Last Updated on January 14, 2021 by admin
स्लिप डिस्क क्या है ? (Slipped Disc kya Hai in Hindi)
“स्लिप डिस्क” एक अपंग करनेवाली व्याधि है। इसमें रोगी ज्यादा समय तक चलने-बैठने के लिए लाचार हो जाता है। ज्यादातर समय उसे बैठे रहने में ही व्यतीत करना पड़ता है। ऐसे में ऑपरेशन द्वारा इसका इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में इसका सफल उपचार होता है।
मनुष्य के मेरुदंड में 33 अस्थियाँ होती हैं। इन अस्थियों को रीढ़ की हड्डियाँ या कशेरुका के नाम से जाना जाता है। इन्हें पाँच भागों में बाँटा जा सकता है।
- सर्वाइकल (Cervical)
- थोरॅसिक (Thoracic)
- लम्बर (Lumbar)
- सेक्रल (Sacral)
- कॉकसिक्स (Coccyx)
मेरुदंड गरदन से लेकर कमर तक लगा हुआ है। रीढ़ की हड्डी एक के ऊपर एक रखी होती है और यह मजबूत मेरुदंड से जुड़ी रहती है। रीढ़ की प्रत्येक दो हड्डियों के बीच एक प्रकार की ‘डिस्क’ की तरह का जोड़ होता है, जिसमें तेल या चिकना तरल पदार्थ होता है। जिसे हम सेरीब्रो स्पाइनल फ्लूइड’ कहते हैं। इस तरल पदार्थ से भरी डिस्क ही आघात अवरोधक का काम करती है, जिसके चलते मस्तिष्क, मेरुदंड तथा अन्य आंतरिक अवयव चलने-फिरने की स्थिति में आघातों से बचे रहते हैं।
यदि किसी कारणवश कमर के निचले क्षेत्र में अत्यधिक तनाव पड़ता है तब इन डिस्क में दरारें पड़ जाती हैं या वे टूट जाती हैं जिसके कारण उनमें से चिपचिपा तरल पदार्थ बाहर किसी स्नायु पर दबाव डालने लगता है, जिसकी वजह से दर्द शुरू हो जाता है। यह दर्द अधिकतर 4,5, 13, 14, 17 नंबर की रीढ़ की हड्डियों में होता है।
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स्लिप डिस्क होने के कारण (Slipped Disc kyu Hota Hai in Hindi ?)
स्लिप डिस्क कई वजहों से भी हो सकता है जैसे –
- स्लिप डिस्क उन लोगों को होता है, जो लोग लगातार कई घंटों तक या ज्यादातर झुककर काम करते हैं या तनाव में रहते हैं।
- यह उन महिलाओं को होता है, जो झुककर झाडू लगाती हैं।
- रजोनिवृत्ति में स्त्रियों में ऍस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी आ जाती है, जिससे कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है, इस कारण भी स्लिप डिस्क हो जाता है।
- स्त्रियों में ल्यूकोरिया तथा अधिक मासिक स्राव के कारण भी सिल्प डिस्क हो सकता है।
- पुरुषों में धातुस्राव के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- भोजन में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन की कमी तथा अल्कोहोल का सेवन, स्थूलता, मेहनत की कमी के कारण भी स्लिप डिस्क हो सकता है।
स्लिप डिस्क के लक्षण (Slipped Disc ke Lakshan kya Hote Hain)
स्लिप डिस्क में निम्नलिखित लक्षण नज़र आते है –
- चक्कर आना
- सिरदर्द के साथ-साथ उल्टी होना
- रक्तचाप का बढ़ जाना
- ई. एस. आर. (ESR) का बढ़ना
- छाती या गरदन से दर्द शुरू होकर, बाँह से लेकर अंगुलियों तक में आ जाना।
- गरदन का जकड़ जाना।
- कभी-कभी जोड़ों का काम करना बंद हो जाना।
- कब्ज होना।
इस बीमारी का एक प्रमुख कारण है हमारी गलत जीवनशैली जिसमें उठने-बैठने, चलने-फिरने तथा सोने की गलत आदतों के कारण मांसपेशियों और हड्डियों पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से स्लिप डिस्क जैसा रोग पकड़ लेता है।
स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक इलाज (Slipped Disc Ayurvedic Treatment in Hindi)
स्लिप डिस्क का उपचार कैसे किया जाता हैं ?
आयुर्वेद में स्लिप डिस्क का इलाज सफलता पूर्वक किया जाता है। किसी भी रोग की चिकित्सा करने से पहले पंचकर्म कराना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि बद्धकोष्ठता दूर हो सके । यदि रीढ़ की हड्डियाँ आपस में मिल जाती हैं या टेढ़ी हो जाती हैं तो भी आयुर्वेदिक दवाइयाँ उसे सीधा कर देती हैं। जहाँ तक दर्द का प्रश्न है, वह आयुर्वेदिक दवाइयों से पूरी तरह ठीक हो जाता है।
कभी-कभी रोगियों में कैल्शियम की कमी अधिक होती है। ऐसे में आयुर्वेदिक दवाइयाँ क्षतिपूर्ति करती हैं।