आलस और और नेगेटिव सोच खत्म हो जाएगी | Subconscious Mind – Inspiring Story

Last Updated on January 19, 2025 by admin

एक बार एक संत बाबा एक छोटे से गांव में आए। उनकी खासियत थी कि जो भी उनके पास आता, वो सिर्फ एक बात कहते- “शब्दों में जीवन बदलने की ताकत है। शब्दों से अपना जीवन बदलो।

एक दिन बाबा चौपाल में बैठे थे, तभी एक जवान लड़का उनके पास आया। बाबा ने उससे भी वही जादुई वाक्य कहा। लड़का सुनकर हंस पड़ा और बोला, “अरे बाबा, ये तो सिर्फ बातें हैं! क्या शब्दों से भी कोई जीवन बदल सकता है?”

बाबा मुस्कुराए और शांत स्वर में बोले, “बेटा, नाद से ही यह सृष्टि बनी है। हर अच्छे शब्द के पीछे एक ऊर्जा होती है, जो पूरा जीवन बदल सकती है। अगर यकीन नहीं है, तो इसे आजमा कर देख।

लड़का थोड़ी गंभीरता से बोला, “बाबा, मेरा 20 साल का छोटा भाई है। ना जाने उसे क्या हो गया है। पिछले दो साल से वो बस पड़ा रहता है, कुछ करता नहीं। दिनभर सोचता रहता है, पर कुछ समझ नहीं आता कि आखिर वो चाहता क्या है। हमने हर तरीका आजमा लिया, पर कोई फायदा नहीं। अगर शब्दों की ताकत सच में इतनी बड़ी है, तो उसकी मदद कीजिए।”

बाबा मुस्कुराए और लड़के के साथ चल दिए। खेत में पहुंचकर लड़के ने अपने भाई की ओर इशारा करते हुए कहा, “देखिए बाबा, ये है मेरा भाई। पूरे गांव में इसके आलस और मक्कारी की चर्चा है। अगर आप शब्दों की शक्ति से इसका जीवन बदल सकते हैं, तो साबित कीजिए।”

बाबा ने देखा, लड़का बेफिक्र होकर पेड़ की छांव में गहरी नींद में सो रहा था। बाबा ने धीरे से उसके पास जाकर उसके सिर पर हाथ रखा और कहा, “उठो बेटा, बहुत सो लिया। अब जागने का समय आ गया है।”

लड़का चौंक कर जाग गया। वह हैरान था क्योंकि कई दिनों से उसने केवल ताने सुने थे, लेकिन आज पहली बार किसी ने अपनेपन से उसे पुकारा था। उसने आंखें मलते हुए पूछा, “आप कौन हैं, बाबा?”

यहां से कहानी ने एक नया मोड़ लिया। अब बदलाव का बीज बोने की तैयारी हो चुकी थी।

संत बाबा ने लड़के को ध्यान से देखा और प्यार भरे शब्दों में कहा, “बेटा, सबसे पहले तुम्हें यह समझना जरूरी है कि तुम कौन हो।”

लड़का निराश स्वर में बोला, “बाबा, मैं कौन हूँ? गांव में किसी से भी पूछ लीजिए, सब यही कहेंगे कि मैं किसी काम का नहीं हूँ। मैं तो आलसी और मक्कार हूँ।”

बाबा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “बेटा, यह जो शब्द तुम अपने लिए इस्तेमाल कर रहे हो, वे तुम्हारे अंतर्मन में गहरे उतर चुके हैं। सबसे पहले यह नकारात्मक बातें कहना बंद करो। याद रखो, इंसान खराब नहीं होता, उसकी आदतें खराब हो सकती हैं। तुम आलसी या मक्कार नहीं हो। आलस करना सिर्फ तुम्हारी आदत है, और आदतें बदली जा सकती हैं। बस इतनी सी बात है।”

बाबा की बात सुनकर लड़के की आंखें भर आईं। उसने भावुक होकर कहा, “बाबा, मैं सचमुच इस आदत से बहुत परेशान हूँ। मैंने कई बार कोशिश की है इसे छोड़ने की, लेकिन हर बार हार जाता हूँ। जब भी कुछ शुरू करता हूँ, समझ नहीं आता कि आगे क्या और कैसे करना है।”

वह आगे बोला, “जब भी कोई काम करता हूँ, मेरा शरीर थक जाता है। किताबें पढ़ने की कोशिश करता हूँ, तो नींद आने लगती है। मन में अजीब सा बोझ रहता है, और ऐसा लगता है कि मेरा जीवन बेकार ही गुजर रहा है। जब कुछ समझ नहीं आता, तो मैं फिर से सोने चला जाता हूँ।”

संत बाबा ने लड़के की सारी बातें शांतिपूर्वक सुनीं और बड़े आत्मविश्वास से कहा, “बेटा, मैं तुम्हें आलस से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का तरीका सिखा सकता हूँ। लेकिन एक शर्त है—तुम्हें पूरी निष्ठा और उत्साह के साथ इसे सीखना होगा। अगर तुम सच में बदलना चाहते हो, तो कल सुबह मेरे पास आना।”

लड़का उस रात बाबा की बातों में डूबा रहा। उसने हर शब्द को अपने भीतर महसूस किया। सुबह उसकी आँखें जल्दी खुल गईं, और वह बिना देरी किए बाबा के पास पहुँच गया।

बाबा ने मुस्कुराकर कहा, “अब सुनो, पहली सीख। जब भी तुम्हें यह सवाल सताए कि मैं क्या करूँ? या कैसे करूँ? तो अतीत के बारे में मत सोचो। भविष्य से सोचो। मान लो कि तुम्हारे पास हर चीज़ है—पैसा, सुख, साधन। अब बताओ, अगर ऐसा हो तो तुम अपना जीवन कैसे जीना चाहोगे?”

लड़के ने पहली बार ऐसा दृष्टिकोण सुना था। आज तक लोग उसे केवल शर्मिंदा करते आए थे, उसकी आलस को लेकर उसे ताने देते रहे थे। लेकिन बाबा ने उसके सामने एक नई सोच का दरवाजा खोल दिया था।

वह सोच में डूब गया। “अगर मेरे पास सब कुछ हो, तो मैं क्या करना चाहूँगा?” थोड़ी देर बाद उसने धीमे स्वर में कहा, “बाबा, मैं दुनिया घूमना चाहता हूँ। पहाड़ों की ऊँचाइयों को छूना चाहता हूँ, समुद्र की लहरों को महसूस करना चाहता हूँ। मैं व्यापार करना चाहता हूँ और नए-नए, रोचक लोगों से मिलना चाहता हूँ। लेकिन यह सब… यह सब कैसे होगा?”

उसकी आँखों में एक चमक थी, लेकिन फिर अचानक वह मायूसी में डूबने लगा। “लेकिन मेरे पास न तो पैसे हैं, न ही व्यापार का कोई अनुभव। मैं इन सपनों को हकीकत में कैसे बदल पाऊँगा?”

बाबा ने उसकी इस दुविधा को भांप लिया। वे जानते थे कि यह लड़ाई सिर्फ संसाधनों की नहीं, बल्कि लड़के के मन की थी। अब असली बदलाव शुरू होने वाला था।

संत बाबा ने लड़के को समझाते हुए कहा, “अब सुनो, दूसरी सीख। हर दिन कर्म करो।” बाबा ने विस्तार से समझाया, “रात को सोने से पहले अपने लक्ष्य को एक कागज पर लिखो। सुबह उठते ही सबसे पहले उस लक्ष्य को देखो और खुद से पूछो—आज मैं इस लक्ष्य को पाने के लिए क्या एक काम कर सकता हूँ? उस काम को कागज पर लिखो और उसी दिन उसे पूरा करो।”

लड़के ने थोड़ी झिझक के साथ कहा, “बाबा, लेकिन जब मैं ज्यादा सोचता हूँ, तो चिंता होने लगती है। उस चिंता से बचने के लिए मैं सब कुछ छोड़कर सो जाता हूँ।”

बाबा मुस्कुराए और बोले, “चिंता से लड़ने के लिए तीसरी सीख याद रखो—अंतर्मन की चाल को समझो और शब्दों के सहारे एक नया भविष्य बनाओ। बेटा, जब तुम बार-बार सोचते हो ‘कैसे होगा, कैसे होगा’, तो यह सवाल नहीं, बल्कि डर है। यह डर तुम्हारे मन में गहराई से बैठा है और तुम्हें कदम बढ़ाने से रोकता है। लेकिन सच मानो, किसी को नहीं पता कि कैसे होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “इंसान का काम है अपने उद्देश्य को सामने रखकर, बिना रुके प्रयास करना। बाकी रास्ते अपने आप बनते जाते हैं।”

लड़का चिंतित स्वर में बोला, “बाबा, लेकिन यह चिंता बार-बार क्यों होती है?”

बाबा ने धैर्यपूर्वक कहा, “बेटा, तुम्हारे अंदर गहरे कहीं यह विश्वास बैठा है कि तुममें कोई कमी है। तुम्हारा मन बार-बार तुम्हें यही कहता है कि ज्यादा मत करो, नहीं तो असफल हो जाओगे। और यही डर तुम्हारे कदम रोक देता है। तुम्हारे मन को चोट लगने का डर तुम्हें शिथिल कर देता है।”

लड़के ने निराश होकर पूछा, “तो मैं इस परेशानी से कैसे बाहर आ सकता हूँ?”

संत बाबा ने लड़के की ओर ध्यानपूर्वक देखा और गंभीर स्वर में कहा, “बेटा, मैं तुम्हें एक ऐसा रहस्य बताता हूँ, जिसे लोग जानते हुए भी नजरअंदाज कर देते हैं।” उन्होंने समझाया, “हम जो शब्द खुद से बार-बार कहते हैं, पूरी भावना के साथ दोहराते हैं, उनका सीधा असर हमारे अंतर्मन पर होता है। और वही शब्द हमें आकार देते हैं। अगर तुम अपने अंतर्मन को नए और सकारात्मक संदेश दोगे, तो वह खुद को कमजोर और चिंतित महसूस करना बंद कर देगा।”

फिर बाबा ने लड़के को पांच शक्तिशाली वाक्य दिए और कहा, “इन्हें हर सुबह और शाम पूरे दिल से दोहराओ। ये तुम्हारे अंतर्मन को बदल देंगे।”

मेरा शरीर का हर एक सेल और मन का हर एक विचार शांति और ऊर्जा से भरपूर है।

मेरे विचार, मेरी ऊर्जा और मेरा मन हमेशा मेरे नियंत्रण में हैं। ये हमेशा मेरा साथ देते हैं।

मैं अपनी सफलता के लिए प्रतिबद्ध हूँ और हर अवसर का स्वागत करता हूँ, जो बड़ी आसानी से मेरे जीवन में आता जा रहा है।

मैं दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ हर दिन अपने लक्ष्य को पूरा करता हूँ।

मैं अपने मन के प्रति सचेत हूँ। मैं हर कमी को जीत में बदलता हूँ, आलस को आराम में, कमजोरी को अभ्यास में और चिंता को ध्यान में बदलता हूँ। मैं उत्साह और ऊर्जा से भरा हूँ और लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हूँ। सारी चिंता और विचलन मेरी शांति में विलीन होते जा रहे हैं।

बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, जितनी गहराई और भावनाओं से तुम अब तक अपने लिए ‘मैं आलसी हूँ’ जैसे शब्द बोलते रहे हो, उतनी ही गहराई से इन सकारात्मक शब्दों को अपनाओ। धीरे-धीरे ये शब्द तुम्हारे मन, सोच और व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाएंगे। और तब तुम देखोगे कि तुम्हारा जीवन कैसे बदलने लगा है।”

यह सीख लड़के के मन में गहराई तक उतर चुकी थी। अब उसके पास एक नया मंत्र था—अपने शब्दों की शक्ति से अपने जीवन को बदलने का।

संत बाबा ने लड़के को चौथी सीख समझाते हुए कहा, “बेटा, तुम्हें पाँच महान लोगों की जीवनियां पढ़नी चाहिए।” उन्होंने समझाया, “तुमने कहा था कि तुम्हें किताबें पढ़ने का शौक है। अब उन किताबों को पढ़ो जो तुम्हें प्रेरणा दें। उन लोगों की कहानियां पढ़ो जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया और सफलता हासिल की। हर दिन कुछ पन्ने पढ़ो, तब तक पढ़ो जब तक उन कहानियों के पाठ तुम्हारे मन में गहरे न बस जाएं। जब तक तुम्हें ये पाठ अपने जीवन में दोहराते हुए न दिखें।”

लड़के ने हैरानी से पूछा, “बाबा, ये सब सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन क्या सच में इन बातों से मेरा जीवन बदल जाएगा?”

बाबा ने गहरी मुस्कान के साथ कहा, “बेटा, अब मेरी बात ध्यान से सुनो। अंतर्मन इतनी जल्दी हार नहीं मानता। जब तुम बदलाव की राह पर चलोगे, तो तुम्हारा मन तुम्हें पुराने अनुभवों की याद दिलाएगा—वे कड़वी बातें, वो असफलताएं, और वह निराशा। लेकिन तुम्हें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “जब तुम इन सकारात्मक शब्दों को पूरे दिल से दोहराओगे, जब तुम ईमानदारी से इन प्रेरक किताबों को पढ़ोगे और उनके बारे में गहराई से सोचोगे, तो तुम्हारे अंदर एक नई स्पष्टता पैदा होगी। धीरे-धीरे, तुम्हारा अंतर्मन इन नए सकारात्मक विचारों को अपनाने लगेगा।”

बाबा ने लड़के को यह भी समझाया कि परिवर्तन का यह सफर आसान नहीं होगा। “हर बार जब तुम आगे बढ़ोगे, तुम्हारा मन तुम्हें रोकने की कोशिश करेगा। लेकिन अगर तुम धैर्य और दृढ़ता के साथ चलते रहोगे, तो वह दिन दूर नहीं जब तुम्हारा अंतर्मन खुद तुम्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।”

यह सीख लड़के के दिल में गहरी उतर गई। अब उसके पास एक नया मंत्र था—महान लोगों के अनुभवों से सीखकर अपने जीवन को आकार देना।

लड़का बाबा की बातों से प्रेरित हुआ और बोला, “ठीक है बाबा, मैं आपकी हर सीख को अपनाऊंगा। जैसा आप कहेंगे, वैसा ही करूंगा।”

बाबा ने विदाई लेते हुए कहा, “मैं अब इस गांव से जा रहा हूँ, लेकिन कुछ सालों में लौटकर तुम्हारी प्रगति देखूंगा।”

लड़का बाबा से मिलकर उस रात सो नहीं पाया। उसने खुद से कई सवाल पूछे। “अगर मैं दुनिया घूमने लगा, नए-नए लोगों से मिलने लगा, और अपने पसंदीदा काम करने लगा, तो मेरी जिंदगी कैसी होगी?” यह सोचते हुए उसने अपनी डायरी निकाली और अपने लक्ष्य लिखे। हर शब्द में उसके सपनों की झलक थी। इसके बाद वह सो गया।

सुबह जब उसकी आँख खुली, तो आलस ने उसे फिर से घेरने की कोशिश की। उसने वापस सोने का मन बना लिया, लेकिन तभी बाबा की बातें उसके कानों में गूंज उठीं। “लक्ष्य को हर दिन देखो और उसके लिए एक छोटा कदम उठाओ।”

लड़के ने अपनी डायरी उठाई और रात को लिखे गए लक्ष्यों को देखा। उसने गहरी सांस लेते हुए खुद से पूछा, “आज मैं अपने लक्ष्य के लिए क्या एक काम कर सकता हूँ?”

लड़के ने नया एक्शन तय किया। उसने अपनी डायरी में लिखा, “आज मैं बाजार जाऊंगा और यह पता करूंगा कि लोग बाहर से क्या सामान लाते हैं और व्यापार कैसे करते हैं।”

अपने इरादे के साथ वह बाजार पहुंचा और अलग-अलग दुकानों पर जाकर लोगों को काम करते हुए देखने लगा। लेकिन जल्दी ही उसे महसूस हुआ कि वह कुछ खास समझ नहीं पा रहा है। किसी ने उसकी मदद भी नहीं की। घर लौटते समय उसका मन थोड़ा उदास था।

लेकिन उसे बाबा की वह बात याद आई—”शब्द जीवन बदल सकते हैं।” उसने बाबा से सीखे गए शक्तिशाली वाक्यों को सुबह और शाम दोहराना शुरू कर दिया। यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया।

फिर उसने बाजार से पाँच महान लोगों की जीवनियां खरीदीं और उन्हें पढ़ने लगा। कई दिन बीत गए, लेकिन कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आया। फिर धीरे-धीरे लड़के ने महसूस किया कि उसका मूड पहले से बेहतर रहने लगा है। वह अधिक सक्रिय हो गया था, अब वह पहले की तरह सुस्त नहीं बैठता था।

पढ़ते-पढ़ते उसने समझा कि जो लोग महान काम करते हैं, उनकी सोच आम लोगों से कितनी अलग होती है। ये लोग हमेशा बड़े और शक्तिशाली विचारों पर ध्यान देते हैं। वे दूसरों की छोटी सोच या डर से प्रभावित नहीं होते। मुश्किलें आने पर भी वे घबराते नहीं, बल्कि समाधान पर फोकस करते हैं। वे स्वावलंबी होते हैं और किसी की मदद का इंतजार किए बिना बड़े कदम उठाते हैं।

लड़के ने उनकी सोच और व्यवहार को अपनाना शुरू कर दिया। अब वह खाली बैठना बंद कर चुका था। उसने धीरे-धीरे अपने पिता की मदद करना शुरू कर दिया। वह मंडी में जाकर उनके लिए मोलभाव करता और हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने और पढ़ने में जुटा रहता।

यह बदलाव उसके जीवन में एक नई दिशा लेकर आ रहा था। अब वह न केवल सक्रिय था, बल्कि एक उद्देश्य के साथ जीने लगा था।

कुछ समय बाद गांव में मसालों का एक व्यापारी आया। उसे एक पढ़े-लिखे नौजवान की जरूरत थी, जो उसके माल की गिनती करे और हिसाब-किताब संभाले। लड़के ने तुरंत समझ लिया कि यह मौका उसके लिए खास है। उसने सोचा, “इस काम से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।”

बिना किसी झिझक के वह व्यापारी के पास गया और थोड़ी कम तनख्वाह में भी काम करने को तैयार हो गया। यह काम उसकी सोच को पूरी तरह बदलने वाला था। अब वह किसी साधारण नौकर की तरह नहीं सोचता था।

लड़के ने हर काम बड़ी ईमानदारी और समझदारी से किया। दो महीनों में उसकी मेहनत और लगन देखकर व्यापारी ने उसे अपना सहायक बना लिया। व्यापारी ने नोट किया कि यह लड़का बाकियों से अलग है। उसकी दिनचर्या खास थी—हर दिन वह पढ़ाई करता, सुबह उठकर ध्यान लगाता, और नई चीजें सीखने में उत्साह दिखाता। मुश्किलें आने पर भी वह विचलित नहीं होता और हर किसी से सम्मान के साथ बात करता। समय के साथ व्यापारी ने खुश होकर उसे व्यापार की कई बारीकियां सिखाईं।

धीरे-धीरे लड़के ने भी व्यापार की समझ विकसित कर ली। उसने जड़ी-बूटियों का अपना कारोबार शुरू किया, और उसकी मेहनत रंग लाई। कुछ ही समय में उसका व्यापार देश-विदेश तक फैल गया।

पाँच साल बाद जब वह अपने गांव लौटा, तो लोग उसे देखकर हैरान रह गए। वे पूछने लगे, “अरे भाई, तुम इतना कैसे बदल गए? इतने बड़े व्यापारी कैसे बन गए?”

लड़के की सफलता अब हर किसी के लिए प्रेरणा बन चुकी थी। उसने अपने जीवन को नए विचारों, मेहनत, और सकारात्मकता के सहारे पूरी तरह बदल दिया था।

लड़के ने गर्व से कहा, “शब्दों में सचमुच जीवन बदलने की शक्ति होती है।”

लोगों ने हैरानी से पूछा, “यह तो बाबा कई बार कह चुके हैं, लेकिन हर किसी का जीवन तो नहीं बदलता।”

लड़के ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “सही कहते हो, भाई। लेकिन क्या तुमने कभी बाबा से पूछा कि इन बातों को अपने जीवन में कैसे उतारना है?”

फिर उसने समझाया, “सिर्फ सही विचारों से शुरुआत होती है, लेकिन एक बार सोचने से कुछ नहीं बदलता। आपको हर दिन अच्छे विचारों को अपने अंदर जगह देनी होती है। विचारों को कर्म में बदलना पड़ता है, और यह प्रक्रिया बार-बार करनी होती है। जब तक आपकी सोच, आपकी आदतें, और आपका व्यक्तित्व पूरी तरह से बदल न जाए, तब तक प्रयास जारी रखना पड़ता है। सफलता का असली रहस्य आपकी मनोदशा बदलने में छिपा है।”

लड़के ने आगे बताया, “बाबा ने मुझे पाँच खास बातें सिखाई थीं, जिन्हें मैं आज भी करता हूँ। यही मेरे बदलाव का आधार हैं।”

हमेशा भविष्य से लक्ष्य बनाओ। जो बनना चाहते हो, उसकी कल्पना करो और उसे अपने लक्ष्य के रूप में तय करो।

हर दिन सुबह उठकर अपने लक्ष्य को देखो। फिर खुद से पूछो कि आज इस लक्ष्य के लिए मैं कौन सा काम कर सकता हूँ। इसे लिखो और उसी दिन पूरा करो।

अपने अंतर्मन को सकारात्मक संदेश दो। शक्तिशाली विचारों को पूरी भावना से दोहराओ। ये विचार तुम्हारे अंदर नई ऊर्जा भर देंगे।

पाँच महान लोगों की जीवनी पढ़ो। उनकी जिंदगी से प्रेरणा लो और उनके सबक को अपने जीवन में उतारो।

हर दिन अभ्यास करो। अंतर्मन आसानी से हार नहीं मानता। जब तुम कमजोर महसूस करते हो, तभी यह हावी होता है। लेकिन हर दिन के अभ्यास से तुम इसे नियंत्रित कर सकते हो।

लड़के ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, “बस यही तरीका है। शब्दों, विचारों, और कर्मों को मिलाकर अपने जीवन को बदलने का। बाबा की ये सीखें मेरे जीवन का हिस्सा बन गईं, और यही मेरी सफलता की कुंजी हैं।”

लोग उसकी बातें सुनकर प्रेरित हुए और समझ गए कि असली बदलाव एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें सही सोच, कर्म, और अभ्यास का मेल जरूरी है।

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