Last Updated on September 2, 2020 by admin
रोग परिचय :
बालों की जड़ों की पुरानी शोथ(सूजन) इसे अंग्रेजी में (Barbers Itch, DeLekee Sycosis Barbee) के नाम से जाना जाता है । यह भी एक हठीला रोग है जो काफी लम्बे समय तक परेशान करता है । यह प्रायः दाढ़ी और सिर के बालों की जड़ों में हुआ करता है । इस रोग में त्वचा के रोम कूपों में पुरानी सूजन होती है जिसके कारण पीपयुक्त, पीली फुन्सियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। पीप निकलकर और सूखकर खुरन्ड बन जाते हैं । इस रोग के कारण बाल कमजोर होकर झड़ने लग जाते हैं।
तथा इसकी छूत एक से दूसरे व्यक्ति को भी लग जाती है।
रोग के कारण :
यह रोग स्टेफिलोकोक्कस नामक कीटाणु के संक्रमण से उत्पन्न होता है।
घरेलू उपाय / नुस्खे : balo ki jado me khujli aur sujan ka ilaj
1- 101 बार का धुला हुआ घी 250 ग्राम, सफेदा और कपूर 12-12 ग्राम, उत्तम (बढ़िया) सिन्दूर 6 ग्राम और चन्दन का तैल 18 ग्राम लें। सभी औषधियों को घी में रगड़कर मरहम बनाकर रोगाक्रान्त चर्म पर मलें । यह समस्त प्रकार के चर्म रोगों का नाशक बाह्य प्रयोगार्थ योग है। ( और पढ़े – दाद खाज खुजली का आयुर्वेदिक इलाज)
2- शुद्ध आँवलासार गन्धक 12 ग्राम, चिरायता 24 ग्राम, सौंफ चूर्ण 24 ग्राम, नीम का तैल 6 मि.ली. सभी को मिलाकर बड़े साइज के कैपसूलों में भरकर सुबह-शाम 1-1 कैपसूल खिलायें ।
3- नीम के नरम पत्ते, चिरायता के पत्ते, कुटकी, रीठा के छिलके सभी सममात्रा में लेकर कूट पीसकर बबूल के गोंद के साथ 250 मि.ग्रा. की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें । इन्हें 1-2 गोली तक सुबह-शाम ताजे जल से खायें । इसके सेवन से बालों के जड़ों की शोथ, दाद, चम्बल, खुजली, उपदंश, पित्त विकार तथा अन्य चर्म या रक्त विकार नष्ट हो जाते हैं। अनुभूत योग है।
4- सायंकाल को नीम के पत्तों को मोटा-मोटा कूटकर चौगुने जल में मिलाकर भिगोकर रख दें । प्रात:काल इसे बारीक कपड़े से छानकर इस जल से पीड़ित चर्म को भली प्रकार धोवें । तदुपरान्त किसी कलईदार बरतन में विशुद्ध सरसों का तैल 60 मि.ली. लेकर अग्नि पर गरम करके फिर इसमें मेंहदी की हरी पत्तियाँ डालकर इतना उबालें कि पत्तियाँ जल जायें । तब इसको छानकर पीड़ित चर्म पर लगाकर मालिश करें । अतीव गुणकारी है ।( और पढ़े –दाद को जड़ से मिटायेंगे यह 16 घरेलु नुस्खे )
5- मजीठ 30 ग्राम, त्रिफला 120 ग्राम, छोटी हरड 60 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 30 ग्राम तथा स्वर्ण गेरू, कलमी शोरा, कासनी के बीज, गोक्षुर (प्रत्येक 30-30 ग्राम) सनाय 120 ग्राम, गुलाब के फूल 60 ग्राम लें । इन सभी को कूट पीसकर कपड़छन करके सुरक्षित रखलें । यह मंजिष्ठादि चूर्ण का योग है। इसे 3 ग्राम की मात्रा में प्रात:काल उष्ण जल से सेवन करें ।
6- आँवला भृंगराज केश तेल (निर्माता अच्युताय हरिओम फार्मा) बालों को लम्बा, घना व काला बनाये रखता है । रूसी नष्ट कर देता है। मस्तिष्क को तरोताजा रखता है। यह तैल विटामिन ई से समृद्ध है।
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)