Last Updated on March 13, 2021 by admin
यह मसूड़ों और परिदंत कुला के चिरस्थाई रोग है। पायरिया वह अवस्था है, जिसमें मसूड़ों से पस व खून विसर्जित होता है इसमें दाँत मसूड़ों से अलग होता है और ऐसी कोटरिका बन जाती है, जिसमें पस रहता है।
पायरिया से बचाव :
रेशेदार भोजन को चबाने से दाँतों को सहारा देनेवाले उत्तकों का खून संचार बढ़ता है, फलस्वरूप दाँत मजबूत रहते हैं। रोजमर्या के आहार में ऐसे रेशेदार खाद्यपदार्थ सम्मिलित किए जाने चाहिए, जिनमें दाँतों को अधिक चबाना पड़ता है, जैसे गाजर, मूली, शलगम, चुकंदर, कटहल, गन्ना, जौ, चना आदि।
गर्म ठंढा सेक :
पायरिया रोग में दाँतों का क्रमानुसार गर्म कुल्ला व ठंडे पानी का कुल्ला करने पर रक्त संचार के प्रवाह में मदद मिलती है।
दाँतों के व्यायाम :
दाँत व जबड़ों के नित्य प्रतिदिन व्यायाम करने पर मसूड़ों की एक्सरसाइज होती है। दाँतों की एक्सरसाइज पायरिया रोग को बढ़ने से रोकती है।
आयुर्वेदिक दंत मंजन बनाने की विधि :
दाँतों का ऐसा मंजन तैयार करना होगा, जिसमें फ्लूराईड, विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो इसके लिए 3 ग्राम चुने में 5 ग्राम अमरूद पत्ती चूर्ण, 1 ग्राम नमक, 5 ग्राम लौंग व 2 ग्राम सरसों का तेल डालकर पेस्ट बनाएँ। अब अँगुलियों से दाँतों पर धीरे-धीरे मलें व मसूड़ों की मालिश करें।
पायरिया रोग मुख्यतः दाँतों में गंदगी रहने की वजह से होता है। अतः दाँतों को खाना खाने के बाद अंगुली से अच्छी तरह साफ करें । चीनी, मैदा व चिपचिपी पदार्थों से दाँतों को बचाएँ । गन्ना चूसना दाँत व मसूड़ों के लिए उत्तम व्यायाम व पोषण है, अतः माह में दो से पाँच बार गन्ना चूसें। यदि संभव न हो तो रोटी को 15 से 20 बार चबा-चबाकर खाएँ, ऐसा करने से दाँत मजबूत रहेंगे व दाँतों का काम आँतों को नहीं करना पड़ेगा।