Last Updated on July 22, 2019 by admin
परम पूज्य सदगुरुदेव द्वारा गत वर्षों में दिवाली के समय बताई गयी कुछ बातें -Diwali(deepavali) par sukh samridhi ke upay
१.दिवाली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी तो कुबेर बन गए ,जो धनाढ्य लोगो से भी बड़ा धनाढ्य है..सभी धन का स्वामी है..ऐसा इस काल का महत्त्व है.. दिया जलाके जाप कराने वाले को धन, सामर्थ्य , ऐश्वर्य पाए…ध्रुव , रजा प्रियव्रत ने भी आज की रात को लक्ष्मी प्राप्ति का , वैभव प्राप्ति का जप किया था…मन्त्र बहुत सरल है…मन्त्र का फल प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से मंत्र सुने –
माँ लक्ष्मी मन्त्र :-
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
२. पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है..|
३. तुलसी के पौधे के आगे शाम को दिया जलाने से लक्ष्मी वृध्ही में मदद मिलती है; गुरुदेव ने यह भी कहा की लक्ष्मीजी को कभी तुलसीजी नहीं चढाई जाती, उनको कमल चढाया जाता है |
४. दीपावली के दिन लौंग और इलाइची को जलाकर राख कर दें; उस से फिर लक्ष्मी जी ,गुरुदेव (की फोटो) को तिलक करें; लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है, बरकत होती है |
५. दीपावली की संध्या को तुलसी जी के निकट दिया जलायें, लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है; कार्तिक मास में तुलसीजी के आगे दिया जलाना पुण्य-दाई है, और प्रातः-काल के स्नान की भी बड़ी भारी महिमा है |
६. दीपावली, जन्म-दिवस, और नूतन वर्ष के दिन, प्रयत्न-पूर्वक सत्संग सुनना चाहिए |
७. दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फल-दाई होता है; ४ महा-रात्रियाँ हैं – दिवाली, शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी – यह सिध्ध रात्रियाँ हैं, इन रात्रियों का अधिक से अधिक जप कर के लाभ लेना चाहिए |
८. > दीपावली के बाद आने वाली देव-जगी एकादशी के दिन , संध्या के समय कपूर आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है; एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है |
> जो एक बार रोज सुबह घर से निकलते समय महा मृत्युंजय मंत्र जप कर के निकलता है , उसको एक्सीडेंट से अकाल मृत्यु में फिसलने का भय नहीं रहता |
मंत्र :-
ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ ।
९. दीपावली के अगले दिन , नूतन वर्ष होता है ; उस दिन, सुबह उठ कर थोडी देर चुप बैठ जाएँ; फिर, अपने दोनों हाथों को देख कर यह प्रार्थना करें:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर-मध्ये च सरस्वती,
कर-मूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनं ||
अर्थात –
मेरे हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी जी का वास है, मेरे हाथों के मध्य भाग में सरस्वती जी हैं; मेरे हाथों के मूल में गोविन्द हैं, इस भाव से अपने दोनों हाथों के दर्शन करता हूँ…
फिर, जो नथुना चलता हो, वही पैर धरती पर पहले रखें; दाँया चलता हो, तो ३ कदम आगे बाधाएं, दांए पैर से ही; बाँया चलता हो, तो ४ कदम आगे बढायें, बाँए पैर से ही;
१०. नूतन वर्ष का दिन जो व्यक्ति हर्ष और आनंद से बिताता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष और आनंद से जाता है |
११. कार्तिक मास में यह बातें करनी चाहिए (बहुत लाभ होता है) –
अ) तुलसीजी की मिट्टी का तिलक,
बी) गंगाजी का स्नान, अथवा तो प्रभात का स्नान (सूर्योदय के पूर्व ),
क) ब्रह्मचर्य का पालन, चटोरापन न हो,
डी) धरती पर शयन…
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