Last Updated on July 19, 2019 by admin
कैसे करें बीमों का प्रभाव निष्फल :
बीम या शहतीर के नीचे नहीं सोना चाहिए। यह विज्ञान और वास्तु की दृष्टि में भी सही है। सोते समय शरीर के किसी भी भाग के ऊपर छत में लटका बीम होने पर इसके कई नकारात्मक प्रभाव स्वास्थ्य एवं मनोदशा पर पड़ सकते हैं। विज्ञान के शब्दों में कहें तो जो भी बीम या शहतीर छत में डाली जाती है, वह उस कमरे या छत का सारा वजन अपने ऊपर संभाले हुए होती है। पूरी छत का वजन उठाने वाले शहतीर या बीम पर गुरुत्वाकर्षण के कारण अधिक दबाव पड़ता है, जो उर्ध्वाधर दिशा में अधोगामी होते हुए सीधा जमीन की तरफ अपना सम्पूर्ण भार रखता है। इस दिशा में छत के बीम व भूमि के बीच शरीर या शरीर का कोई भी भाग आएगा तो छत के भार के कारण पैदा तनाव शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करते हुए जमीन की तरफ आगे बढ़ता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं हो सकती हैं।
बीम या शहतीर के नीचे सोने से बचना आवश्यक है।
बीम और कॉलम के वास्तु शान्ति टिप्स :
• ऊपर से क्रास की दिशा में गुजरते बीम के नीचे न सोएं। इसके नीचे सोने वाले व्यक्ति अक्सर ही तनाव व चिंता में रहते हैं और उनका सोचने का तरीका भी धीरे-धीरे निगेटिव हो जाता है। यह आयु भी कम करता है।
• छत में अगर आर सी सी का लेंटर पड़ रहा हो तो अपने बेड के निश्चित भाग में लटका हुआ बीम न डालकर छत में ही छिपा हुआ बीम डलवाएं।
• किसी भी शयन कक्ष के भीतर के साइज का निर्धारण कुछ
इस तरह से करें कि कमरे के बीच में शहतीर या बीम न बनाकर इसे साइड (बगल) की दीवारों में छिपाएं।
• बीम से बचना संभव न हो तो अपना बेड लंबवत रूप में बीम के समानान्तर करके थोड़ा सा साइड में कर लें क्योंकि किसी भी बीम का शरीर में बिलकुल ऊपर से क्रॉस करते हुए निकालना अधिक जानलेवा हो सकता है।
• सिर तथा छाती को लटकती हुई बीम सबसे अधिक प्रभावित करती है। बुरे स्वप्न आते हैं, जिसका प्रभाव स्वास्थ्य पर भी पड़ता
• घर में बीम पहले से ही बना हो तो आप अपना बेड इसके नीचे से राइट या लेफ्ट की तरफ सरका लें।
• बेड को लेफ्ट-राइट सरकाना असंभव हो तो बेडरूम में फॉल्स सीलिंग करा लें, इससे शहतीर का तनाव या प्रभाव कम हो जायेगा और बीम का सीधा प्रभाव आपके बेड या कक्ष पर नहीं पड़ेगा।
• डबल बेड के सिरहाने के ऊपर कप बोर्ड या दोनों ओर वुडन आलमारियों को परस्पर जोड़ने वाली ओवर हेड कैबिनेट न बनवाएं। इनका वजन और इनमें रखे सामान का वजन इतना हो जाता है कि सिर पर यह नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी प्राब्लम्स हो सकती है।
• फॉल्स सीलिंग करवाते समय यह ध्यान दें कि लहरदार ऊंचे-नीचे डिजाइन न हों।रात को सोने वाले के सिर, छाती या शरीर के अन्य भागों के ऊपर से क्रास करने पर ये भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसी डिजाइन से बचें।
• बेडरूम की छत को अगर बेहतर लुक देना ही चाहते हैं तो इसके लिए छोटे-छोटे बॉर्डर या कॉर्निस आदि बनवा सकते हैं। देखने में भी अच्छा लगेगा। और स्वास्थ्य के लिए भी कोई खतरा नहीं होगा।
• ड्राइंग रूम यानी बैठक का लुक अच्छा हो, सभी ऐसा चाहते हैं। ड्राइंग रूम व लॉबी आदि में फॉल्स सीलिंग के आधुनिक डिजाइन अपनी सुविधा, पसंद व सुंदरता के मुताबिक बनवा
सकते हैं।
• पुराने मकानों में आज भी छतों में लकड़ी की कड़ियां होती हैं। उनका कोई निगेटिव प्रभाव नहीं पड़ता है। उन कड़ियों को सपोर्ट देने वाले शहतीर से बचना जरूरी है। इसके लिए सपोर्ट देने वाले शहतीर के नीचे न सोएं।
• छत में कोई वजनदार बीम या शहतीर हो तो उनके दोनों छोरों पर उन्हीं की साइड की चोड़ाई के दो दर्पण दीवार पर टांग दे। इससे इनका नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है।
• बीमों से बचने का कोई व्यावहारिक उपाय न हो तो उनके ठीक नीचे दोनों तरफ एक-एक ग्रीन गणपति की छोटी-छोटी प्रतिमा रख दें। इससे नकारात्मक प्रभाव सकारात्मक प्रभाव में बदल जाता है।
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