स्वामी रामतीर्थ का अनुभव

Last Updated on July 24, 2019 by admin

स्वामी रामतीर्थ जब प्रोफेसर थे तब उन्होंने एक प्रयोग किया और बाद में निष्कर्षरूप में बताया कि जो विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में या परीक्षा से कुछ दिन पहले विषयों में फँस जाते हैं, वे परीक्षा में प्रायः असफल हो जाते हैं, चाहे वर्ष भर उन्होंने अपनी कक्षा में अच्छे अंक क्यों न पाये हों। जिन विद्यार्थियों का चित्त परीक्षा के दिनों में एकाग्र और शुद्ध रहा करता है, वे ही सफल होते हैं।

ऐसे ही ब्रिटेन की विश्वविख्यात ʹकेम्ब्रिज यूनिवर्सिटीʹ के कॉलेजों में किये गये सर्वेक्षण के निष्कर्ष असंयमी विद्यार्थियों को सावधानी का इशारा देने वाले हैं। इनके अनुसार जिन कॉलेजों के विद्यार्थी अत्यधिक कुदृष्टि के शिकार होकर असंयमी जीवन जीते थे, उनके परीक्षा परिणाम खराब पाये गये तथा जिन कॉलेजों में विद्यार्थी तुलनात्मक दृष्टि से संयमी थे, उनके परीक्षा-परिणाम बेहतर स्तर के पाये गये।

“कामविकार से बचना हो तो शिवजी, गणपति जी, अर्यमादेव, हनुमानजी, भीष्म जी का सुमिरन करें सुबह-सुबह। काम से बचकर राम में मन लगाने की प्रार्थना करों। दिन में भगवद्-स्मृति, हे नाथ,   दयालु, सदबुद्धि दे, तेरी प्रीति दे – इतना तो कर सकते हो मेरे भाई, सज्जनो ! लाड़ले लाल, जल्दी हो जाओ निहाल !” पूज्य बापू जी

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...