Last Updated on February 7, 2022 by admin
1. सुबह ब्राह्ममुहूर्त में उठे, यह समय सूर्योदय से लगभग 48 मिनट पहले होता है।
2. सुबह बासी मुँह भरपेट जल पीने की आदत डाले, इसे उष:पान कहते हैं। यह बहुत-से रोगों को दूर करता है। जल हरदम बैठकर पिये, खड़े-खड़े कभी भी न पिये।
3. सुबह नित्य-कर्म से निवृत्त होकर मैदान में टहलने की आदत डाले, कम-से-कम 2-3 कि०मी०तक तेज चालसे टहले।
4. रोजाना सुबह 15-30 मिनट तक हलके व्यायाम अथवा योगासन जरूर करे।
5. रोज सुबह के नाश्ते में अंकुरित आहार को शामिल करे, इसे अमृतान्न’ कहते हैं; क्योंकि ये केवल सूर्यकी रोशनी में ही पकते हैं। इनमें चना, मूंग, गेहूँ, मूंगफली, उड़द, मेथी तथा सोयाबीन हैं। इन्हें खूब चबा-चबाकर खाये तथा दूध पिये। दूध भी धीरे-धीरे, छोटे-छोटे बँट बनाकर पिये।
6. नियमित समयपर खूब चबा-चबाकर भोजन करे, दाँतों का पूर्ण उपयोग करे, दाँतों का काम आँतों से न ले तथा भोजन में लगभग 20-30 मिनट का समय लगावे। ‘रोटी को पिये तथा दूधको खाये’ रोटीको इतना चबाये कि वह मीठी लगने लगे। जब वह लारके साथ मिलकर पेटमें जायगी, तब सुपाच्य हो जायगी एवं अच्छी ऊर्जा देगी। इस तरहसे भोजन करनेपर आप क़ब्ज़ से बचे रहेंगे।
7. दैनिक भोजन में सलाद को जरूर शामिल करे।
8. भूख लगे तभी खाये तथा वह भी भूखका 70% ही खाये। 30% पेट खाली रखे।
9. अनावश्यक बार-बार न खाये तथा ढूँस ढूंसकर न खाये और भोजन में किसी से होड़ लगाकर न खाये। पेट को कूड़ाघर न बनाये।
10. दोनों समय भोजन करने के बाद यथासम्भव कुछ देर आराम करे, नींद न ले। 8 श्वास दाहिनी करवट लेटकर ले, 16 श्वास सीधी करवट तथा 32 श्वास बायीं करवट लेटकर ले। इससे पाचन ठीक होता है तथा इसके बाद वज्रासन जरूर करे। दोनों घुटनों के बलपर बैठकर हाथ घुटनों पर रखे। मेरुदण्ड सीधा रहे, यह सामान्य वज्रासन है।
11. दोनों समय भोजनके बाद मूत्र-त्याग करे, ऐसा करनेसे कमर में दर्द नहीं होता है, पथरी की शिकायत भी नहीं होने पाती।
12. दोनों भोजन के बीच में केवल फल एवं जूस ही ले और कुछ न खाये।
13. दिनभर में करीब ढाई-तीन लीटर जल जरूर पिये। भोजन के साथ जल न पिये, केवल बीच बीच में दो-तीन घूट ही पिये। भोजन के लगभग एक घंटा पहले तथा एक घंटा बाद जल पिये।
14. चाय, कॉफी, सिगरेट, जर्दा, पानपराग, भाँग, चरस, गाँजा, शराब, बीड़ी इत्यादि मादक एवं नशीली चीजोंका कभी भी सेवन न करे। ये स्वास्थ्य के लिये जहर हैं।
15. शरीर के किसी वेग को न रोके, यथामल, मूत्र, छींक, जंभाई, डकार, अपानवायु, भूख, प्यास, नींद, आँसू इत्यादि।
16. हर दम लंबी-लंबी श्वास लेनेकी आदत डाले। इससे अनेक बीमारियाँ स्वतः दूर हो जाती हैं।
17. मूत्र-त्याग करते वक्त दाँत जोर से भींच ले तथा मूत्र को पूर्ण वेगसे न छोड़कर बीच-बीच में रोककर करे, ऐसा करने पर पौरुष ग्रन्थिकी शिकायत नहीं होगी एवं शिकायत होनेपर कुछ हदतक ठीक हो जायगी।
18. नहाने के पहले मूत्र-त्याग जरूर कर ले।
19. रोज रात को नौ-दस बजे तक सोने की आदत डाले।
20. सोते वक्त सिर हरदम पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ रखकर सोये।