रोग व पापनाशक पंचगव्य

Last Updated on November 15, 2019 by admin

पंचगव्य शरीर के साथ मन व बुद्धि को भी शुद्ध, सबल व पवित्र बनाता है | शरीर में संचित हुए रोगकारक तत्वों का उच्चाटन कर सम्भावित गम्भीर रोगों से रक्षा करने की क्षमता इसमें निहित है | इसमें शरीर के लिए आवश्यक जीवनसत्व (विटामिन्स), खनिज तत्व, प्रोटीन्स, वसा व ऊर्जा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है | गर्भिणी माताएँ, बालक, युवक व वृद्ध सभी के लिए यह उत्तम स्वास्थ, पुष्टि व शक्ति का सरल स्त्रोत है |

निर्माण व सेवन-विधि : १ भाग गोघृत, १ भाग गोदुग्ध, १ भाग गोवर का रस, २ भाग गाय का दही व ५ भाग छाना हुआ गोमूत्र, सब मिलाकर २५–३० मि.ली. प्रात: खाली पेट धीरे-धीरे पियें | बाद में २ – ३ घंटे तक कुछ न लें | तीन बार इस मंत्र का उच्चारण करने के बाद पंचगव्य पान करें |

यत् त्वगस्थिगतं पापं देहे तिष्ठति मामके |
प्राशनात् पंचगव्यस्य दहत्वग्निरिवेन्धनम् ||

अर्थात त्वचा, मज्जा, मेधा, रक्त और हड्डियों तक जो पाप (दोष, रोग) मुझमें प्रविष्ट हो गये है, वे सब मेरे इस पंचगव्य-प्राशन से वैसे ही नष्ट हो जाये, जैसे प्रज्वलित अग्नि में सुखी लकड़ी डालने पर भस्म हो जाती है | (महाभारत)

4 thoughts on “रोग व पापनाशक पंचगव्य”

  1. “पंचगव्य घृत” को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

  2. अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित “पंचगव्य घृत”( १०० ग्राम) की कीमत 120 rs है |
    जिसे आप अपने निकटवर्ती संत श्री आशारामजी आश्रमों या श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त कर सकते है |

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