Last Updated on February 16, 2023 by admin
बच्चों की उल्टी का होम्योपैथिक इलाज (Bacchon ki Ulti ka Homeopathic Ilaj)
1. नक्स-वोम :- किसी-किसी बच्चे को दूध हजम नहीं होता है और दूध पिलाने पर दूध की उल्टी कर देता है। बच्चे को दूध हजम न होने का मुख्य कारण स्नायविक उत्तेजना या पाकस्थली के दोष है। जब बच्चे को दूध हजम नहीं होता है तो ऐसे में दूध पिलाने पर बच्चा खट्टी व बदबूदार उल्टी कर देता है। उल्टी के साथ पित्त मिला हुआ हरे रंग का बलगम आता है और साथ ही बच्चे को कब्ज रहती है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को नक्स-वोम औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है। इसके प्रयोग से दूध हजम होता है और कब्ज दूर होती है।
2. पल्सेटिला :- प्रसूता के द्वारा अधिक भारी वस्तुएं अर्थात आसानी से हजम न होने वाली चीजों का सेवन करने से बच्चे की पाचन क्रिया खराब हो जाती है जिससे दूध पिलाने पर बच्चा कुछ देर तक दूध को अन्दर रखकर दही के थक्के की तरह उल्टी कर देता है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को पल्सेटिला औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है।
3. कैल्के-कार्ब :- यदि बच्चे के पेट में गैस बनने के कारण वह दूध की उल्टी करता हो तो बच्चे को कैल्के-कार्ब औषधि की 30 शक्ति देनी चाहिए।
4. इथूजा :- दूध पीते ही यदि बच्चा आवाज के साथ तेजी से दूध की उल्टी कर देता है तथा पीया हुआ दूध थक्के के रूप में बाहर निकलता है। उल्टी करने के बाद बच्चे को सुस्ती आने पर वह सो जाता है परन्तु कुछ देर के बाद ही नींद से उठकर फिर से पीने के लिए दूध मांगने लगता। इस तरह बार-बार दूध पीने और उल्टी करने के लक्षणों से पीड़ित बच्चे को इथूजा औषधि देने से तुरन्त लाभ होता है।
5. ऐण्टिम-क्रूड :- दूध की उल्टी करने के साथ यदि बच्चे के जीभ सफेद रंग की हो गई हो तो बच्चे को ऐण्टिम-क्रूड औषधि का सेवन कराएं। दूध की उल्टी के ऐसे लक्षणों के साथ यदि बदबूदार दस्त आता हो तो बच्चे को कैल्के-कार्ब औषधि की 30 शक्ति सेवन कराना उचित होता है। बच्चे को दूध पिलाने पर दूध की उल्टी के साथ पित्त या लार की तरह श्लेष्मा निकलता हो तो बच्चे को इपिकाक औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए। दूध उल्टी करने का रोग यदि बच्चे में अधिक समय से हो तो बच्चे को क्रियोजोट- 6, नक्स-वोम- 6 या पल्सेटिला- 6 शक्ति की मात्रा देना लाभदायक होता है।
बच्चे को दूध की उल्टी करने के रोग में कभी-कभी बच्चे के गले में छोटी समुद्री सीप लटका देने से भी लाभ होता है।
उल्टी और मिचली का होम्योपैथिक इलाज :
1. ऐण्टिम टार्ट :- बच्चे में उत्पन्न ऐसे लक्षण जिसमें जी मिचलाने के कारण बच्चा खाई हुई चीजों की उल्टी कर देता है। इस तरह के लक्षणों में बार-बार उल्टी होने के कारण बच्चे के गले व फेफड़े अधिक गर्म हो जाते हैं जिसके कारण खून की उल्टी होने की संभावना बन जाती है। इस तरह जी मिचलाने के लक्षणों में बच्चे को ऐण्टिम टार्ट औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए।
2. इपिकाक :- यदि बच्चे का जी मिचलाता है और उल्टी आती है तो बच्चे को इपिकाक औषधि की 3x की मात्रा देना उचित होता है।
3. फास्फोरस :- बच्चे का जी मिचलाने के साथ खून की उल्टी होने पर फास्फोरस औषधि की 6 शक्ति का सेवन कराना अत्यधिक लाभकारी होता है।
4. हैमामेलिस :- काले रंग की खून की उल्टी होने पर बच्चे को हैमामेलिस औषधि की 3x का सेवन कराना चाहिए।
5. आर्निका :- बच्चे को चोट लगने के कारण उल्टी आती है तो आर्निका औषधि की 3x देना लाभकारी होती है।
6. साइना :- पेट में कीड़े बनने के कारण उल्टी हो तो बच्चे को साइना औषधि की 3x या 200 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
बच्चे को खून की उल्टी होना या रक्त-पित्त का होम्योपैथिक इलाज :
कुछ बच्चों को जन्म के कुछ दिन बाद खून की उल्टी होने लगती है। बच्चे में खून की उल्टी नाक व मुंह में घाव होने के कारण होता है। इसके अतिरिक्त मां के स्तनों में घाव होने पर स्तनपान करते समय स्तन का खून बच्चे के पेट में चले जाने के कारण तथा अधिक तेजी के साथ उल्टी आने के कारण भी गला गर्म हो जाने से खून की उल्टी होती है।
1. मिलिफोलियम :- यदि बच्चे को उल्टी होने के साथ चमकीले रंग का खून आता है तो बच्चे को मिलिफोलियम- θ या 1x औषधि की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
2. इपिकाक :- जी मिचलाने के साथ उल्टी होने पर चमकीले लाल रंग का खून आता हो और उल्टी के समय थोड़ी देर के लिए खांसी आती हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को इपिकाक औषधिय की 3x की मात्रा देना हितकारी होता है।
3. मर्क-कोर :- बराबर खून की उल्टी होने के लक्षणों में मर्क-कोर औषधि की 6 शक्ति की मात्रा देने से अत्यधिक लाभ होता है।
4. आर्निका :- किसी तरह की चोट लगने के कारण खून की उल्टी होने के लक्षणों में बच्चे को आर्निका औषधि की 3x देना लाभदायक होता है।
5. फेरम :- यदि बच्चे को उल्टी थक्के के रूप में आने के साथ खून की उल्टी होता है और उसके साथ छाती में तेज कंपन होने के साथ बेहोशी के लक्षण उत्पन्न होते हो तो बच्चे को फेरम औषधि का 3x देनी चाहिए।
नाव आदि पर चढ़ने या सवारी करने से चक्कर आना व उल्टी होना :-
काक्युलस-इण्डिका :- बच्चे को गाड़ी, जहाज, बस, नाव आदि से सफर करते समय चक्कर आते हो और उल्टी होती हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को काक्युलस-इण्डिका औषधि की 6 शक्ति देने से लाभ होता है। ऐसे लक्षणों में बच्चे को सुलाकर रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर बर्फ का टुकड़ा चूसने से भी लाभ होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)