Last Updated on July 22, 2019 by admin
वास्तु टिप्स : Vastu Shastra Tips for Home
वास्तु अनुसार बने भवनों में रहने वाले परिवार सदैव सुखी एवं समृद्ध रहते हैं। उत्तम स्वास्थ्य, मानसिक शान्ति एवं आध्यात्मिक आनन्द की प्राप्ति के लिए निम्न बातों का सदैव ध्यान रखें:-
1) उन्हीं भूखंडों को खरीदें, जिनका दिशाकरण मुख्य दिशाओं उत्तर, पूर्व, पश्चिम एवं दक्षिण दिशा की ओर हो। ( और पढ़ें – वास्तु अनुसार किस दिशा में क्या हो )
2) भवन के सभी ओर चारदीवारी अवश्य बनायें। मुख्य भवन के चारों ओर खाली जगह छोड़ें।
3) वर्गाकार एवं आयताकार भूखण्ड उत्तम है।
4) उत्तर एवं पूर्वी दिशा में अधिक से अधिक स्थान खाली छोड़े। भवन का मुख्य प्रवेश द्वार वास्तुचक्र अनुसार शुभ पदों में ही स्थापित करें। यह द्वार घर के अन्य द्वारों से बड़ा होना चाहिए। उत्तम होगा, यदि यह द्वार दो पल्लों वाला हो।
6 ) भवन के केन्द्रीय स्थान (ब्रह्म स्थान को) भार मुक्त रखें। यहाँ बीम, पिलर, कुआँ, सीढियाँ इत्यादि न बनाएँ।
7 ) नैर्ऋत्य कोण में खुला स्थान न छोड़े। इस क्षेत्र में मुख्य द्वार अथवा चारदीवारी का द्वार न बनायें।
8) कुआँ अथवा बोरिंग ईशान कोण के क्षेत्र में ही करवायें। ( और पढ़ें – वास्तु के अनुसार घर में जल स्रोत कहां होना चाहिए ? )
9) ईशान कोण को हमेशा खुला, भार मुक्त और स्वच्छ रखें।
10) गृहस्वामी का शयनकक्ष नैऋत्य कोण या दक्षिण दिशा में बनाएँ।
11) भवन के बीच में आंगन बनाना श्रेष्ठ है। इसका ढाल पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
12) बच्चों का शयनकक्ष पश्चिम अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। बच्चे सोते समय अपने सिर को पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
13) रसोईघर मुख्य द्वार के एक दम सामने नहीं होना चाहिए।
14) टूटे दर्पण, टूटी, रुकी हुई घड़ियाँ घर में न रखें।
15) गजलक्ष्मी, स्वास्तिक एवं ॐ जैसे शुभ चिन्ह मुख्य द्वार पर लगायें।
16) विद्यार्थी पढ़ते समय पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बैंठे।
17) बीम के नीचे न तो बैठे, न सोयें और न ही कोई कार्य करें।
18) काँटेदार एवं दूध वाले पौधे घर में न लगायें। ( और पढ़ें – वास्तु अनुसार अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग पेड़ों के प्रभाव )
19) बरसाती पानी का निकास उत्तर, पूर्व अथवा ईशान कोण की दिशा में होना चाहिए।
20) तुलसी और अन्य औषधीय पौधे घर के ईशान कोण में लगायें।
21) अशोक, अनार, नीम, नींबू, बेल और चम्पक जैसे शुभ वृक्ष नैर्ऋत्य कोण में लगायें।
22) निर्माण से पूर्व भूमि-पूजन शुभ मुहर्त में करें और नये घर में प्रवेश करते समय शुभ मुहर्त की विशेष ध्यान दें।
23) शौचालय को उत्तर-दक्षिण दिशा के समानान्तर बनायें।
24) सीढ़ियों के नीचे पूजास्थल अथवा टायलेट न बनायें। इस स्थान को सामान आदि रखने के लिए प्रयोग करें।
25) छत के ऊपर पानी की टंकियाँ दक्षिण एवम् पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए।
26) ईशान कोण के क्षेत्र में टायलेट अथवा भट्टी, आग आदि जलाने की व्यवस्था घर में आर्थिक विपत्ति के अलावा मानसिक तनाव एवं झगड़े आदि का कारण बनती है।
27) मुख्य द्वार का सही दिशा में न होना, मुख्य द्वार के आगे किसी भी प्रकार की रुकावट परिवार की समृद्धि में रुकावट का कारण बनती है।