रखने की जरूरत है। जब पता चल जाए कि नाभि खिसकने जैसी दिक्कत हो गई है, तो कुछ बातों का परहेज करना चाहिए। जैसे कि गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि मजबूरी में उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
thanks for the useful information, very much helpful, please add yogasanas also